इन धातुओं के बर्तन में भोजन करने से होगा लाभ
डिजिटल डेस्क। हर घर में खाना खाने और बनाने के लिए अलग-अलग तरह के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है। ज्यादातर घरों में एलीम्यूनियम और स्टील का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं खाने के लिए स्टील, चीनी, मेलामाइन, कांच और कुछ लोग मिट्टी के बर्तनों का इस्तमाल करते हैं। पहले के जमाने में राजा-महाराजा सोने-चांदी के बर्तनों में भोजन करते थे, तो वहीं आम लोग कांसे और तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल करते थे। इन धातुओं से बने बर्तनों में खाना खाने के अपने फायदे होते हैं। कई लोग आज पानी पीने के लिए तांबे के जग, ग्लास और लौटे का इस्तमाल करते हैं। आज हम आपको अलग-अलग धातुओं से बने बर्तनों में भोजन करने और भजने पकाने के फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं।
पानी पीने के पात्र के विषय में "भावप्रकाश ग्रंथ" में लिखा है।
जलपात्रं तु ताम्रस्य तदभावे मृदो हितम्।
पवित्रं शीतलं पात्रं रचितं स्फटिकेन यत्।
काचेन रचितं तद्वत् वैङूर्यसम्भवम्।
(भावप्रकाश, पूर्वखंडः4)
अर्थात् पानी पीने के लिए तांबा, स्फटिक अथवा कांच-पात्र का उपयोग करना चाहिए। इनके अभाव में मिट्टी के जलपात्र पवित्र व शीतल होते हैं। टूटे-फूटे बर्तन से अथवा अंजलि से पानी नहीं पीना चाहिए।
सोना
सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों भाग कठोर, बलवान, और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रोशनी और स्मरण शक्ति बढ़ता है।
चांदी
चाँदी की धातु एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक और बहरी रूप से ठंडक पहुंचाती है। मन और शरीर को शांत रखती है चाँदी के पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रोशनी बढती है और इसके अतिरिक्त पित्तदोष, कफ और वायुदोष आदि नियंत्रित रहता है।
कांसा
कांसे के पात्र में भोजन करने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है। लेकिन काँसे के पात्र में खट्टी भोजन सामग्री नहीं परोसनी चाहिए खट्टी सामग्री इस कांसे की धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो हानि करक होती है। कांसे के बर्तनो में भोजन बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
तांबा
लगभग सभी को पता हे की तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से रोगों से मुक्ती मिलती है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति बढती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को नष्ट कर देता है और चर्म रोग नही होते है इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है तांबे के बर्तन में कभी दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को हानि होती है।
पीतल
पीतल के बर्तन में भोजन बनाने और खाने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तनों में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
लोहा
लोहे के बर्तन में बनी भोजन सामग्री खाने से शरीर में शक्ति बढती है, लोह्तत्व शरीर में बहुत ही आवश्यक पोषक तत्वों को बढ़ता है। लोहा कई रोग को नष्ट करता है, पांडू रोग को मिटाता है, शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग नष्ट हो जाता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है लेकिन लोहे के पात्र में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि लोहे के पात्र में भोजन करने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है। लोहे के पात्र में दूध पीना और दूध से बने पदार्थ रखना अच्छा होता है।
स्टील
स्टील के बर्तन लाभदायक ना हानिकारक होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से इसलिए हानि नहीं देतें है इन बर्तनों में भोजन बनाने और खाने से शरीर को कोई लाभ नहीं पहुँचता तो हानि भी नहीं करता।
एल्युमिनियम
एल्युमिनियम बाक्साईट का बना होता है। इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ हानि होती है। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डियां कमजोर होती है मानसिक रोग होते है, पित्ताशय और स्नायु तन्त्र को क्षति पहुंचती है। उसके साथ साथ गुर्दे का संक्रमण होना, टी.बी., अस्थमा, दमा, बात रोग, मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है। एलुमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
मिट्टी
मिट्टी के बर्तनों में भोजन बनाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी सिद्ध कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में भोजन बनाने से शरीर के अनेक प्रकार के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, यदि भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में भोजन बनने में थोड़ा अधिक समय लगता है, लेकिन इससे स्वास्थ को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त है मिट्टी के पात्र होते हैं। मिट्टी के बर्तन में भोजन बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और साथ ही मिट्टी के पात्र में भोजन खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है।
Created On :   6 Jan 2019 11:10 AM IST