फिटनेस टेस्ट को लेकर कोर्ट नाराज, टाटा समूह के पूर्व चेयरमेन मिस्त्री को राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। टाटा समूह के पूर्व चेयरमेन सायरस मिस्त्री को बांबे हाईकोर्ट ने राहत प्रदान की है। बुधवार को बांबे हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगाने से मना कर दिया जिसके तहत मिस्त्री के खिलाफ 500 करोड रुपए के मानहानि के मामले में जारी समन को रद्द कर दिया गया था। जुलाई 2017 में मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने मिस्त्री के खिलाफ समन जारी किया था। जिसे उन्होंने सत्र न्यायाल में चुनौती दी थी। सत्र न्यायालय ने समन को रद्द कर दिया है। अब सत्र न्यायालय के आदेश को टाटा समूह के ट्रस्टी एन.व्यर्ट रमन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में सत्र न्यायालय के आदेश को मनमानीपूर्ण व खामी पूर्ण बताया गया है। न्यायमूर्ति नितिन सांब्रे ने बुधवार को मामले से जुड़े दोनों पक्षो को सुनने के बाद याचिका को विचारार्थ मंजूर कर लिया और मामले की सुनवाई 25 जून तक के लिए स्थगित कर दी।
टाटा समूह के पूर्व चेयरमेन मिस्त्री को राहत
बांबे हाईकोर्ट ने वाहनों के फिटनेस टेस्ट को लेकर सरकार के रुख पर नाराजगी जाहिर की है और राज्य के मुख्य सचिव के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी करने के संकेत दिए है। न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने कहा कि नए वाहनों को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करते समय करीब 170 पहलूओं की जांच करनी चाहिए लेकिन आरटीओ अधिकारी सिर्फ 28 पहलूओं की जांच करते है। जो कि नियमों व अदालत के निर्देशों के खिलाफ है। खंडपीठ ने कहा कि सरकार के रुख से ऐसा महसूस होता है कि वह यह अभास करना चाहती है कि कोर्ट भले ही कितने निर्देश दे पर वह उनका पालन नहीं करेगी। खंडपीठ ने कहा कि सरकार परिपत्र जारी करके कानून की अनदेखी नहीं कर सकती है। यदि इस मामले में हमे सरकार का रुख नियमों व अदालत के आदेश के खिलाफ दिखेगा तो हम राज्य के मुख्य सचिव के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी करेगे।
वाहनों में आपत स्थित में निकलने के लिए दरवाजा नहीं
वाहनों को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करने में बरती जा रही लापरवाही को आधार बनाकर समाजिक कार्यकर्ता श्रीकांत कर्वे ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। सुनवाई के दौरान कर्वे ने कहा कि नए वाहनों का ढांचा बनानेवाले की रिपोर्ट के आधार पर फिटनेस प्रमाणपत्र जारी किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि कई नए वाहनों में आपत स्थित में निकलने के लिए दरवाजा नहीं होता है। जिसके चलते हादसे की स्थिति में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। इस दौरान उन्होंने कोल्हापुर में हुए एक बस हादसे का भी जिक्र किया। सरकारी वकील अभिनंदन व्यज्ञानी ने कहा कि हम नियमों का पालन करने के बाद ही वाहनों को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करते है। इस दौरान उन्होंने हलफनामा भी दायर किया। जिस पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर की और मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
Created On :   7 March 2018 8:50 PM IST