कांग्रेस नेता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, प्रवासी श्रमिक संकट के समाधान की कोई योजना नहीं
नई दिल्ली, 27 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि फंसे हुए प्रवासी मजदूरों के संकट का समाधान करने के लिए कोई भी राष्ट्रव्यापी कार्य योजना नहीं दिखाई दे रही है।
शीर्ष अदालत ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लागू राष्ट्रव्यापी बंद के बाद महानगरों व देश के अन्य कई स्थानों से पैदल और साइकिल पर अपने-अपने घर की ओर जा रहे मजदूरों की दयनीय स्थिति के बारे में मीडिया की तमाम खबरों का स्वत: ही संज्ञान लिया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरजेवाला ने याचिका के माध्यम से राष्ट्रव्यापी बंद के कारण कठिनाइयों का सामना कर रहे प्रवासी मजदूरों को भोजन देने से लेकर रोजगार देने तक के उपायों को लेकर अपने सुझाव पेश किए।
सुरजेवाला ने सुझाव दिया है कि केंद्र को तत्काल जिला और ग्राम स्तर पर इन कामगारों के लिए स्वागत और सुविधा केंद्र स्थापित करने चाहिए और उन्हें उनके पैतृक जिलों तथा गांवों तक जाने की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए।
सुरजेवाला ने याचिका में कहा, मजदूरों द्वारा प्रदान की जा रही जानकारी के आधार पर उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। भारत सरकार फंसे प्रवासियों के मुद्दों को दूर करने और यात्रा के दौरान उनकी मदद के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्ययोजना तैयार कर सकती है।
वकील सुनील फर्नांडीस के माध्यम से दायर की गई इस याचिका में केंद्र को सुझाव दिया गया है कि फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को पर्याप्त भोजन, दवा और आश्रय प्रदान करने के लिए तुरंत एक योजना तैयार की जाए।
इसके अलावा कहा गया है कि केंद्र द्वारा घोषित वित्तीय राहत तत्काल लागू की जानी चाहिए और इसकी समयसीमा के साथ जनता व प्रवासियों के बीच राहत का ब्यौरा देने वाली एक सार्वजनिक घोषणा भी की जानी चाहिए।
कई प्रवासियों के सामने आए बेरोजगारी संकट को देखते हुए दलील में कहा गया है, भारत सरकार को अतिरिक्त और विशिष्ट योजनाओं के साथ प्रवासी मजदूरों को लाभकारी रोजगार प्रदान करने के लिए तत्काल योजनाएं बनानी चाहिए, जिससे प्रवासी मजदूरों के बच्चों की शिक्षा और उनके परिवार के सदस्यों की भलाई पर ध्यान दिया जा सके।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मंगलवार को देश भर में फंसे प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर संज्ञान लिया और कहा कि उन्हें मुफ्त भोजन और आश्रय की आवश्यकता है।
शीर्ष अदालत ने इस स्थिति को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी करते हुए 28 मई तक जवाब मांगा है।
Created On :   27 May 2020 7:01 PM IST