Analysis : क्या गुजरात में वाकई जीत गई बीजेपी !

Analysis of gujrat assembly election
Analysis : क्या गुजरात में वाकई जीत गई बीजेपी !
Analysis : क्या गुजरात में वाकई जीत गई बीजेपी !

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गुजरात चुनाव के नतीजे भले ही बीजेपी के पक्ष में रहें हो, लेकिन राहुल गांधी की इन चुनावों में धमक से हर कोई हैरान है। बीजेपी ने ये चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा, लेकिन गढ़ होने के बावजूद चुनाव जीतने में बीजेपी के पसीने छूट गए। गुजरात चुनाव सिर्फ़ बीजेपी के जीत के लिए नहीं बल्कि राहुल गांधी के राजनीति में धमक के साथ आने के लिए भी याद किया जाएगा। ये तो कांग्रेस को भी मालूम था कि उनके लिए गुजरात के चुनाव में जीत हासिल करना इतना आसान नहीं होगा लेकिन बीजेपी को इतनी कड़ी टक्कर मिलेगी ये किसी ने नहीं सोचा था। इन चुनावों में EVM मशीन पर भी तमाम तरह के सवाल उठे, लेकिन VVPAT की दुहाई देकर हर आरोप को खारिज कर दिया गया। अगर हम वरिष्ठ पत्रकार शीला भट्ट का इन चुनावों को लेकर विश्लेषण देखे तो साफ हो जाएगा कि बीजेपी का दबदबा केवल चार बड़े शहरों में रहा है। 


ऐसे समझे गणित

अहमदाबाद में भाजपा ने 21 में 16 सीटें जीतीं 
सूरत की 16 सीटों में 15
वडोदरा की 10 में से 9
राजकोट में 8 में से 6 सीटें बीजेपी के नाम रहीं

यानी प्रदेश में चार बड़े शहर अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट में बीजेपी ने 55 सीटों में से 46 सीटें जीती। वहीं कांग्रेस को केवल 9 सीटें मिली। अब बाकी बची 127 सीटों पर नजर डाले को ये आंकड़े पूरी तरह से बदल जाते हैं। इन चार शहरों को हटाए जाने पर स्थिती कुछ ऐसी निकलकर सामने आती है।

भाजपा - 53 
कांग्रेस - 71
अन्य को - 3

इन आंकड़ों से साफ है कि बीजेपी का दबदबा केवल चार शहरों में रहा है। इतना ही नहीं रिसर्च रिपोर्ट में कई ऐसी बाते सामने आई है जो मन में शंका पैदा करती हैं। 

अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट यानी प्रदेश के चार बड़े शहरों की 55 सीटों में 46 भाजपा को मिली हैं, यह सभी वह शहर हैं जिनमें बहुत कम लगभग ना के बराबर वीवीपैट मशीन लगाई गई थी।

वागरा, गोधरा, धोलका, बोटाद, विजापूर और सूरत की सीटों पर यह माना जा रहा था व्यापारी जीएसटी और नोटबंदी के कारण बीजेपी को वोट नहीं देंगे लेकिन सभी सीटें बीजेपी जीत गई महत्वपूर्ण बात तो यह है यहां वीवीपैट मशीन लगी थी जिनकी गिनती करने से इलेक्शन कमीशन ने मना कर दिया।

इलेक्शन कमीशन ने कहा VVPAT पर्चियों का मिलान EVM से नही होगा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम दखल नही देंगे।

तीन सीटें ऐसी रही जहां कांग्रेस की जीत चुनाव आयोग द्वारा घोषित की जा चुकी थी उसके बाद BJP के आग्रह पर रीकाउंटिंग हुई और बीजेपी तीनों सीट जीत गई, अब सवाल ये उठता है दोबारा काउंटिंग में BJP के वोट कैसे बढ़ गए।

गोधरा सीट कांग्रेस 108 वोटों से जीत गई थी फिर दोबारा काउंटिंग में गोधरा सीट BJP ने 96 वोट से जीती।

गुजरात मे 50128 मतदान केन्द्र और सिर्फ 182 केन्द्रों पर VVPAT गिना गया, ऐसे में ये सवाल उठता है कि आखिर इतने कम केंद्रों पर ही ईवीएम का वीवीपैट से मिलान क्यों गया?

काउंटिंग वाले दिन पहले डेढ़ घंटे कांग्रेस बीजेपी से आगे निकल गई थी। इस समय बैलेट पेपर और पोस्टल पेपर की गिनती चल रही थी। लेकिन जैसे ही ईवीएम की गिनती शुरू हुई तो फिर कांग्रेस एक बार भी अपनी बढ़त बनाने में कामयाब नहीं रही।

बेडरोड़ गांव बूथ नंबर 19 में कुल वोटों की संख्या 1199 है। लेकिन इलेक्शन कमिशन ने वोटों की गिनती 1776 कर दी जब की कुल वोट 1199 ही थे।

प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी का गढ़ माने जाने वाली वडनगर सीट पर BJP को जीत का पूरा भरोसा था। इस सीट पर VVPAT मशीनें भी लगाई गई थी। लेकिन बीजेपी यह सीट 19000 वोटों से हार गई।

भारत को ईवीएम चिप देने वाली कंपनी ने अमेरिका की अदालत में यह स्वीकार किया कि उसके प्रोडक्ट की हैकिंग हो सकती है। ऐसे में इलेक्शन कमीशन यह क्यों कह रहा है हैक नहीं हो सकती?

इस चुनावी विश्लेषण पर अगर गौर किया जाए तो कही न कही ये बीजेपी की जीत को लेकर संदेह पैदा करता है। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भी लगातार इस चुनाव में EVM गड़बड़ी को लेकर सवाल उठाते रहे है। ऐसे में अब इन चुनावी नतीजों को बदला तो नहीं जा सकता लेकिन EVM को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब सरकार को देना चाहिए। क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया गया तो फिर आने वाले चुनावों में भी इसका असर देखने को मिलेगा। 

Created On :   25 Dec 2017 5:28 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story