‘मिसाइल मैन’कलाम की जयंती आज, अपने आखिरी भाषण में पूछा था ‘ये’ सवाल

डिजिटल डेस्क, भोपाल। भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से जाने जाने वाले अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम ‘जनता के राष्ट्रपति’ के नाम से भी लोगों में लोकप्रिय हैं। आज उनकी 86वीं जयंती के अवसर पर पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें उनके जयंती पर याद किया और ट्वीटर पर वीडियो के साथ उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी। इस वीडियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके सरल स्वभाव को बताया और जीवन पर प्रकाश डाला। इसमें उन्होनें कहा कि कलाम साहब कहते थे देश सरहदों से नहीं कोटि-कोटि लोगों से बनता था, वो राष्ट्रपति बने उससे पहले वो राष्ट्र रत्न थे उनका जीवन हमें हमेशा ही प्रेरणा देता रहेगा, साथ ही उन्होनें इस पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा “ Remembering our beloved former President, Dr. APJ Abdul Kalam on his birth anniversary. His endearing personality inspires millions. “
Remembering our beloved former President, Dr. APJ Abdul Kalam on his birth anniversary. His endearing personality inspires millions. pic.twitter.com/epto5woyPb
— Narendra Modi (@narendramodi) 15 October 2017
जीवन पर एक नजर...
पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन की अगर बात करें तो कहते हैं ना कि ‘तप कर ही सोना, सोना कहाता है’ ठीक ऐसे अब्दुल कलाम का जीवन संघर्ष का सजीव उदाहरण है। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उनके पिता पेशे से नाविक थे और ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे। चूकिं तमिलनाडू भारत के तटवर्तीय इलाकों में एक है तो नावों के जरिए ही अपनी गुजर बसर करते थे। अब्दुल का परिवार बड़ा परिवार था उनके परिवार में पांच भाई और पांच बहने थी तो उनकी चलाने के लिए पिता की आमदनी बहुत कम थी। इसलिए शुरुआती शिक्षा के लिए कलाम को अखबार बेचने का काम भी करना पड़ा।
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संघर्ष का दूसरा नाम ‘कलाम’
ये कहना गलत नहीं होगा क्योकिं आठ साल की उर्म में से ही वो सुबह चार बजे उठते थे और नहा कर गणित का ट्यूशन पढ़ने चले जाते थे, उसके पीछे कारण ये था उनके टीचर हर साल पांच बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते थे बशर्ते वो रोज नहा कर आएं। तो कलाम अपनी गरीबी को आड़े न आने देते हुए अपने जूनुन के बल सुबह चार बजे नहाकर ट्यूशन पहुंच जाते थे। उसके बाद शुरु होता था संघर्ष, वो ट्यूशन के बाद नमाज पढ़ कर आठ बजे रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस अड्ड़ों पर घूम कर पेपर बांटते थे। इन्ही सब संघर्ष के बीच उन्होनें अपने काम के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी और सेंट जोसेफ कॉलेज तिरूचिरापल्ली से अपनी पढ़ाई पूरी की।
भारतीय तकनीक के विकास में अहम योगदान
इसके बाद 1962 में डॉ कलाम इसरो पहुचें और इन्हें के नेतृत्व में भारत ने पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 लॉंच किया। साईंटिस्ट डॉ कलाम ने भारतीय तकनीक से ही अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसालइलें बनाई और भारत का नाम विश्व में ऊंचा किया।
कलाम का राजनैतिक ‘सफर’ एक नजर
कलाम राष्ट्रपित के साथ-साथ रक्षा मंत्री का प्रभार भी संभाल चुके हैं। कलाम के रक्षा मंत्री रहते हुए सन् 1992 से 1999 तक भारतीय रक्षा मंत्रालय ने कई नए मुकाम हासिल किए, इन्हें के दौर में अटल बिहारी वाजपेयी के रहते हुए न्युक्लियर टेस्ट किए गए और भारत को परमाणु हथियार बनाने वाले देश में शामिल हो गए।
कलाम का ‘विजन 2020’
एपीजे अब्दुल कलाम ने ही विजन 2020 दिया। इसका मतलब ये था कि भारत को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तरक्की करने के लिए लक्ष्य निर्धारण किया। कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। 1982 में कलाम को डीआरडीएल (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री) का डायरेक्टर बनाया गया। उसी दौरान अन्ना यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया। उनके नेतृत्व में पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग नाम के मिसाइल बनाए गए। कलाम ने अपने सपने रेक्स को अग्नि नाम दिया। सबसे पहले सितंबर 1985 में त्रिशूल फिर फरवरी 1988 में पृथ्वी और मई 1989 में अग्नि का परीक्षण किया गया।
ऐसे पड़ा मिसाइल मैन नाम
डॉ कलाम के नेतृत्व में कई सारी मिसाइलें बनाई गई लेकिन ब्रह्मोस ने उन्हें मिसाइल मैन की उपाधि दिलवायी। 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रुज मिसाइलों पर काम शुरु किया गया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गयी। यही ब्रह्मोस का भी निर्माण हुआ, बह्मोस ऐसी मिसाइल है जो धरती, आसमान और समुंद्र तक में दागी जा सकती है। इसी मिसाइल से उन्हें सबसे ज्यादा प्रसिद्धि मिली और उन्हें पद्म विभुषण से सम्मानित किया।
राष्ट्रपति से पहले बने भारत रत्न
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण,1990 में पद्म विभुषण और 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। डॉ अब्दुल कलाम राष्ट्रपति बनने से पहले ही भारत रत्न का सम्मान पा चुके थे। उन्हें साल 2002 में भारत के राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया था, 2007 तक वो इस पद पर रहे और कार्यकाल पूरा होने के बाद वे वापस शिक्षा,लेखन और सार्वजनिक सेवा में लौट गए थे।
आखिरी पलों में पूछा था ‘ये’ सवाल
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 को शिलॉंग में हुआ। जहां वो आईआईएम में लेक्चर देने गए थे इसी दौरान मंच पर भाषण देने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गयी थी। वैसे आप लोगों को ये जानकर हैरानी होगी कि डॉ कलाम की आखिरी इच्छा थी कि वो एक अध्यापक के तौर पर जाने जाएं और वैसा ही हुआ अपने आखिरी समय में वो विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे। इस दौरान दौरा पड़ने के पहले उन्होनें आखिरी सवाल पूछा था इस दुनिया को जीने लायक कैसे बनाया जाए। कलाम ने अपने जीवन में बहुत सी ऐसी बातें की जो आज भी लोगों को प्रेरित कर रही हैं और हमेशा करती रहेगी।
Created On :   15 Oct 2017 10:49 AM IST