जज विवाद : बार काउंसिल ऑफ इंडिया की 7 सदस्यीय कमिटी दूर करेगी मतभेद

Bar Council of India committee will resolve dispute between supreme court judges
जज विवाद : बार काउंसिल ऑफ इंडिया की 7 सदस्यीय कमिटी दूर करेगी मतभेद
जज विवाद : बार काउंसिल ऑफ इंडिया की 7 सदस्यीय कमिटी दूर करेगी मतभेद

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर सवाल उठाने के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस मामले को सुलझाने का जिम्मा उठाया है। बार काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट के जजों और चीफ जस्टिस के बीच मतभेद खत्म करने के लिए 7 सदस्यों की एक कमिटी बनाई है। यह कमिटी इस पूरे विवाद पर जजों और चीफ जस्टिस से बात करेगी।

शुक्रवार को जजों के बीच मतभेद सामने आने के बाद शनिवार शाम 5 बजे इस मामले पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने बैठक की। बैठक के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्रा ने बताया, "हमारा 7 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल रविवार को सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों से इस मामले पर बात करेगा। हम उनसे आग्रह करेंगे कि मामले को शांतिपूर्ण तरीक से और जल्द से जल्द सुलझाएं।" उन्होंने कहा, "न्यायपालिका पर लोगों का अटूट विश्वास है, हमारी कोशिश है कि लोगों का यह विश्वास टूटने न पाए।"

मनन मिश्रा ने बताया कि बातचीत के लिए सभी जजों से इसके लिए समय मांगा जा रहा है। अधिकांश जजों ने अपनी सहमति दे दी है और बाकी जजों से भी जल्द ही सहमति ले ली जाएगी।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने शुक्रवार को देश के इतिहास में पहली बार चीफ जस्टिस पर सवाल खड़े किए थे। इन जजों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है और यदि ऐसा ही चलता रहा, तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस जे चेलामेश्वर के नेतृत्व में जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मीडिया के सामने यह बातें रखी थी।

मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए जजों ने कहा था, "करीब दो महीने पहले हमनें चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर बताया कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए हमनें देश के सामने यह बात रखने की सोची।" इस दौरान जजों ने यह भी कहा कि वे नहीं चाहते कि 20 साल बाद कोई बोले कि जस्टिस चेलामेश्वर, गोगोई, लोकुर और कुरियन जोसेफ ने अपनी आत्मा बेच दी और संविधान के मुताबिक सही फैसले नहीं दिए।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब जजों से पूछा गया कि क्या ये जस्टिस लोया की संदिग्ध मौत से जुड़ा मामला है, तो इस पर जजों ने हां भरी। बता दें कि जस्टिस बीएच लोया की 1 दिसंबर 2014 को हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। वे सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे। गुजरात के इस चर्चित मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत गुजरात पुलिस के कई आला अधिकारियों के नाम आए थे। जजों का आरोप था कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट प्रशासन कदम उठा सकता था लेकिन नहीं उठाए गए। इसके साथ ही जजों ने कुछ अहम मामलों के सुप्रीम कोर्ट में बटवारे पर भी सवाल उठाए थे।

Created On :   13 Jan 2018 6:41 PM IST

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