पत्नी के इलाज के लिए 130 किमी पैदल चले तमिलनाडु निवासी को सरकारी मदद का इंतजार

Tamil Nadu resident walks 130 km for treatment of wife, waiting for government help
पत्नी के इलाज के लिए 130 किमी पैदल चले तमिलनाडु निवासी को सरकारी मदद का इंतजार
पत्नी के इलाज के लिए 130 किमी पैदल चले तमिलनाडु निवासी को सरकारी मदद का इंतजार

चेन्नई, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। कैंसर से ग्रस्त अपनी पत्नी मंजुला का इलाज कराने के लिए अपनी साइकिल पर 130 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद अरिवजगन को व्यापक मीडिया कवरेज तो मिला, लेकिन उसे सहायता नहीं मिली। वह अभी भी तमिलनाडु सरकार की मदद का इंतजार कर रहा है।

कंस्ट्रकक्शन मजदूर अरिवजगन ने आईएएनएस को बताया, मीडिया में खबर आने के बाद, स्थानीय पुलिस अधिकारी आकर हमसे मिले और आश्वासन दिया कि जब भी जरूरत होगी, वे एम्बुलेंस की व्यवस्था करेंगे। उन्होंने मुझसे अपनी पत्नी को दोबारा साइकिल पर पुडुचेरी न ले जाने का अनुरोध किया है।

उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी मंजुला को फिर से दर्द की शिकायत है।

अरिवजगन ने कहा कि उन्होंने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना में दंपति के शामिल होने के बारे में नहीं सुना है।

उन्होंने कहा कि पुडुचेरी में जेआईपीएमईआर के एक डॉक्टर ने उन्हें अपनी पत्नी के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करने के लिए फोन किया था। एक अच्छे दयालु व्यक्ति ने कुछ पैसे हमारे बैंक खाते में ट्रांसफर भी किए थे।

उन्होंने कहा, लॉकडाउन के साथ, निर्माण कार्य बंद हो गया है और इसलिए मेरी कमाई भी बंद हो गई है।

अरविजगन तब चर्चा में आए जब 30 मार्च को अपनी 60 वर्षीय पत्नी मंजुला के साथ वह अपने गांव कुंबकोणम से साइकिल से पुडुचेरी के जेआईपहएमईआर अस्पताल के लिए कीमोथेरेपी कराने जा रहे थे।

लॉकडाउन के कारण, तमिलनाडु और पुडुचेरी के बीच बसें नहीं चल रही थीं। सिर्फ एक धोती पहने हुए अरिवजगन ने अपनी पत्नी को खुद से एक तौलिया से बांधकर साइकिल पर बैठाया हुआ था, ताकि वह रास्ते में गिरे न।

उन्होंने पहले आईएएनएस को बताया था, हम सुबह 4.45 बजे निकले और रात 10.15 बजे जेआईपीएमआईआर। रास्ते में, हमने चाय पी और एक तालाब के पास दो घंटे के लिए सो गए।

जेआईपीएमआईआर के डॉक्टर्स और अन्य लोग उसके साइकलिंग एडवेंचर पर चकित थे। उन्होंने उसकी तारीफ की।

अरिवजगन ने आईएएनएस को बताया, उन्होंने मेरी पत्नी का इलाज किया और मेरी मदद करने के लिए पैसों का इंतजाम किया। उन्होंने एक महीने के लिए दवाइयां भी दी और हमें वापस छोड़ने के लिए एम्बुलेंस के लिए लगभग 6,300 रुपये का भुगतान किया।

Created On :   14 April 2020 5:30 PM IST

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