38 साल की हुई बीजेपी, जानें 2 सीटों से लेकर 282 सीटों तक का पूरा सफर

38 साल की हुई बीजेपी, जानें 2 सीटों से लेकर 282 सीटों तक का पूरा सफर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शुक्रवार को 38 साल की हो गई। आज के समय में बीजेपी देश ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी है। अगर देखा जाए तो बीजेपी का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है, लेकिन पार्टी ने इतने कम सालों में जिस तरह से अपना विस्तार किया है। उस तरह का विस्तार भारत में शायद ही कोई पार्टी कर पाई हो। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जो पार्टी 38 साल पहले सिर्फ 2 सीटें ही जीत पाई थी, वो आज पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में है। बीजेपी की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को की गई थी और इससे पहले तक इसे भारतीय जन संघ के नाम से जाना जाता था। आज बीजेपी के 38 साल पूरे होने के मौके पर bhaskarhindi.com आपको बीजेपी के उस सफर के बारे में बताने जा रहा है, जो उसने 38 सालों में तय किया। 

 

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भारतीय जन संघ 

भारतीय जन संघ की स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आजादी के 4 साल बाद यानी 1951 में की थी, जिसका चुनाव चिह्न "दीपक" था। पार्टी को शुरुआती सालों में कोई खास सफलता नहीं मिली, लेकिन अपनी पहचान स्थापित करने में पार्टी जरूर कामयाब हुई। शुरुआत से ही भारतीय जन संघ कश्मीर, और गौरक्षा जैसे मुद्दों पर जोर देता रहा। इसके साथ ही पार्टी ने कांग्रेस का विरोध करना भी जारी रखा, लेकिन जनता में कांग्रेस को लेकर काफी विश्वास था। लिहाजा जन संघ ने कांग्रेस का विरोध करने के लिए जयप्रकाश नारायण, जिन्हें जेपी के नाम से जाना जाता है, का समर्थन किया। वो जेपी ही थे, जिन्होंने इंदिरा के खिलाफ "सिंहासन हटाओ कि जनता आती है" का नारा दिया था। जनसंघ को देश में पहचान मिली ही थी, कि इंदिरा गांधी ने 1975 में इमरजेंसी लगा दी। इस दौरान सरकार ने जन संघ के भी कई नेताओं को जेल में डाल दिया। 

जनता पार्टी की शुरुआत

इमरजेंसी लागू कर देने के कारण देश में इंदिरा गांधी के खिलाफ भयंकर माहौल था। साल 1977 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जन संघ में बाकी विपक्षी पार्टियों का विलय हुआ, जिसे "जनता पार्टी" नाम दिया गया। 1977 के चुनावों में कांग्रेस 153 सीटों पर सिमट गई, जबकि जनता पार्टी भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई। हालात ये थे कि खुद इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से अपना चुनाव हार गई थी। जनता पार्टी की सरकार में मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने और भारतीय जन संघ के कार्यकर्ता रहे अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री और लालकृष्ण आडवाणी को सूचना-प्रसारण मंत्री बनाया गया। देश में आजादी के बाद पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी थी। हालांकि गुटबाजी और आतंरिक लड़ाई की वजह से ये सरकार सिर्फ 30 महीनों में ही गिर गई। 

 

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भारतीय जनता पार्टी की स्थापना

मोरारजी देसाई की सरकार गिरने के बाद 1980 में चुनाव हुए। इन चुनावों में कांग्रेस ने वापसी की और अपनी सरकार बनाई, जबकि टूटी हुई जनता पार्टी बुरी तरह हारी। चुनावों में हार के बाद भारतीय जन संघ ने जनता पार्टी से नाता तोड़ा और 6 अप्रैल 1980 को एक नई पार्टी बनाई। नई पार्टी को "भारतीय जनता पार्टी" यानी "बीजेपी" का नाम दिया गया। बीजेपी का पहला अधिवेशन दिसंबर 1980 में मुंबई में हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी, बीजेपी के पहले अध्यक्ष बने। इसके बाद बीजेपी ने कांग्रेस को घेरना शुरू किया और इंदिरा सरकार पर लगातार हमले जारी रखे। 

पहले चुनावों में सिर्फ 2 सीटें

31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की मौत के बाद आम चुनाव हुए। बीजेपी के लिए ये पहला लोकसभा चुनाव था। इन चुनावों में कांग्रेस को 426 सीटों पर जीत मिली और राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। जबकि बीजेपी सिर्फ 2 सीटें ही जीत पाई। 1984 में बीजेपी ने जिन दो सीटों पर जीत दर्ज की, उनमें पहली गुजरात की मेहसाणा सीट थी जहां से डॉ. एके पटेल सांसद बने और दूसरी आंध्र प्रदेश की हनमकोंडा सीट थी, जहां से चेंदूपातला जंगा रेड्डी सांसद बने थे। चुनावों में अटल बिहारी वाजपेयी हार गए थे, जबकि लालकृष्ण आडवाणी ने चुनाव नहीं लड़ा था।

 

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लालकृष्ण आडवाणी बने अध्यक्ष

अटल बिहारी वाजपेयी के लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के दूसरे अध्यक्ष बने। उन्होंने 1986 में बीजेपी अध्यक्ष का पद संभाला। इसके बाद बीजेपी ने अपना संगठन मजबूत करने के लिए बहुत मेहनत की। इसका नतीजा ये रहा कि 1989 के चुनावों में बीजेपी 2 सीटों से सीधे 89 सीटों तक पहुंच गई। बीजेपी ने विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार को बाहर से समर्थन दिया। इसी दौरान 1990 से आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली। आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद बीजेपी ने वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई। 

पहली बार बीजेपी 100 सीटों के पार पहुंची

1991 में चुनाव प्रचार के दौरान ही राजीव गांधी की हत्या हो गई। इन चुनावों में बीजेपी ने पहली बार 100 सीटों का आंकड़ा पार किया और 120 सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, लेकिन पीवी नरसिम्हा राव अल्पमत की सरकार चलाते रहे। इस बीच बीजेपी ने भी अपना विरोध जारी रखा। 

 

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पहली बार सत्ता में आई बीजेपी की सरकार

1996 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। बीजेपी को चुनावों में 161 सीटें मिलीं। तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ भी ली, लेकिन लोकसभा में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से उनकी सरकार सिर्फ 13 दिन में ही गिर गई। इसके बाद कांग्रेस ने बाहर से समर्थन देकर एचडी देवगौड़ा और इंदर कुमार गुजराल की सरकारें बनवाईं, लेकिन दोनों ही सरकारें अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाईं।

जब एक वोट से गिर गई वाजपेयी सरकार

1998 में एक बार फिर लोकसभा चुनाव हुए और बीजेपी ने 182 सीटों पर जीत दर्ज की। बीजेपी ने कई क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। अटल बिहारी वाजपेयी एक बार फिर प्रधानमंत्री बनाए गए। सबकुछ ठीक चल रहा था, तभी करीब 13 महीनों बाद जयललिता की पार्टी AIADMK ने अटल सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। इसकी वजह थी कि तमिलनाडु में जयललिता सत्ता से बाहर हो गई थी और करुणानिधि की सरकार बनी। जयललिता चाहती थी कि केंद्र सरकार करुणानिधि की सरकार को भ्रष्टाचार के आरोपों के बहाने बर्खास्त कर दे और दोबारा विधानसभा चुनाव कराए, लेकिन अटल सरकार ने ऐसा करने से मना कर दिया। जिसके बाद जयललिता ने अपना समर्थन वापस ले लिया। जब लोकसभा में विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई, तो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार सिर्फ 1 वोट से गिर गई। 

 

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पहली बार अटल सरकार का कार्यकाल हुआ पूरा

इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने 20 से ज्यादा पार्टियों के साथ गठबंधन किया, जिसे नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) नाम दिया। 1999 के चुनावों में NDA को पूर्ण बहुमत मिला और पहली बार अटल सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया। 2004 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी सिर्फ 138 सीटों पर सिमट गई और कांग्रेस की सरकार बनी। इसके बाद लालकृष्ण आडवाणी तीसरी बार बीजेपी के अध्यक्ष बने। हालांकि 2005 में ही राजनाथ सिंह को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया। 

2004-2013 तक कई राज्यों में बीजेपी की सरकार

2004 चुनावों में बीजेपी भले ही हार गई, लेकिन उसका संगठन मजबूत होता चला गया। बीजेपी ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान समेत कई राज्यों में सरकार बनाई। बीजेपी अब तक कांग्रेस के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर चुकी थी। बीजेपी हिंदुत्व के दम पर अपना विस्तार करती रही और विधानसभा चुनाव जीतती रही। 2008 में बीजेपी ने पहली बार दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में भी अपनी सरकार बनाई। हालांकि 2009 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी फिर हारी और सिर्फ 116 सीटें ही जीत सकी।

 

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2014 में पहली बार बीजेपी को स्पष्ट बहुमत

सितंबर 2013 में बीजेपी नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किया। नरेंद्र मोदी ने देश में जमकर प्रचार किया और कांग्रेस को घेरा। बीजेपी ने 2014 के चुनावों में हिंदुत्व का सहारा लेते हुए विकास का वादा भी किया। "अच्छे दिन" का नारा दिया गया। 2014 के लोकसभा चुनावों में देश के इतिहास में पहली बार किसी गैर-कांग्रेसी पार्टी ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया। इन चुनावों में बीजेपी ने अकेले ही 282 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि NDA ने 334 सीटें हासिल की। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पार्टी ने कई राज्यों में अपनी सरकार बनाई, जिनमें कश्मीर भी शामिल है। 2014 में बीजेपी के पास सिर्फ 5 राज्य थे, लेकिन आज की तारीख में बीजेपी और उसके सहयोगियों की 21 राज्यों में सरकार है। 

 

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2016-2018 तक बड़े राज्यों पर कब्जा

2016-2018 तक इन दो सालों में बीजेपी ने देश के बड़े राज्यों में अपना कब्जा किया। 2016 में बीजेपी असम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्यों में अपनी सरकारें बनाई। 2017 में बीजेपी ने सबसे ज्यादा अच्छा प्रदर्शन उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में किया। यूपी चुनावों में बीजेपी ने 403 में से 325 सीटों पर जीत हासिल की और योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया। ये पहली बार था जब यूपी में बीजेपी ने अकेले दम पर इतनी सीटों के साथ सरकार बनाई। इसके बाद बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर जैसे राज्य कांग्रेस से छीन लिए। इन दो सालों में बीजेपी न सिर्फ दूसरे राज्यों में सरकार बनाने में कामयाब हुई, बल्कि अपनी सरकार बचाने में कामयाब रही। 2018 में अभी तीन राज्यों त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में चुनाव हुए और तीनों राज्यों में बीजेपी ने सरकार बनाई। त्रिपुरा में बीजेपी ने 25 सालों से जमे लेफ्ट के किले को ढहा दिया और पहली बार राज्य में अपनी सरकार बनाई। बीजेपी को 60 में से 35 सीटें मिलीं। अब बीजेपी का अगला टारगेट कर्नाटक है, जहां 12 मई को चुनाव होने हैं। 

Created On :   6 April 2018 12:03 PM IST

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