23 साल बाद "बुआ और बबुआ" की मुलाकात, अखिलेश बोले 'प्रणाम बुआ'

Akhilesh Visits Mayawati After Handing BJP a Shock Defeat
23 साल बाद "बुआ और बबुआ" की मुलाकात, अखिलेश बोले 'प्रणाम बुआ'
23 साल बाद "बुआ और बबुआ" की मुलाकात, अखिलेश बोले 'प्रणाम बुआ'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पॉलीटिक्स का बिजनेस और बिजनेस की पॉलीटिक्स... दोनों अजीब है... कब पलट जाए पता ही नहीं चलता। बुआ और बबुआ यानी मायावती और अखिलेश यादव का एक होना इसी बात को बयां करता है। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत ने एसपी और बीएसपी की नजदीकियां एक बार बढ़ा दी है। करीब 23 साल बाद दोनों पार्टी प्रमुखों ने मुलाकात की। ये मुलाकात करीब 45 मिनट तक चली। अब कयास लगाए जा रहे है कि 2019 लोकसभा चुनाव में दोनों दल एक साथ आ सकते है।

गुलदस्ता लेकर पहुंचे अखिलेश


बुधवार शाम करीब 7 बजे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव मायावती के घर पहुंचे। अखिलेश के हाथों में फूलों का गुलदस्ता भी था। मायावती का अभिवादन करते हुए अखिलेश ने उन्हें "प्रणाम बुआ कहा"।  बता दें कि जैसे ही अखिलेश यादव मायावती से मिलने के लिए निकले, बसपा सुप्रीमो के घर से एक गाड़ी उनकी अगवानी के लिए भी पहुंची।  जून 1995 में हुए बहुचर्चित "गेस्ट हाउस कांड" के बाद दोनों दलों की दोस्ती टूट गई थी और तभी से दोनों एक दूसरे से सियासी दुश्मन बने हुए थे। यूपी की राजनीति में इन दोनों नेताओं की मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि इसी मुलाकात से 2019 के लिए रास्ता निकलेगा। 

जीत के बाद मायावती का धन्यवाद


जीत के बाद अखिलेश यादव ने मायावती को धन्यवाद दिया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उन्होंने कहा इस महत्वपूर्ण लड़ाई में हमे उनका पूर्ण समर्थन मिला है। गरीब किसान, महिला, मजदूर हर किसी को धन्यवाद देता हूं। BJP ने जनता से वादा करके वादाखिलाफी की, जिसका जवाब मतदाताओं ने दिया। अखिलेश ने कहा कि जो सरकार जनता को दुःख देती है, जनता उसको सही जवाब देती है। अच्छे दिन तो आए नहीं, जनता एक हो गई और BJP के बुरे दिन लाने का काम किया है।

गेस्ट हाउस कांड ने बनाया धुर विरोधी


उत्तर प्रदेश की राजनीति में साल 1995 और गेस्ट हाउस कांड, दोनों बेहद अहम हैं। उस दिन ऐसा कुछ हुआ था जिसने मायावती और मुलायम के बीच वो खाई बनाई जिसे लंबा अरसा भी नहीं भर सका। दरअसल, साल 1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाई और इसके अगले साल भाजपा का रास्ता रोकने के लिए रणनीतिक साझेदारी के तहत बहुजन समाज पार्टी से हाथ मिलाया। सपा और बसपा ने 256 और 164 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ा। सपा अपने खाते में से 109 सीटें जीतने में कामयाब रही जबकि 67 सीटों पर हाथी का दांव चला, लेकिन दोनों की ये रिश्तेदारी ज़्यादा दिन नहीं चली।

साल 1995 की गर्मियां दोनों दलों के रिश्ते ख़त्म करने का वक़्त लाईं। इसमें मुख्य किरदार गेस्ट हाउस है। इस दिन जो घटा उसकी वजह से बसपा ने सरकार से हाथ खींच लिए और वो अल्पमत में आ गई।  इसके बाद नाराज एसपी कार्यकर्ताओं ने लखनऊ के गेस्ट हाउस में मायावती के साथ बदसलूकी की। तब से अब तक दोनों पार्टियां एक-दूसरे की धुर विरोधी बन गई। बाद में मायावती ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। 
 

Created On :   14 March 2018 4:54 PM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story