बिहार : रेशम की महिलाओं से पूर्णिया की देश में चर्चा

Bihar: Purnias discussion with silk women in the country
बिहार : रेशम की महिलाओं से पूर्णिया की देश में चर्चा
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पूर्णिया, 24 फरवरी (आईएएनएस)। करीब-करीब प्रतिवर्ष बाढ़ की कहर झेलने वाले बिहार के पूर्णिया क्षेत्र की महिलाओं ने खुद को स्वावलंबी बनाने का ऐसा मार्ग चुना कि आज इनकी चर्चा ना केवल राज्य में बल्कि देश में होने लगी है। आज ये रेशमी महिलाएं अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणस्रोत बन गई हैं। अब तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इनकी चर्चा अपने मन की बात तक में कर दी है।

आमतौर पर कृषि क्षेत्र में पुरुषों का कर्म क्षेत्र माना जाता है, लेकिन बनमनखी, धमदाहा, जलालगढ़ सहित कई क्षेत्रों की महिलाओं ने कृषि के क्षेत्र को ही अपने जीविका का साधन चुना और स्वावलंबी बनने को ठान ली। आज ये महिलाएं मलबरी की खेती करने लगी और फिर इसपर रेशम के कीड़ों से कोकून तैयार कर रेशम के धागे तैयार कर रही हैं।

महिलाएं बताती हैं कि पहले केवल कोकून तैयार करती थी, जिसका उन्हें बहुत मामूली दाम मिलता था। जबकि उसे खरीदने वाले लोग, इन्हीं कोकून से रेशम का धागा बनाकर मोटा मुनाफा कमाते थे। महिलाओं ने सरकार के सहयोग से, मलबरी-उत्पादन समूह बनाए। इसके बाद उन्होंने कोकून से रेशम के धागे तैयार किए और फिर उन धागों से खुद ही साड़ियां बनवाना भी शुरू कर दिया।

आदर्श जीविका महिला मलबरी रेशम कृषि समूह, धमदाहा की अध्यक्ष नीतू कुमारी ने बताया कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनी हैं। उन्होंने कहा कि पूर्णिया जिला में सैकड़ों महिलाएं कोकून से रेशम का धागा तैयार कर रही हैं, कई तो साड़ियां तक तैयार करवा रही हैं।

जीविका के जिला प्रबंधक सुनिर्मल गरेन कहा कि मुख्यमंत्री कोसी मलवरी परियोजना के तहत जीविका, उद्योग विभाग, मनरेगा एंव केंद्रीय रेशम बोर्ड के प्रयास से महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए इस योजना की शुरुआत की गई। 55 किसानों से साल 2015-16 में शुरू की गई मलबरी की खेती के आज 952 से ज्यादा जीविका समूह की दीदियां रेशम का उत्पादन कर रही हैं।

उन्होंने बताया कि महिलाओं को सीधे लाभ मिले इसके लिए वूमेन फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी बनाए जाने की योजना बनाई गई है। कंपनी एक्ट के तहत इसका जल्द ही रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा। इसमें कोकून से रेशम धागा तैयार करने वाली महिलाएं सदस्य होंगी। बिक्री से जो भी मुनाफा होगा। सभी शेयर होल्डरों के बीच यह वितरित किया जाएगा।

गरेन आईएएनएस को बताते हैं कि कोकून से रेशम धागा तैयार करने के लिए किशनगंज में रेलिंग सेंटर को जल्द ही शुरू किया जाएगा।

किसुनपुर बलुआ गांव की महिलाएं कहती हैं कि इस गांव में कुछ दिनों पहले तक रोजी-रोटी की समस्या थी, लेकिन आज स्थिति बदल गई है। आदिवासी बहुल इस इलाके में कई महिलाएं पहले अवैध शराब के धंधे में लिप्त थीं, लेकिन आज ये महिलाएं दूसरे के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं। गांव की मीरा देवी कहती हैं कि गांव की 300 से ज्यादा महिलाएं मलबरी के कोकून से रेशम का धागा तैयार कर रही हैं।

महिलाएं बताती हैं, पूर्णिया के कई गांवों के किसान दीदियां, अब न केवल साड़ियां तैयार करवा रही हैं, बल्कि बड़े मेलों में, अपने स्टॉल लगाकर बेच भी रही हैं।

सुनिर्मल गरेन ने बताया कि पूर्णिया जिला के आदर्श जीविका महिला मलबरी रेशम उत्पादक समूह के द्वारा उत्पादित कोकून का धागाकरण व बुनाई करने के बाद कुल 130 डिजाइनर सिल्क साड़ी का निर्माण बांका जिला के कटोरिया, भागलपुर जिला के नाथनगर एवं पश्चिम बंगाल के मालदा, मुर्शिदाबाद एवं वीरभूमि जिले के बुनकरों द्वारा कराया गया है।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने मन की बात में इन महिलाओं की प्रशंसा करते हुए कहा था, पूर्णिया की कहानी देश के लोगों को प्रेरणा से भर देने वाली है। विषम परिस्थितियों में पूर्णिया की कुछ महिलाओं ने एक अलग रास्ता चुना। ये वो इलाका है जो दशकों से बाढ़ की त्रासदी से जूझता रहा। यहां खेती और आय के अन्य संसाधनों को जुटाना बहुत मुश्किल रहा है। मगर कुछ महिलाओं ने कोकून से रेशम तैयार कर रेशमी साड़ी का उत्पादन किया। इसकी देशभर में तारीफ हो रही है।

बहरहाल, इसमें कोई शक नहीं पूर्णिया की महिलाओं ने ना केवल खुद के लिए स्वालंबन का रास्ता ढूंढा है, बल्कि आसपास की महिलाओं को प्रेरणा भी दे रही है। इधर, प्रधानमंत्री की तारीफ से यहां की महिलाएं भी खुश और उत्साहित हैं।

Created On :   24 Feb 2020 10:31 PM IST

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