Coronavirus: मास्क, सैनिटाइजर आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल; काला बाजारी की तो जाना होगा जेल

Coronavirus: Masks, Sanitizer included in Essential Commodities Act
Coronavirus: मास्क, सैनिटाइजर आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल; काला बाजारी की तो जाना होगा जेल
Coronavirus: मास्क, सैनिटाइजर आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल; काला बाजारी की तो जाना होगा जेल
हाईलाइट
  • 30 जून तक रहेगा आवश्यक वस्तु की लिस्ट में शामिल
  • मास्क
  • सैनिटाइजर की काला बाजारी की तो सलाखों के पीछे जाना होगा
  • मास्क
  • सैनिटाइजर को आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल करने का फैसला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते बाजार में मास्क और सैनिटाइजर की अनुपलब्धता हो गई है। इसे देखते हुए सरकार ने इन दोनों वस्तुओं को आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल करने का फैसला लिया है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि बीते कुछ हफ्तों के दौरान कोविड-19 (कोरोना वायरस) के मौजूदा प्रकोप और कोविड-19 प्रबंधन के लिए लॉजिस्टिक संबंधी चिंताओं को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है क्योंकि मास्क (2 प्लाई एवं 3 प्लाई सर्जिकल मास्क, एन95 मास्क) और हैंड सैनिटाइजर या तो बाजार में अधिकांश विक्रेताओं के पास उपलब्ध नहीं है या बहुत अधिक कीमतों पर बमुश्किल से उपलब्ध हो रहे हैं।

30 जून तक रहेगा आवश्यक वस्तु की लिस्ट में शामिल
मंत्रालय के बयान के अनुसार, सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की अनुसूची में संशोधन करते हुए, मास्क और सैनिटाइजर को दिनांक 30 जून, 2020 तक आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक वस्तु के रूप में घोषित करने का आदेश दिया है। सरकार ने विधिक माप विज्ञान अधिनियम के तहत एक एडवाइजरी भी जारी की है। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत, राज्य, विनिर्माताओं के साथ विचार-विमर्श करके उनसे इन वस्तुओं की उत्पादन क्षमता बढ़ाने, सप्लाई चेन को सुचारु बनाने के लिए कह सकते हैं जबकि विधिक माप विज्ञान अधिनियम के तहत राज्य इन दोनों वस्तुओं की अधिकतम खुदरा मूल्य (एम.आर.पी.) पर बिक्री सुनिश्चित कर सकते हैं।

नियम का उल्लंघन करने वालों पर होगी कार्रवाई
मंत्रालय ने कहा कि इन दोनों वस्तुओं के संबंध में, राज्य अपने शासकीय राजपत्र में अब केंद्रीय आदेश को अधिसूचित कर सकते हैं और इसके लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अपने स्वयं के आदेश भी जारी कर सकते हैं और संबंधित राज्यों में व्याप्त परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई कर सकते हैं। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत, केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 1972 से 1978 के आदेशों के माध्यम से राज्यों को शक्ति प्रदान की गई हैं। अत: राज्य/संघ राज्य क्षेत्र आवश्यक वस्तु अधिनियम और चोरबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध कार्रवाई कर सकते हैं।

सात साल की सजा का प्रावधान
आवश्यक वस्तु अधिनियम का उल्लंघन करने वालों को सात साल कारावास की सजा भुगतना पड़ सकता है यानी उन्हें जुर्माना भरना पड़ सकता है या जेल व जुर्माना दोनों से उन्हें दंडित किया जा सकता है। बता दें कि कोरोना वायरस के प्रकोप को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने विश्वव्यापी महामारी घोषित किया है। इसकी रोकथाम के मद्देनजर फेस्क मास्क और हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है।

Created On :   14 March 2020 3:35 AM GMT

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