डोकलाम पर बोले राजनाथ- चीन हमारी ताकत समझ गया है, अब कोई विवाद नहीं
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ दौरे पर हैं। अपने संसदीय क्षेत्र लखनऊ आए राजनाथ ने रविवार को डोकलाम मुद्दे पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा डोकलाम विवाद को चीन अब बेहतर समझ गया है। उसे अब हमारी ताकत का अंदाजा हो गया है। दोनों देशों के बीच अब कोई विवाद नहीं है।
गौरतलब है कि पिछले दो महीने से भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच सिक्किम सेक्टर में तनातनी चल रही थी। भारत के दबाव डालने के बाद चीन पीछे हट गया था। कश्मीर में आतंकी घुसपैठ को लेकर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारतीय सीमा में आतंकवादियों को भेजने की कोशिश में लगा है। हम हर बार उसके 5 से 10 आतंकियों को मार रहे हैं।
वहीं प्रधानमंत्री की तारीफ़ करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, मोदी जी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने बैंकों के दरवाजे तक आम आदमी को पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े बैंकों के दरवाजे पर केवल टाटा, बिड़ला और अंबानी ही नहीं जा सकते वहां आम आदमी की पहुंच भी सुलभ है। भारत से गरीबी दूर करने को लेकर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का लक्ष्य है कि वर्ष 2022 तक भारत गरीबी से मुक्त हो जाए।
क्या है डोकलाम विवाद
भौगोलिक रूप से डोकलाम भारत चीन और भूटान बार्डर के तिराहे पर स्थित है। चुंबी घाटी में स्थित डोकलाम सामरिक दृष्टि से भारत और चीन के लिए काफी महत्वपूर्ण है। साल 1949 में भारत और भूटान के बीच एक संधि हुई थी, जिसमें तय हुआ था कि भारत अपने पड़ोसी देश भूटान की विदेश नीति और रक्षा मामलों का मार्गदर्शन करेगा।
साल 1988 और 1998 में चीन और भूटान के बीच समझौता हुआ था कि दोनों देश डोकलाम क्षेत्र में शांति बनाए रखने की दिशा में काम करेंगे। साल 2007 में इस मुद्दे पर एक नई दोस्ताना संधि हुई, जिसमें भूटान के भारत से निर्देश लेने की जरूरत को खत्म कर दिया गया और यह वैकल्पिक हो गया।
चीन के अनुसार डोकलाम नाम का इस्तेमाल तिब्बती चरवाहे पुराने चारागाह के रूप में करते थे। चीन का ये भी दावा है कि डोकलाम में जाने के लिए 1960 से पहले तक भूटान के चरवाहे उसकी अनुमति लेकर ही जाते थे। हालांकि एतिहासिक रूप से इसके कोई प्रमाण मौजूद नहीं हैं। असल में इस पूरे विवाद की जड़ ही दूसरी है, डोकलाम का इलाका भारत के लिए सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है।
Created On :   15 Oct 2017 12:16 PM GMT