आर्मी डे : हथियार नहीं, हौसलों से लड़ते हुए भारतीय सेना ने चटाई है दुश्मनों को धूल
- भारत हर साल 15 जनवरी को आर्मी डे के रूप में मनाता है।
- 15 जनवरी
- 1949 को भारतीय सेना ने पहली बार ब्रिटिश अधिकारियों से कमान अपने हाथ में ली थी।
- इस दिन भारतीय सेना अपने दमखम का प्रदर्शन करती है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। "सर्विस बिफोर सेल्फ" यानि खुद से पहले सेवा के बारे में सोचने का जज्बा केवल और केवल भारतीय सेना में ही हो सकता है। इसी जज्बे को बरकरार रखने के लिए भारत हर साल 15 जनवरी को आर्मी डे मनाता है। कर्म ही धर्म है (बिहार रेजिमेंट), वीर भोग्ये वसुंधरा (राजपुताना राइफल्स), पराक्रमो विजयते (कुमाऊं रेजिमेंट), निश्चय कर अपनी जीत करूं ( सिख रेजिमेंट) जैसे विजयी मंत्र के साथ चलने वाली भारतीय सेना दुश्मनों को किसी भी समय और कहीं भी ढेर करने का माद्दा रखती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 1965, 1971 और 1999 भारत-पाक युद्ध है, जब भारतीय सेना ने पाक सेना को धूल चाटने पर मजबूर कर दिया था। इन सभी गाथाओं के साथ भारतीय सेना हर साल 15 जनवरी को अपनी विजय को सेलीब्रेट करती है।
इस दिन भारतीय सेना अपने दमखम का प्रदर्शन करने के साथ-साथ, उस दिन को याद करती है जब भारतीय सेना ने पहली बार ब्रिटिश अधिकारियों से कमान अपने हाथ में ली थी। दरअसल सेना दिवस 15 जनवरी, 1949 में फील्ड मार्शल केएम करियप्पा द्वारा ब्रिटिश कमांडर इन चीफ सर फ्रांसिस बुचर से कमान अपने हाथ में लिए जाने को लेकर मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के लिए आर्मी परेड का आयोजन करती है। इसके साथ ही अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी जाती है। हालांकि इस बार का आर्मी परेड कुछ खास होने जा रहा है, क्योंकि इस साल परेड का नेतृत्व एक महिला अफसर करेंगी। जबकि आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत सेनाओं की सलामी लेंगे।
इस साल सेना दिवस के मौके पर लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी आर्मी बिग्रेड को लीड करेंगी। इसके अलावा सेना के सभी मुख्यालयों से परेड का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही कई अन्य मिलिट्री शो भी आयोजित होंगे। बता दें कि आर्मी डे पर शाम को आर्मी चीफ टी पार्टी भी आयोजित करते हैं। इसमें तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिमंडल के सदस्य हिस्सा लेते हैं।
आर्मी डे के मौके पर जानते हैं सेना की कुछ खास उपलब्धियां..
1962 भारत-चीन युद्ध
भारत-चीन युद्ध 1962 में हुआ था। चीन से यह युद्ध सीमा विवाद को लेकर हुआ था। यह युद्ध भारतीय सेना द्वारा लड़े गए सबसे कठिन युद्धों में से एक है, क्योंकि इस युद्ध में ज्यादातर लड़ाई 4250 मीटर (14,000 फीट) से अधिक ऊंचाई पर लड़ी गयी। इस युद्ध में भारतीय और चीनी सेना दोनों ने नौसेना या वायु सेना का उपयोग नहीं किया था।
1965 भारत-पाक युद्ध
1962 में चीन के साथ युद्ध के बाद पाक सेना को लगा कि इतने बड़े युद्ध से भारतीय सेना कमजोर हो चुकी है। यह सोच कर पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर में घुसपैठ शुरू कर दी। इसके परिणाम में 1965 में भारत-पाक युद्ध शुरू हुआ। भारतीय सेना का पराक्रम इस युद्ध में भी जारी रहा और भारत ने पाकिस्तान के कई क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था। इस युद्ध में भारत स्पष्ट रूप से जीता था।
1971 भारत-पाक युद्ध
1965 युद्ध के बाद पाकिस्तान हार बर्दाश्त नहीं कर सका और 1971 में भारत पर फिर से आक्रमण कर दिया। 1971 भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया और बांग्लादेश के रूप में एक नया देश बना। 16 दिसंबर को ही पाकिस्तानी सेना ने सरेंडर किया था। यह युद्ध मात्र 13 दिनों तक चला था। यह सबसे कम दिनों तक चलने वाले युद्धों में से एक है। इस युद्ध के बाद पाकिस्तानी सेना के करीब 93,000 सैनिकों और अधिकारियों ने सरेंडर किया था। दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद हिरासत में लिए गए कैदियों की यह सबसे बड़ी संख्या थी। इस युद्ध के बाद ही बांग्लादेश का निर्माण हुआ था।
1999 कारगिल युद्ध
कारगिल युद्ध को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है। 26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी। इस दिन को हर साल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। करीब दो महीने तक चले कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने साहस और जांबाजी का बड़ा उदाहरण पेश किया था। इस युद्ध में भारतीय सेना ने करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर युद्ध लड़ा था। इस युद्ध में देश ने लगभग 527 से ज्यादा वीर जवानों को खोया था, वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे।
Created On :   14 Jan 2019 10:19 PM IST