मिशन 2022 से पहले भाजपा को आईना दिखा गए उपचुनाव परिणाम

Bypoll results shown to BJP before Mission 2022
मिशन 2022 से पहले भाजपा को आईना दिखा गए उपचुनाव परिणाम
मिशन 2022 से पहले भाजपा को आईना दिखा गए उपचुनाव परिणाम

लखनऊ, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव में जीत से उत्साहित भाजपा को 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के परिणाम ने 2022 से पहले ही आईना दिखा दिया है। भाजपा भले ही सात सीटें जीतने में कामयाब हुई है, लेकिन उसे हर सीट पर विपक्ष से कड़ा संघर्ष करना पड़ा है।

उपचुनाव में मजबूत किलेबंदी के बावजूद भाजपा को अपनी जैदपुर सीट गंवानी पड़ी है। इसके अलावा भाजपा का वोट प्रतिशत 2017 के मुकाबले बहुत घट गया है। भाजपा का लगभग हर सीट पर मतदान प्रतिशत घटना भी चिंता का विषय है। सिर्फ लखनऊ कैंट और बलहा ऐसी दो सीटें हैं, जहां पार्टी ने 2017 का प्रदर्शन बरकरार रखा है। हां रामपुर में हार के बावजूद पार्टी के वोट बढ़े हैं।

सहारनपुर की गंगोह विस सीट पर इस उपचुनाव में कुल 60़ 30 प्रतिशत मतदान हुआ। यहां जीत के बावजूद भाजपा का वोट लगभग आठ फीसद घट गया।

इस सीट पर हुए कुल 60़ 30 प्रतिशत मतदान में भाजपा को महज 30.41 प्रतिशत ही वोट मिले। 2017 के आम चुनाव में गंगोह सीट पर कुल 71़ 92 प्रतिशत वोट पड़े थे और भाजपा ने 38.78 प्रतिशत वोट के साथ जीत हासिल की थी।

राजनीतिक पंडितों के अनुसार, विपक्ष जब बिखरा हुआ है तब भाजपा की यह हालत है, तो यदि विपक्ष एकजुट होता तब तो नतीजे ही कुछ और होते। भाजपा संगठन ने 22 जून से ही सभी सीटों पर सरकार के एक मंत्री और संगठन के एक प्रदेश पदाधिकारी को जिम्मेदारी देकर जीत के लिए अभियान शुरू कर दिया था। मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने सभी सीटों पर चुनावी अधिसूचना जारी होने से पहले और बाद में एक-एक बार जरूर दौरा किया था। इसके बावजूद पार्टी को जैदपुर सीट गंवानी पड़ी। विपक्ष की ओर से अखिलेश यादव एक सीट पर प्रचार करने गए थे और उनकी पार्टी को तीन सीटों पर जीत हासिल हुई। हर सीट पर उनका वोट प्रतिशत भी बढ़ा है। भाजपा को घोषी सीट पर काफी संघर्ष करना पड़ा और पार्टी प्रत्याशी मात्र 1734 वोट से किसी तरह जीत हासिल कर पाया। इस सीट पर 2017 में फागू चौहान ने 7000 से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भाजपा भले ही सात सीटें जीकर उत्साहित हो रही है, पर जमीनी हकीकत यह है कि उसे विपक्ष से लगभग हर सीट पर शिकस्त ही मिली है। लगभग 10 प्रतिशत वोट प्रतिशत घटना बड़ी बात है। जिस प्रकार से 11 सीटों पर सपा दूसरे नंबर पर है, यह भाजपा के लिए अच्छा संकेत नहीं है। एक बात तो यह भी है कि विपक्ष के विखराव के बावजूद हमें 11 सीटों पर सफलता नहीं मिली। यह आत्मचिंतन का विषय है। संगठन और सरकार की पूरी फौज उतरने के बाद भी हमारे वोट प्रतिशत में कमी हुई और एक सीट गंवानी पड़ी है तो पार्टी को अपनी रणनीति पर सोचना पड़ेगा। अधिकारी योजनाओं को सिर्फ कागाजों में रखे हुए हैं। जमीन पर अभी भी कुछ पहुंचा नहीं है।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव ने कहा, उपचुनाव सबके लिए आत्ममंथन का विषय हैं। भाजपा का वोट प्रतिशत करीब 10 फीसद घटा है। योगी सरकार की नीतियां या तो जमीन तक नहीं पहुंच पा रही हैं, या जमीन पर पहुंच गई हैं तो कार्यकर्ता इसका प्रचार ठीक से नहीं कर पा रहे हैं। जिन सीटों पर वोट प्रतिशत घटा है, वहां रणनीति फेल क्यों हुई। कार्यकर्ता नाराज क्यों हैं। इन विषयों पर आत्ममंथन की जरूरत है। हालांकि इस बार भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं को ही टिकट दिए थे। फिर भी परिणाम उनके अनुकूल नहीं आए। इसे पता करने की जरूत है। संगठन की खामी को ढूढ़ना होगा। मिशन 2022 में कार्यकर्ताओं और योजनाओं को जमीन पर जांच कर ही उतरना पड़ेगा।

Created On :   26 Oct 2019 11:30 AM GMT

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