प्रशांत भूषण मामले में अब सुप्रीम कोर्ट के पक्ष में उतरे 103 विशिष्ट लोग

103 distinguished people in favor of Supreme Court in Prashant Bhushan case
प्रशांत भूषण मामले में अब सुप्रीम कोर्ट के पक्ष में उतरे 103 विशिष्ट लोग
प्रशांत भूषण मामले में अब सुप्रीम कोर्ट के पक्ष में उतरे 103 विशिष्ट लोग

नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने दो ट्वीट के जरिए न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को अदालत की अवमानना के लिए दोषी करार दिया है। अदालत के इस फैसले पर पूर्व न्यायधीशों से लेकर ब्यूरोक्रेट्स और बुद्धिजीवी बंटे हुए नजर आ रहे हैं। कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से उसके फैसले को खारिज करने की अपील करते हुए प्रशांत भूषण के समर्थन में हस्ताक्षर किए थे। वहीं, अब इसके जवाब में पूर्व न्यायधीशों समेत करीब 103 लोगों ने शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ बयानों की निंदा करते हुए पत्र जारी किया है।

पत्र जारी करने वालों में हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, सेवानिवृत्त वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, सेवानिवृत्त आईएएस व आईएफएस अधिकारी और सेना के अधिकारियों सहित 103 प्रमुख नागरिक शामिल हैं। इन लोगों ने शीर्ष अदालत के फैसले की आलोचना करने वाले दबाव समूहों के बयानों की निंदा की है। इनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपत्ति जताना सही नहीं है।

इन विशिष्ट लोगों के समूह ने 15 अगस्त को कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (सीजेएआर) द्वारा जारी किए गए बयान की आलोचना की है, जिसमें शीर्ष अदालत के फैसले की निंदा की गई थी। पहले पत्र जारी करने वाले समूह ने शीर्ष अदालत और प्रत्येक न्यायाधीश से फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था।

अब 103 लोगों द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी करार दिए जाने के बाद कई ऐसे लेख लिखे गए, जिसमें शीर्ष कोर्ट पर सवाल उठाए गए हैं। पत्र में कहा गया है कि सीजेएआर ने फैसले की निंदा की है और इस पर पुनर्विचार की मांग की है, जो कि उचित नहीं है।

पत्र में कहा गया है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सीजेएआर और कुछ अन्य दबाव समूहों द्वारा निंदा अत्यधिक आपत्तिजनक और अस्वीकार्य है। हम देश के सरोकार रखने वाले नागरिक, ऐसे लोगों के समूह द्वारा सिविल सोसाइटी की आड़ में छद्म सामाजिक सक्रियता का घोर विरोध करते हैं।

समूह ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब भूषण ने बिना किसी आधार या सबूत के अदालतों की आपत्तिजनक आलोचना की है।

पत्र लिखने वालों में मुंबई हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के. आर. व्यास, पूर्व विदेश सचिव अमर सिन्हा, पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव सर्वेश कौशल समेत 103 लोग शामिल हैं।

एकेके/एसएसए

Created On :   19 Aug 2020 2:00 PM GMT

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