#WomensDay : इन महिलाओं ने अपनी हिम्मत से छुआ आसमान

Womens day special: read the Courageous story of these women
#WomensDay : इन महिलाओं ने अपनी हिम्मत से छुआ आसमान
#WomensDay : इन महिलाओं ने अपनी हिम्मत से छुआ आसमान


डिजिटल डेस्क ।  यूं तो कहा जाता है कि पुरुष और महिला हर मामले में बराबर हैं और महिला हर वो काम कर सकती है जो पुरुष कर सकता है। कई लोगों को लगता है कि ये केवल कहने की बातें है, लेकिन कुछ महिलाओं ने इसे सही साबित कर दिखाया है और वो काम किया है जो शायद पुरुष भी करने से पहले कई बार सोचें। दरसअसल महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि वो घर संभाले और अपने लिए ज्यादा ही कुछ करना है तो नौकरी या बिजनेस कर लें, लेकिन अपने पसंदीदा काम को पुरे जूनन के साथ कोई महिला करे तो इस पर सवाल उठने लगते है और उसे उसके लक्ष्य से भटकाने के कई प्रयास किए जाते हैं, लेकिन आज के वक्त में कई ऐसे महिलाएं जिन्होंने अपनी जिद और हिम्मत से इतिहास रचे है। 8 मार्च को पूरी दुनिया में इनटरनेशनल वुमन्स डे सेलिब्रेट किया जाता है और पुरी दुनिया के साथ ही भारत में भी ये दिन महिलाओं को समर्पित किया जाता है। इस मौके पर हम आपको कुछ ऐसे महिलाओं की कहानी बताने जा रहे है, जिन्होंने अपने साहस के बलबूते वो काम कर दिखाया जो पुरुष करने से पहले कई बार सोचते हैं। इन महिलाओं ने समाज की रूकावटो और कई मुश्किलों से लड़ते हुए खुद का लोहा मनवाया है।इनकी कहानियां सुन आपको भी एहसास होगा कि इन्होंने सिर्फ हिम्मत से ही कभी ना हाथ आने वाले आसमान को छुआ है। 

अवनि चतुर्वेदी ने मिग-21 बाइसन को अकेले ही उड़ाया

सबसे पहले अहम बात करेंगे, फ्लाइंग ऑफिसर अवनि चतुर्वेदी की। वो लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। उन्होंने मिग-21 बाइसन को अकेले ही उड़ाकर ये कारनामा किया। भारतीय वायुसेना और देश के लिए यह एक अनोखी उपलब्धि है। दुनिया में सिर्फ ब्रिटेन, अमेरिका, इजरायल और पाकिस्तान में ही महिलाएं फाइटर पायलट बन सकती हैं। भारत सरकार ने महिलाओं को 2015 में फाइटर पायलट के लिए अनुमति दी थी। देश में 1991 से ही महिलाएं हेलिकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ा रही हैं, लेकिन फाइटर प्लेन से उन्हें दूर रखा जाता था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम "मन की बात" में महिलाओं के मुद्दे पर चर्चा करते हुए अवनि की उपलब्धि का जिक्र किया था। पीएम ने बताया था कि तीन बहादुर महिलाएं भावना कंठ, मोहना सिंह और अवनि चतुर्वेदी फाइटर पायलेट बनी हैं और सुखोई विमान उड़ाने का प्रशिक्षण ले रही हैं।

 

यंग रेस्टॉरेंट ओनर ने "30 अंडर 30" में जगह बनाई इस

जब बेटियां पढ़-लिख जाते हैं तो उनसे उम्मीद की जाती है कि अब वो नौकरी करें और जल्द ही अपना घर बसा लें। इससे ज्यादा शायद लड़कियों से कोई उम्मीद नहीं करता। उन्हें अपना मन-पसंद काम करने की इजाजत भी शायद ही मिलती है, लेकिन मुंबई की रहने वाली श्रद्धा भंसाली ने समाज के सारे बंधन तोड़ कर वो काम करने की ठानी जिसमें उन्हें कुशी मिली। श्रद्धा ने विदेश में पढ़ाई-लिखाई की, लेकिन भारत से उनका मोह भंग नहीं हो पाया और श्रद्धा विदेश में अपनी नौकरी छोड़कर स्वदेस लौट आईं। यहां उन्होंने एक वेजीटेरियन रेस्टोरंट खोला है। खास बात ये है कि जो सब्जियां इस रेस्टोरेंट में पकाई जाती हैं, वो इसी रेस्टोरेंट में उगाई भी जाती हैं। इसमें छत पर पिपरमेंट और थाइलैंड ग्रास उगाई जाती है। रेस्टोरेंट में भारतीय व्यंजन के अलावा चाइनीज, इटैलियन और थाई वेज व्यंजन भी दिए जाते हैं। श्रद्धा ने फूड एंड हॉस्पिटेलिटी की स्टडी की है, जिसकी वजह से वो इसे ज्यादा अच्छे तरीके से चला पा रही है। हाल ही में फोर्ब्स मैगजीन ने "30 अंडर 30" की लिस्ट जारी की थी, जिसमें श्रद्धा भंसाली का नाम भी शामिल किया गया था।

 

 

फोर्ब्स इंडिया ने "30 अंडर 30" इस हॉकी प्लेयर ने बनाई जगह

भारतीय हॉकी टीम की गोलकीपर और हरियाणा की हॉकी प्लेयर सविता पूनिया को एशिया कप में शानदार प्रदर्शन के लिए फोर्ब्स इंडिया ने 30 अंडर-30 यंग अचीवर्स भी चुना है। सिरसा जिले के गांव जोधकां में 11 जुलाई 1990 को पैदा हुई सविता पूनिया 150 इंटरनेशनल मैचों में अपने जबरदस्त प्रदर्शन की बदौलत इस मुकाम तक पहुंच पाईं हैं। फिलहाल सविता साल 2020 में टोक्यो में होने वाले ओलिंपिक पर फोकस कर रही हैं।

 

 

अरुणिमा पटेल ने की विश्वसनीय मॉलीक्यूलर टेस्टिंग सर्विस की शुरुआत 

अभी दुनिया में ऐसी कई बीमारियां है जिनका सही वक्त पर पता नहीं चल पाता है, जिस वजह से मरीज की जान चली जाती है, लेकिन 39 साल की अरुणिमा पटेल ने एक विश्वसनीय मॉलीक्यूलर टेस्टिंग सर्विस की शुरुआत की है। इससे रोगी के शरीर में इंफेक्शन के कारण को मात्र 4 घंटे के भीतर पता लगाया जा सकता है। ये iGenetic Diagnostics की मैंनेजिंग डायरेक्टर हैं। फोर्ब्स ने  देश की 100 प्रतिभाशाली महिलाओं में इनका नाम भी शामिल किया है।

 

 

अरुणा बी रेड्डी ने जिम्नास्टिक्स वर्ल्ड कप में पहली बार भारत को मिला व्यक्तिगत पदक

हैदराबाद की अरुणा बी रेड्डी ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जो देश में अभी तक कोई नहीं कर पाया था। अरुणा रेड्डी जिम्नास्टिक्स वर्ल्ड कप में व्यक्तिगत पदक जीतने वाली पहली भारतीय जिम्नास्ट बनीं। उन्होंने ये खिताब महिलाओं की वॉल्ट इवेंट में कांस्य पदक अपने नाम करने के बाद हासिल किया। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि अरुणा जिम्नास्टिक्स के अलावा कराटे की भी माहिर खिलाड़ी हैं। इन्हें कराटे में भी ब्लैक बेल्ट हासिल है। हालांकि अरुणा की शुरुआत अच्छी नहीं रही। अरुणा को अपने पिता से बेहद लगाव था। उन्हीं के कहने पर अरुणा ने 2002 में कराटे के साथ जिम्नास्टिक्स सीखने की शुरुआत की थी। अरुणा को जिम्नास्टिक्स से प्यार हो गया वे मेहनत कर रही थीं लेकिन 2010 में उनके पिता का देहान्त हो गया। अरुणा ने हार नहीं मानी और जिम्नास्टिक्स में वो कर दिखाया जो अब तक कोई भारतीय नहीं कर सका था।

 


 

Created On :   8 March 2018 10:01 AM IST

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