CCTV मामला: LG से मिले बिना ही अरविंद केजरीवाल ने खत्म किया धरना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली का सीसीटीवी विवाद गहराता जा रहा है। सोमवार को दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल के बीच छिड़ी जंग सड़क पर पहुंच गई। दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल अपनी कैबिनेट के साथ उप-राज्यपाल अनिल बैजल के आवास पर उनसे मिलने पहुंचे थे। सुरक्षागार्डों ने केजरीवाल को अंदर घुसने नहीं दिया। जिसके बाद वह उनके घर के बाहर ही धरने पर बैठ गए। हालांकि करीब 3 घंटे बाद केजरीवाल समेत तमाम मंत्रियों ने एलजी से मुलाकात किए बगैर ही धरना खत्म कर दिया।
.@LtGovDelhi साहब लोकतंत्र संवाद से चलता है, पुलिस से नहीं!
— AAP (@AamAadmiParty) May 14, 2018
"हमने अपॉइंटमेंट भी लिया हुआ है और सारी दिल्ली सरकार उनके आवास के बाहर पर है,
LG साहब को हम सभी से मिलना होगा : @ArvindKejriwal#LGDontStopCCTVs pic.twitter.com/OvUT7vpHIC
मार्च कर पहुंचे एलजी के आवास
सीएम के धरने पर बैठने के बाद एलजी ने दिल्ली सरकार की कैबिनेट को मिलने की अनुमति दी थी। लेकिन सीएम केजरीवाल ने यह कहते हुए मिलने से मना कर दिया कि सभी विधायक आम जनता के प्रतिनिधि हैं, लिहाजा सभी को मिलने के लिए बुलाया जाना चाहिए। धरने पर बैठने से पहले आप के नेताओं ने मुख्यमंत्री के सिविल लाइन स्थित आवास से करीब तीन बजे भारी पुलिस सुरक्षा के बीच मार्च शुरू किया। दो किलोमीटर लंबे मार्च के दौरान केजरीवाल, मंत्रियों और विधायकों ने उपराज्यपाल और बीजेपी के खिलाफ नारे लगाए।
दिल्ली सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए पूरी दिल्ली में CCTV कैमरे लगाने जा रही है।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 14, 2018
भाजपा LG के ज़रिए इसको रोक रही है। दिल्ली के विधायकों और मंत्रियों के साथ हम LG साहेब को समझाने जा रहे हैं कि CCTV कैमरे मत रोको।
क्या है सीसीटीवी विवाद?
13-10-2015 को केजरीवाल कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव पारित कर दिल्ली में सार्वजनिक जगहों पर सीसीटीवी कैमरा लगाने के फैसले पर मुहर लगा दी गई थी। सीसीटीवी लगाने की अनुमानित लागत करीबन 130 करोड़ रखी गई थी। लेकिन कैबिनेट की तरफ से पास हुए इस फैसले पर अगले 2 सालों तक काम शुरू नहीं हो पाया। नवंबर 2017 में दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले लोक निर्माण विभाग को मुख्यमंत्री और पीडब्ल्यूडी मंत्री यानी सत्येंद्र जैन की तरफ से लगभग 571 करोड़ों रुपए के टेंडर जारी करने की अनुमति मिल गई।
ठेका चीनी कंपनी को
इसके बाद बीईएल और एलएंडटी ने सीसीटीवी लगाने के लिए अपना प्रस्ताव भेजा। दिल्ली सरकार ने इसके बाद बीईएल को सीसीटीवी लगाने का कांट्रेक्ट दे दिया। कांट्रेक्ट के मुताबिक लगभग 321 करोड़ों रुपए सीसीटीवी लगाने के लिए रखे गए थे और लगभग 250 करोड रुपए अगले 5 साल तक इसका रखरखाव करने के लिए। सीसीटीवी का बजट 130 करोड़ रुपए से 571 करोड़ रुपए करने पर केजरीवाल विपक्ष के निशाने पर आ गए। इतना ही नहीं दिल्ली सरकार पर ये भी आरोप लग रहे है कि बीईएल के जरिए ये ठेगा चीनी कंपनी हिक विज़न को दिया गया है।
AAP का उपराज्यपाल पर आरोप
एक तरफ आम आदमी पार्टी उपराज्यपाल के ऊपर सीसीटीवी लगाने से जुड़े प्रोजेक्ट पर रोक लगाने का आरोप लगा रही है तो उपराज्यपाल ने साफ कर दिया है कि उनकी तरफ से सीसीटीवी के काम को रोकने की कोई कोशिश नहीं की गई है। उपराज्यपाल का कहना है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने आज तक उनके पास इस मुद्दे से जुड़ी हुई कोई फाइल ही नहीं भेजी है तो भला काम को रोकने का सवाल ही नहीं उठता है। वहीं आप के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने भी केजरीवाल सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कपिल मिश्रा के आरोपों के मुताबिक पूरा खेल वित्तीय गड़बड़ी से जुड़ा हुआ है।
Created On :   14 May 2018 8:50 PM IST