क्या है अयोध्या विवाद, 1528 से अब तक जानिए सबकुछ

about Ayodhya ram mandir case, 2010 high court decision on it
क्या है अयोध्या विवाद, 1528 से अब तक जानिए सबकुछ
क्या है अयोध्या विवाद, 1528 से अब तक जानिए सबकुछ

डिजिटल डेस्क, अयोध्या। अयोध्या विवाद ऐसा विवाद है जिस पर राजनीति होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। इस मामले पर देश भर में एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है। SC में इस मामले को लेकर 5 दिसंबर को सुनवाई शुरू हो रही है। इससे पहले हम आपको बता रहे हैं क्या है ये पूरा मामला।

क्या है पूरा विवाद
अयोध्या मामला इस देश का सबसे बड़ा विवाद है। जिस पर राजनीति भी होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। हिंदू पक्ष ये दावा करता है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है और इस जगह पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के सेनापति मीर बांकी ने 1530 में तोड़कर यहां पर मस्जिद बना दी थी। तभी से हिंदू-मुस्लिम के बीच इस जगह को लेकर विवाद चलता रहा है। माना जाता है कि मुग़ल सम्राट बाबर के शासन में हिंदू भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण किया। मस्जिद बाबर ने बनवाई इसलिए इसे बाबरी मस्जिद कहा गया। 1853 में हिंदुओं ने आरोप लगाया कि राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई, इसके बाद दोनों के बीच हिंसा हुई। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने 1859 में आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिदुओं को अलग-अलग पूजा करने की इजाजत दे दी। 1885 में महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील की। 1949 में हिंदुओं ने भगवान राम की मूर्ति इस स्थल पर रखी और पूजा शुरू कर दी। गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद कोर्ट में सन 1950 को भगवान राम की पूजा की विशेष इजाजत मांगी।

5 दिसंबर, 1950 में महंत परमहंस रामचंद्र दास परिसर में हिंदू पूजा जारी रखने और राममूर्ति रखने के लिए याचिका दायर की। 9 साल बाद निर्मोही अखाड़ा ने, 1959 में स्थल हस्तांतरित करने की मांग कोर्ट से की। इस मामले पर यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 1961 में मस्जिद का मालिकाना हक लेने के लिए केस दायर किया।

इन मामलों की सुनवाई कर 1 फरवरी, 1986 फैजाबाद जिला जज ने हिदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी। स्थल पर लगे ताले खोल दिए गए। 9 नवंबर, 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बाबरी मस्जिद के नजदीक शिलान्यास की इजाजत दे दी। बीजेपी के सीनियर लीडर लाल कृष्ण आडवाणी ने 25 सितंबर, 1990 से सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली। 1991 में यूपी में बीजेपी की सरकार थी और सीएम थे कल्याण सिंह। सरकार ने बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अपने कब्जे में ले लिया।

1989 के बाद बढ़ा मामला
अयोध्या विवाद ने 1989 के बाद से तूल पकड़ा और 6 दिसंबर 1992 को हिंदू संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर की जगह बनी विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया। जिसके बाद ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सितंबर 2010 में इस विवाद पर फैसला सुनाया था। फैसले में कहा गया था कि विवादित जमीन को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाएगा, एक हिस्सा राम मंदिर के लिए, एक हिस्सा निर्मोही अखाड़े को और एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया था। तीनों ही पक्षों ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। देश की सबसे बड़ी अदालत ने इसी साल मार्च में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुझाव दिया था कि इस पूरे विवाद को कोर्ट के बाहर बातचीत के जरिए भी सुलझाया जा सकता है। अगर जरूरत पड़ी वो इसमें मध्यस्थता करेगा लेकिन कोई बात नहीं बनी। इस मामले की लगातार सुनवाई 5 दिसंबर 2017 से शुरू हो रही है।
 

हाई कोर्ट ने 3 हिस्सों में बांटने का दिया था आदेश
इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2.77 एकड़ की इस विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में जमीन को निर्मोही अखाड़ा रामलला और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बराबर बांटने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के इस फैसले पर सभी पक्षकारों ने आपत्ति जताई और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इसके बाद 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी थी।

शिया वक्फ बोर्ड राम मंदिर बनाने के पक्ष में 
शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश किए गए एफिडेविट में विवादित जगह पर राम मंदिर बनाने की पेशकश की थी। वक्फ बोर्ड ने कहा था कि विवादित जगह पर राम मंदिर बने जबकि इससे थोड़ी दूरी पर मस्जिद बनाई जाए। बोर्ड का कहना था कि अगर मंदिर, मस्जिद को साथ बनाया गया तो यहां पर रोज विवाद देखने को मिलेंगे। वक्फ बोर्ड ने एफिडेविट में कहा था कि 1946 तक ये जमीन शिया वक्फ बोर्ड के पास थी लेकिन ब्रिटिशर्स ने गलत तरीके से इस जमीन का मालिकाना हक सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया था। बोर्ड ने कहा कि वो इस पूरे विवाद को शांति से निपटाना चाहता है। 
 

Created On :   3 Dec 2017 1:55 PM GMT

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