रोहिंग्या मामला: संयुक्त राष्ट्र की बैठक में एकजुट नहीं दिखे सभी देश

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर चल रहे मामले में अब संयुक्त राष्ट्र भी एकजुट होता नहीं दिख रहा। दरअसल इस मसले को लेकर संयुक्त राष्ट्र में हुई एक बैठक में सभी देश अलग-अलग नजर आए। इस बैठक में चीन और रूस म्यामांर सरकार के समर्थन में आए तो वहीं अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने हिंसा रोकने की मांग की। जबकि सयुंक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटारेस ने इस माहौल को खत्म करने की अपील की है। बता दें कि 25 अगस्त को म्यांमार में हुई हिंसा की वजह से करीब 5 लाख रोहिंग्या मुसलमान पलायन कर चुके हैं।
चीन और रूस ने दिया म्यांमार सरकार को समर्थन
इस मसले पर पहली बार हुई बैठक में चीन के उप स्थायी प्रतिनिधि ने म्यांमार को लेकर संयम बरते जाने की सलाह दी साथ ही कहा कि म्यांमार को मदद की जरूरत है। इस पर सरकार की दोनों पक्षों को संतुष्ट करने की जिम्मेदारी है।
म्यांमार सरकार के समर्थन में आए रूस के राजदूत का कहना है कि म्यांमार की सरकार पर "अत्यधिक दबाव" केवल उस देश और आसपास की स्थिति को बिगाड़ेगा ही।
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने की हिंसा रोकने की मांग
चीन और रूस के समर्थन के बाद अमेरिकी राजदूत ने बर्मा पुकारते हुए काउंसिल सदस्यों से कहा कि हमें इस बात को कहने से नहीं हिचकना चाहिए कि बर्मा अल्पसंख्यक समुदाय के खात्मे के लिए क्रूर कैंपेन चला रहा है। साथ ही उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ हो रहे हिंसा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। वहीं रूस और ब्रिटेन के अलावा परिषद में मौजूद अन्य सभी देशों ने भी मुसलमानों के खिलाफ हो रहे हिंसा रोकने की अपील की।
गौरतलब है कि 25 अगस्त से शुरू हुआ हिंसा और पलायन का सिलसिला अभी भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है। करीब 5 लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी अपना घर छोड़कर पलायन कर चुके हैं। वहीं गुरुवार को आई एक खबर के अनुसार म्यांमार में 130 लोगों को लेकर आ रही एक नाव समुद्र में पलट गई। इनमें 27 लोगों को बचाया जा सका जबकि 19 के शव बरादम हुए हैं और 50 से ज्यादा लोग अभी लापता हैं।
Created On :   29 Sept 2017 10:26 PM IST