अब तक के सबसे गर्म 3 सालों में 2017: UN

डिजिटल डेस्क, जर्मनी। 2017 अब तक के सबसे गर्म 3 सालों में शामिल होने जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की मौसम से जुड़ी एजेंसी ने जर्मनी के बन शहर में ये बात कही। जहां जलवायु परिवर्तन पर 200 देशों के सम्मेलन आयोजित किया गया है। 19वीं सदी से तापमान का रिकॉर्ड रखना शुरू हुआ था और तब से लेकर अब तक के सबसे गर्म सालों में 2017 की भी गिनती होगी। वर्ल्ड मिटरिअलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन के महासचिव पेट्टेरी तालस ने कहा कि "2017 अब तक के 3 सबसे ज्यादा गर्म सालों में शामिल होने जा रहा है।
जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारण
इसका मुख्य कारण वैश्विक तपन है जो हरित गृह प्रभाव (ग्रीन हाउस इफेक्ट) का परिणाम है। हरित गृह प्रभाव वह प्रक्रिया जिसमें पृथ्वी से टकराकर लौटने वाली सूर्य की किरणों को वातावरण में उपस्थित कुछ गैसें अवशोषित कर लेती हैं जिसके परिणामस्वरुप पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होती है।
उल्लेखनीय है कि भारत भी इस सम्मेलन में अपनी बात प्रमुखता से रखेगा। दरअसल दो साल पहले धरती के बढ़ते तापमान की रफ्तार को कम करने और जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से निपटने के लिए पैरिस में 190 से भी ज्यादा देशों के बीच समझौता हुआ था। पैरिस समझौते का उत्साह ज्यादा देर तक नहीं टिक पाया क्योंकि डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद जून 2017 में पैरिस समझौते से बाहर निकलने का निर्णय ले लिया।
जलवायु परिवर्तन की लड़ाई कई दांवपेंचों से भरी हुई है और अगर भारत ने इस सम्मेलन में अपनी रणनीति ठीक से नहीं बनाई तो देश के आम लोगों और खास तौर से गरीबों को आने वाले दिनों में भारी नुकसान हो सकता है। भारत को विकसित देशों द्वारा बिना वित्तीय मदद दिए विकासशील देशों पर कार्बन उत्सर्जन कम करने के दबाव से बचना है। वहीं दूसरी ओर अमेरिका के पैरिस समझौते से निकल जाने से कार्बन उत्सर्जन कम करने में और वित्तीय मदद देने में जो अंतर आया है उसके लिए भारत को अन्य विकसित देशों पर दबाव भी बनाना होगा। भारत में 60 प्रतिशत खेती का क्षेत्र अभी भी बारिश पर निर्भर है और लगभग 7500 किलोमीटर का तट गर्म हो रही धरती की वजह से समुद्र के बढ़ते स्तर की चपेट में है।
Created On :   6 Nov 2017 6:31 PM IST