रायपुर में 600 साल पुराने बूढ़ातालाब का कायापलट, लेजर शो बना आकर्षण का केंद्र
- रायपुर में 600 साल पुराने बूढ़ातालाब का कायापलट
- लेजर शो बना आकर्षण का केंद्र
रायपुर, 8 नवंबर (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बीचों-बीच स्थित लगभग 600 साल पुराने बूढ़ातालाब यानी स्वामी विवेकानंद सरोवर का कायापलट हो गया है। कभी गंदे-से दिखने वाला तालाब अब पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। लेजर लाइट शो ने इसकी सुंदरता में चार चांद लगा दिया है। इसके अलावा यहां राज्य की संस्कृति, एंटरटेनिंग शो, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के शौर्य की कहानी भी देखने को मिलेंगी।
तालाब के सौंदर्यीकरण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले रायपुर के महापौर एजाज ढेबर ने कहा, राजधानी को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने और शहर वासियों को मेट्रोसिटीज जैसी एंटरटेनमेंट की सुविधा देने का प्रयास किया गया है।
लेजर लाइट्स में राज्य की संस्कृति की झलक देखने के साथ ही एनिमल्स की दुनिया सहित कई एंटरटेनिंग शो भी देखने को मिलेगा। वहीं 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे मौकों पर यहां आजादी की गाथा और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के शौर्य की कहानी दिखाई जाएगी।
उन्होंने बताया, शहर में पहली बार लेजर लाइट का सेटअप लगाया गया है। इसे लगाने का मकसद लोगों को शहर के बीचों-बीच मनोरंजन के साधन उपलब्ध करवाना है। इसके अलावा बूढ़ातालाब में 7 वाटर मोटर बाइक चलाने की प्लानिंग है। शहर में फिलहाल कहीं भी वाटर मोटर बाइक की सुविधा नहीं है। मोटर बाइक थ्री, फोर और सिक्स सीटर होंगी। किसी में तीन तो किसी में छह लोग बैठकर तालाब की सैर कर सकेंगे। सुरक्षा के लिहाज से हर शख्स के लिए लाइफ जैकेट पहनना अनिवार्य होगा। एक मोटर बाइक ऐसी भी होगी जहां चाय-कॉफी पीते हुए लोग मीटिंग भी कर सकेंगे। ये कपड़े से कवर होगी।
वहीं राज्यपाल अनुसईया उइके ने भी राज्य सरकार के इस प्रयास को सराहना की है। उइके ने कहा, यह बूढ़ा तालाब रायपुर ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ का गौरव है। इतने कम समय में तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए मैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और महापौर ऐजाज ढेबर को बधाई देती हूँ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अभी तक रायपुर में मनोरंजन के लिए केवल मॉल या सिनेमाघर ही थे, अब ये घूमने फिरने का, परिवार के साथ समय बिताने का बढ़िया केंद्र बन गया है।
बूढ़ातालाब से कई ऐतिहासिक यादें जुड़ी हैं। कल्चुरी वंश के राजाओं, स्वामी विवेकानंद और ऐतिहासिक शिलालेख की वजह से यह तालाब देशभर में चर्चित है। तालाब का इतिहास लगभग 600 साल पुराना है। यह तालाब महाराज बंध तालाब से जुड़ा हुआ है। दोनों तालाब के बीच से पानी निकासी की व्यवस्था की गई है। तालाब इसलिए भी खास है क्योंकि इससे स्वामी विवेकानंद का नाम जुड़ा हुआ है। स्वामी विवेकानंद जब रायपुर में रहा करते थे, तब वो काफी समय यहां बिताया करते थे। इन यादों की वजह से ही यहां उनकी प्रतिमा लगाकर तालाब का नाम विवेकानंद सरोवर रखा गया है।
राजधानी रायपुर की शान कहे जाने वाला स्वामी विवेकानंद सरोवर विगत कुछ वर्षों से निगम और पर्यटन मंडल की खींचतान की वजह से कचरे से पट गया था। शहर के कई इलाकों का गंदा पानी इसी तालाब में गिरता था। पहले की सरकार ने यहां सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए लेकिन सफाई के नाम पर की गई कवायद सिफर रही।
यहां अक्सर आने वाले पुरानी बस्ती निवासी विकास अग्रवाल का कहना है कि पहले सुबह-शाम यहां नशेड़ियों का अड्डा रहता था। महिलाओं का यहां से गुजरना मुश्किल होता था, लेकिन अब सब बदल गया है। सुबह-शाम वाकिंग करने में आनंद और सुकून मिलता है।
जेएनएस
Created On :   8 Nov 2020 4:01 PM IST