अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए 24 भारतीय बच्चे नामांकित

24 Indian children nominated for International Childrens Peace Prize
अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए 24 भारतीय बच्चे नामांकित
अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए 24 भारतीय बच्चे नामांकित
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नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार 2020 के लिए भारत से 24 बच्चे नामांकित किए गए हैं। ये उन 42 विभिन्न देशों के 142 उम्मीदवारों में से हैं, जिन्हें इस पुरस्कार के लिए योग्य माना गया है।

यह पुरस्कार हर साल किसी एक बच्चे को मिलता है, जिनके द्वारा बच्चों के अधिकारों का प्रसार करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है और जो कमजोर वर्ग से आने वाले बच्चों की स्थिति में बेहतर सुधार लाने की दिशा में प्रयासरत रहते हैं। पिछले साल यह पुरस्कार स्वीडन से ग्रेटा थुनबर्ग और कैमरून से डिविना मलौम को दिया गया था।

बाल अधिकार संगठन सेव द चिल्ड्रन इन इंडिया से जुड़ी पांच लड़कियां उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें शॉर्टलिस्ट किया गया है। इनमें से एक हैं पूनम, जो नासिक की रहने वाली हैं, उन्हें किशोरावस्था, युवावस्था, मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन से संबंधित मुद्दों और वॉश के लिए मुखर रहने के लिए नामांकित किया है, जिनमें पानी, साफ-सफाई और स्वच्छता से जुड़े अभ्यास शामिल हैं।

15 साल की नजरीन मुंबई के गोवांडी से ताल्लुक रखती हैं। उन्हें यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकार (एसआरएचआर) की दिशा में उनके कार्यों के लिए नामांकन मिला है। उन्होंने पिछले छह सालों में कुपोषण, स्वच्छता और एसआरएचआर पर 100 प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए हैं। वह अपने क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं की भी काउंसलिंग करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि गर्भावस्था की पहली तिमाही में अस्पताल में उनका पंजीकरण हो।

महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए अपनी प्रचेष्ठा के चलते राजस्थान के ओसियां में स्थित गांव आशापुरा में रहने वालीं जशोदा (15) को भी नामित किया गया है। राजस्थान के टोंक के दारदा तुर्क गांव की वसुंधरा को बाल विवाह को खत्म करने, लड़कियों के बीच यौन व प्रजनन स्वास्थ्य और उनके अधिकारों के लिए जागरूकता फैलाने के उनके काम के लिए नामांकित किया गया है।

अब बारी आती है बिहार के नौशीन की, जो जिन्होंने बाल विवाह और समाज में महिलाओं के लिए प्रचलित अन्य रूढ़ियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है। 15 साल की नौशीन समाज में महिलाओं व लड़कियों को ऐसी ही कुरीतियों के बीच में से होकर गुजरते देखा है। वह जीवन कौशल सत्र आयोजित करती हैं और अपने गांव की अन्य किशोरियों को लैंगिक भावना पर आधारित सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

एएसएन/एसजीके

Created On :   22 Oct 2020 8:00 PM IST

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