देश के 63.8 प्रतिशत लोगों का मानना, असमानता समाज को असंतुष्ट बनाती है
- देश के 63.8 प्रतिशत लोगों का मानना
- असमानता समाज को असंतुष्ट बनाती है
नई दिल्ली, 6 जुलाई (आईएएनएस)। अधिकांश भारतीय एक ऐसे न्यायसंगत और निष्पक्ष समाज में रहना चाहते हैं, जहां लोगों को उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा या लिंग के प्रति समान रूप से व्यवहार किया जाए। यह बात आईएएनएस-सीवोटर एवं जीएमआरए हैप्पीनेस इंडेक्स ट्रैकर में सामने आई है।
इस सर्वेक्षण के दौरान सामाजिक और लैंगिक असमानता के मुद्दे पर लोगों से सवाल किए गए। सर्वे में लोगों से पूछा गया, क्या सामाजिक और लैंगिक असमानता समाज को असंतुष्ट करती है। इस सवाल के जवाब में सर्वेक्षण में शामिल 49.3 प्रतिशत लोगों ने इस कथन के साथ पूरी सहमति व्यक्त की, जबकि 14.5 प्रतिशत लोगों ने इस पर कुछ हद तक सहमति जताई।
इस सर्वे में पूरे भारत में अलग-अलग पृष्ठभूमि से आने वाले उत्तरदाताओं को शामिल किया गया। सर्वेक्षण में आश्चर्यजनक रूप से सामने आया कि महिलाओं की अपेक्षा अधिक पुरुष प्रतिभागियों ने इस कथन के साथ सहमति व्यक्त की। कुल 53.9 प्रतिशत पुरुष उत्तरदाताओं ने माना कि लैंगिक असमानता समाज को असंतुष्ट करती है। वहीं 44.9 प्रतिशत महिलाओं ने इस पर अपनी सहमति व्यक्त की।
वहीं कुल 13.3 प्रतिशत पुरुष प्रतिभागियों ने कुछ हद तक इस कथन से सहमति व्यक्त की, जबकि 15.9 प्रतिशत महिला प्रतिभागियों ने कुछ हद तक अपनी सहमति जताई।
आयु समूहों की बात करें तो केवल 39.7 प्रतिशत बुजुर्ग (60 वर्ष और उससे अधिक) इस कथन से सहमत दिखे कि लैंगिक असमानता समाज को असंतुष्ट बनाती है, जबकि 23.4 प्रतिशत वृद्ध लोग कुछ हद तक इस कथन से सहमत थे।
युवा आबादी के बीच 50.5 प्रतिशत फ्रेशर्स (25 साल से कम) ने दृढ़ता से इस पर अपनी सहमति व्यक्त की, जबकि 11 प्रतिशत ने कुछ हद तक सहमति व्यक्त की। युवा (25-45 वर्ष) के प्रतिभागियों में 49.7 प्रतिशत ने ²ढ़ता से इस पर अपनी सहमति जताई, जबकि 13.7 प्रतिशत ने कुछ हद तक सहमति व्यक्त की।
उच्च आय वर्ग के बीच 64 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने ²ढ़ता से इस कथन के साथ सहमति व्यक्त की, जबकि निम्न आय वर्ग में 42 प्रतिशत प्रतिभागियों ने ²ढ़ता से सहमति जताई।
इसके अलावा निम्न आय वर्ग में कुल 20.1 प्रतिशत इस कथन से असहमत थे कि सामाजिक और लैंगिक असमानता समाज को असंतुष्ट करती है, जबकि उच्च आय वर्ग में 13.3 प्रतिशत ने इस पर अपनी असहमति दिखाई।
देश में क्षेत्र के हिसाब से देखा गया तो पूर्व से 24.6 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस कथन के साथ मजबूती से सहमति जताई, जबकि उत्तर भारत के 56.7 प्रतिशत लोगों ने मजबूती से इस पर अपनी सहमति व्यक्त की।
सीवोटर द्वारा यह सर्वेक्षण दिल्ली स्थित एनजीओ जेंडर मेनस्ट्रीमिंग रिसर्च एसोसिएशन (जीएमआरए) के साथ मिलकर किया गया। इसे भारत में एक व्यापक खुशी सूचकांक (हैप्पीनेस इंडेक्स) विकसित करने के लिए उनके प्रयास के तहत किया गया।
Created On :   6 July 2020 9:31 PM IST