पोलिसैक औद्योगिक सहकारी संस्था: केन्द्रीय मंत्री गडकरी पर शेयरधारकों से धोखाधड़ी का आरोप

Allegation of corruption on Nitin Gadkari in Polysac Society
पोलिसैक औद्योगिक सहकारी संस्था: केन्द्रीय मंत्री गडकरी पर शेयरधारकों से धोखाधड़ी का आरोप
पोलिसैक औद्योगिक सहकारी संस्था: केन्द्रीय मंत्री गडकरी पर शेयरधारकों से धोखाधड़ी का आरोप
हाईलाइट
  • केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी पर शेयरधारकों ने लगाए धोखाधड़ी के आरोप।
  • पोलिसैक औद्योगिक सहकारी संस्था में शेयरधारकों के साथ धोखाधड़ी के आरोप।
  • सरसंघचालक मोहन भागवत और मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की सहमति होने के भी बात आई सामने।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने जिस पॉलिसैक इंडस्ट्रियल कोआपरेटिव सोसाइटी का उद्घाटन किया है, उनके चेलों ने ही सोसाइटी के शेयरधारकों के साथ बड़ा घोटाला किया है। सोसाइटी के शेयरधारक अजय उर्फ मुन्ना महाजन और भगवानदास राठी ने ये आरोप लगाए हैं। इनका कहना है कि यह धोखाधड़ी केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा की गई है और यह करने देने में खुद सोसाइटी के शेयरधारक आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत और मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की छुपी सहमति थी।

मामला पोलिसैक औद्योगिक सहकारी संस्था और महाराष्ट्र सरकार द्वारा उसको आवंटित प्लॉट से जुड़ा है। संघ से जुड़े महाजन और राठी ने यहां भास्कर से बातचीत में बताया कि यह संस्था नितिन गडकरी के प्रमोटरशिप में 1988 में स्थापित की गई। शेयरधारकों में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत, मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, कांचन गडकरी, राज्य के पूर्व मंत्री विनोद गुडधे पाटील समेत अधिकतर आरएसएस और भाजपा से संबंधित कुल 1330 बुद्धिजीवी इसमें शामिल थे। इसके अलावा संस्था के गठित होने के बाद महाराष्ट्र सरकार भी 24.77 लाख रुपये देकर इस सोसाइटी का एक शेयरधारक बन गई।

महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल (एमआईडीसी) की ओर से सोसाइटी को हिंगना एमआईडीसी क्षेत्र में 4950 वर्ग मीटर का पूरा विकसित प्लाट (प्लाट नं जे-17) 20 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से 14 जनवरी 1987 को अलॉट किया गया। जिसका एक रुपये प्रतिवर्ग के हिसाब से सालाना किराया था। 1996 के बाद गडकरी संस्था के निदेशक बने और 2003 तक पॉलिसैक सोसाइटी का कामकाज ठीक चल रहा था और संस्था ने लाखों रुपयों का लाभांश प्राप्त किया था, लेकिन इसके बाद कंपनी का कामकाज अचानक बंद हो गया। लिहाजा उन्होने 23 सिंतबर 2016 को डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसाइटी में आरटीआई डालकर सोसाइटी की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी।

राठी ने बताया कि आरटीआई से प्राप्त जानकारी से पता चला कि 2003 के बाद से विभाग को सोसाइटी के निदेशक कौन है, शेअर कैपिटल का क्या हुआ, कंपनी बिक गई है तो इसका कैपिटल वापस आया है या नही, संस्था का वार्षिक रिपोर्ट सहित अन्य गतिविधि की कोई जानकारी ही उपलब्ध नहीं है। उपलब्ध दस्तावेजों से यह भी पता चला कि 2012 में सोसाइटी के प्लाट को फर्जी दस्तावेज बनाकर पूर्ति सोलर सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया गया, जो कि गडकरी के साले की कंपनी थी। राठी का कहना है कि यह प्लाट पूर्ति को देने के बाद इसी प्लाट को सारस्वत बैंक में गिरवी रखकर उससे नितिन गडकरी के पुत्र निखिल और सारंग गडकरी की कंपनी मेसर्स माइनिंग एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड (जीएमटी) के लिए 42.83 करोड़ रुपये का कर्ज ले लिया गया। महाराष्ट्र सरकार से भी यह सारी बातें छुपा के रखी गई।

राठी का कहना है कि संस्था के जो शेयरधारक थे, उनको इस जालसाजी का पता था, उनकी भी इसमें छुपी सहमति थी। उनमें मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, मोहन भागवत, नितिन गडकरी, कांचन गडकरी शामिल है। इस आधार पर उन्होंने 15 दिसंबर 2017 को अपराध शाखा(आर्थिक अपराध विंग) में शिकायत कर जांच की मांग की है और पुलिस को सभी दस्तावेज सौंपे हैं। लेकिन गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास होने के कारण इन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की जा रही है।

Created On :   4 Sept 2018 12:08 AM IST

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