सीबीआई के बस्सी ने पोर्ट ब्लेयर तबादला रुकवाने को सुप्रीम कोर्ट के फैसले संग की चालबाजी (एक्सक्लूसिव)

CBIs Bassi manipulates Supreme Court verdict to stop transfer of Port Blair (Exclusive)
सीबीआई के बस्सी ने पोर्ट ब्लेयर तबादला रुकवाने को सुप्रीम कोर्ट के फैसले संग की चालबाजी (एक्सक्लूसिव)
सीबीआई के बस्सी ने पोर्ट ब्लेयर तबादला रुकवाने को सुप्रीम कोर्ट के फैसले संग की चालबाजी (एक्सक्लूसिव)
हाईलाइट
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नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के एक अधिकारी अजय कुमार बस्सी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ चालबाजी की थी और यहां तक कि पोर्ट ब्लेयर में अपना ट्रांसफर रद्द कराने के लिए शब्दों को भी अलग तरह से पेश किया और इतना ही नहीं, एजेंसी के पूर्व प्रमुख आलोक कुमार वर्मा ने जल्दबाजी में इस बारे में सत्यापित नहीं किया था और मामले को और ज्यादा जटिल बना दिया। सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) ने यह बात कही।

बस्सी ने 24 अक्टूबर, 2018 को पोर्ट ब्लेयर में अपने स्थानांतरण आदेश के खिलाफ ट्रिब्यूनल से संपर्क किया था। उन्होंने कहा कि उनका तबादला सीबीआई से किया गया था और फिर 9 जनवरी, 2019 को स्थानांतरण का आदेश वापस ले लिया गया था। उन्होंने फिर से दलीली दी कि 9 जनवरी, 2019 को आदेश को नॉन-एस्ट घोषित करते हुए 10 जनवरी, 2019 को एक और आदेश पारित किया गया था।

कैट ने कहा कि तबादला रोकने को लेकर वर्मा को भरोसे में लेने के लिए उन्होंने हेरफेर किया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के शब्दों में भी हेरफेर किया और हाउएवर वी की जगह ऑनरेबल कोर्ट कर दिया।

बस्सी के आचरण को गंभीरता से लेते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा, अगर यह सीबीआई जैसे प्रतिष्ठित संगठन के एक अधिकारी द्वारा हेरफेर का स्तर है, वह भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के संबंध में, तो कोई भी आसानी से मामले की गंभीरता को समझ सकता है।

ट्रिब्यूनल ने तबादला आदेश रद्द करने के वर्मा के फैसले पर भी सवाल उठाया।

इसने कहा, अधिक परेशान करने वाली बात यह है कि सीबीआई जैसे प्रतिष्ठित संगठन का नेतृत्व करने वाले एक अधिकारी ने उसी दिन जल्दबाजी में आकर मामले में कदम उठा लिया।

बस्सी के आवेदन को खारिज करते हुए, ट्रिब्यूनल ने अंतरिम सीबीआई प्रमुख एम. नागेश्वर राव की सराहना की, जिन्होंने वर्मा द्वारा लिए गए ट्रांसफर निर्णय को रद्द कर दिया।

ट्रिब्यूनल ने कहा कि 2018 में सीबीआई में कुछ असाधारण घटनाक्रम हुए हैं। सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा ने अतिरिक्त निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ कदम उठाए,यहां तक कि एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी।

15 अक्टूबर, 2018 को, वर्मा के एक निर्देश पर बस्सी ने एक आरोपी सतीश सना बाबू के बयान के आधार पर अस्थाना और पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र कुमार के खिलाफ रिश्वत का मामला दर्ज किया था।

7 मई, 2020 को विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व अधिकारी अस्थाना और कुमार को क्लीन चिट देते हुए सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।

वो बस्सी ही थे जिन्होंने कुमार को गिरफ्तार किया था।

वीएवी/एसजीके

Created On :   27 Oct 2020 4:00 PM IST

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