आरएसएस में होंगे कुछ बड़े बदलाव, ये होंगे नए सरकार्यवाह !

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सरकार्यवाह पद पुन: सुर्खियों में है। इस पद को लेकर शीघ्र ही बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले को पदोन्नति मिल सकती है। संघ में सरकार्यवाह पद दूसरे क्रमांक का सबसे महत्वपूर्ण पद माना जाता है। फिलहाल सुरेश उर्फ भैयाजी जोशी यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। जोशी का कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ाया गया था। 2018 में उनका कार्यकाल पूरा हो रहा है।
अमित शाह की पसंद
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की पसंद के तौर पर होसबले को पदाेन्नति मिल सकती है। संघ से जुड़े एक पदाधिकारी के अनुसार 12 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में संघ का अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल का सम्मेलन होने जा रहा है। उस सम्मेलन में भाजपा अध्यक्ष शाह भी शामिल हो सकते हैं। सरकार्यवाह पद को लेकर सम्मेलन में ही निर्णय लिया जा सकता है, जिसे अगले वर्ष मार्च में होने वाली संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में घोषित किया जा सकता है।
कितना महत्त्व रखता है, सरकार्यवाह का पद
संघ में निर्णायक मामले में सरकार्यवाह का पद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। सरसंघचालक पद सबसे बड़ा होता है। सरसंघचालक को संघ के संविधान के हिसाब से मार्गदर्शक और दिशादर्शक का दर्जा मिला है। लिहाजा सरसंघचालक संघ की सभी गतिविधियों में सीधे भूमिका नहीं निभाते हैं। उनके मार्गदर्शन में संघ का अधिकतम कामकाज सरकार्यवाह देखते हैं। सामान्य संगठनाें के लिहाज से देखा जाए, तो सरकार्यवाह पद महामंत्री पद जैसा है। सरकार्यवाह के साथ 4 सहकार्यवाह यानी संयुक्त मंत्री रहते हैं। वरिष्ठ संघ पदाधिकारी के अनुसार सरकार्यवाह की भूमिका कारपोरेट संस्था के सीईओ अर्थात मुख्य कार्यपालन अधिकारी की तरह होती है। कंपनी के संचालक मंडल का निर्णय जो भी हो, उसे लागू करने व उसका फीडबैक लेने के सीईओ की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।
पहले भी हो चुकी है इनके नाम की चर्चा
सरकार्यवाह पद के लिए दत्तात्रेय होसबले को पदोन्नति मिलने की चर्चा पहले भी खूब छिड़ी थी। मई 2014 में केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही कहा जाने लगा था कि संघ की राजनीतिक मामलों की गतिविधियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दखल बढ़ेगी। मार्च 2015 में नागपुर में संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा हुई, जिसमें होसबले काफी चर्चा में थे, लेकिन सरकार्यवाह पद पर भैयाजी जोशी बने रहे। जोशी का कार्यकाल 3 साल केलिए बढ़ाया गया। तब पत्रकार वार्ता में संघ की ओर से होसबले ने ही कहा था कि संघ परिवार में पद का अधिक महत्व नहीं रहता है। पद के लिए कोई स्पर्धा भी नहीं होती है। केवल कार्य नियोजन केलिए कुछ जिम्मेदारियां निश्चित की जाती हैं।
होसबले का नाम ही क्यों
सरकार्यवाह पद केलिए दत्तात्रेय होसबले के नाम की चर्चा में कई दावे भी किए जा रहे हैं। पिछली बार उनके नाम पर अंतिम समय में निर्णय रोके जाने को लेकर उनकी संगठनात्मक भूमिका को माना जाता है। सरकार्यवाह पद की जिम्मेदारी को समझते हुए संघ सदैव इस पद पर अपनी पृष्ठभूमि के पदाधिकारी को स्थान दिलाता है। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत भी सरकार्यवाह थे। होसबले संघ प्रचारक बनने से पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में थे। इस परिषद को संघ व भाजपा की छात्र संगठन इकाई माना जाता है। कहा जा रहा है कि होसबले प्रधानमंत्री मोदी की पसंद हैं। मोदी भी संघ प्रचारक रहे हैं। होसबले के साथ मोदी व शाह की केमेस्ट्री खूब जमती है। उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव में होसबले को िबहार से तत्काल बुलाया गया था। उम्मीदवार चयन, मतदान केंद्र प्रबंधन से लेकर अन्य मामलों में होसबले रणनीतिकार की भूमिका में थे। भैयाजी जोशी के बारे में यह भी खबर सामने आती रहती है कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है। इस बार संघ के विजयादशमी उत्सव में नागपुर के रेशमबाग मैदान में सरसंघचालक के साथ सरकार्यवाह भी थे।
Created On :   7 Oct 2017 4:39 PM IST