केंद्र में सत्ताधारी भाजपा पर कभी गरम तो कभी नरम दिख रहे सहयोगी

alliance between Shiv sena BJP party and RLSP party
केंद्र में सत्ताधारी भाजपा पर कभी गरम तो कभी नरम दिख रहे सहयोगी
केंद्र में सत्ताधारी भाजपा पर कभी गरम तो कभी नरम दिख रहे सहयोगी

अजीत कुमार, नई दिल्ली। सत्ताधारी भाजपा के कुछ सहयोगी दल अपने तेवर तो दिखा रहे हें, परंतु उन्हें इस बात का भय भी है कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अलग होने के बाद कहीं उनकी सियासी लुटिया डूब न जाए। लिहाजा सहयोगी दलों ने संाप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे की तर्ज पर अब अपना रूख थोड़ा नरम किया है। दरअसल सहयोगियों की यह आक्रामकता भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश भर मानी जा रही है।  

नाराजगी को ज्यादा गंभीर नहीं मान रही भाजपा
भाजपा की सहयोगी शिवसेना नाराजगी के चलते जहां अगला लोकसभा चुनाव भाजपा से अलग होकर लड़ने की तैयारी में है तो वहीं तेलुगूदेशम आम बजट में आन्ध्रप्रदेश को भरपूर आर्थिक मदद नहीं मिलने से खफा है। उधर केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा बिहार में जदयू और भाजपा के बीच फिर से दोस्ती होने के बाद खुद को उपेक्षित महसूस करते हुए बागी तेवर दिखा रही है। हालांकि ये सभी भाजपा से खफा तो हैं, परंतु उससे दोस्ती तोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। सहयोगी दलों की इस हिचक की एक बड़ी वजह 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी के बिना उनको दिख रही अपनी हार है। उधर भाजपा के पास तेलुगूदेशम के विकल्प के तौर पर आन्ध्रप्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस मौजूद है तो बिहार में रालोसपा के मुकाबले जदयू के रूप में उसे कहीं बड़ा सहयोगी मिल गया है। लिहाजा भाजपा नेतृत्व इनकी नाराजगी को ज्यादा गंभीर नहीं मान रहा।

नीतीश से मेरी निजी दुश्मनी नहीं : कुशवाहा
रालोसपा अध्यक्ष व केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने दैनिक भास्कर को बताया कि हमारी पार्टी राजग में है और इसमें तब्दीली की कोई संभावना फिलहाल नहीं है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपने मतभेद के बारे में उन्होने कहा कि जब लालू यादव और नीतीश कुमार फिर से एक हो सकते हैं, प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश दोबारा साथ आ सकते हैं तो फिर मैं नीतीश कुमार के साथ राजग में क्यों नहीं रह सकता। नीतीश से मेरी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। उन्होने माना कि नीतीश के भाजपा के साथ आने के बाद राजद सुप्रीमों लालू यादव ने उन्हें फोन किया था, परंतु गठबंधन को लेकर उनसे कोई बात नहीं हुई है। सूत्र बताते हैं कि कुशवाहा की चाहत बस इतनी है कि अगले लोकसभा चुनाव में उनके कोटे की तीनों सीटें उन्हें मिले। 

शिवसेना सांसदों को सता रहा हार का डर 
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बातचीत के बाद तेलुगूदेशम अध्यक्ष व आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू भी अब सहज दिख रहे हैं। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भी उन्हें आन्ध्रप्रदेश की मदद का आश्वासन दिया है। इसी प्रकार शिवसेना के सांसद महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा की दोस्ती तय होने के बाद प्रदेश में अपने सियासी भविष्य को लेकर चिंतित हो गए हैं। शिवसेना के एक सांसद ने साफ कहा कि दोनों कांग्रेस के साथ आ जाने के बाद शिवसेना और भाजपा का अलग होकर लड़ना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा।  
 

Created On :   10 Feb 2018 6:35 PM IST

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