करोड़ों की राशि डकार गए रसूखदार, नेशनल बैंकों का एनपीए 8 लाख 99 हजार करोड़ से अधिक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पीएनबी स्कैम में 12 हजार 700 करोड़ से अधिक का घोटाला सामने आने के बाद देशभर में एक-एक कर अरबों के घोटाले सामने आ रहे हैं, जिसमें बैंकों की मिलीभगत से लोन लिया और उसे लौटाने की जगह डकार गए। यह घाेटाला कितना बड़ा है? इसे जानने के लिए नागपुर के एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने आरटीआई में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की नागपुर शाखा में जानकारी मांगी। महीनों के बाद मिली जानकारी चौंकाने वाली है। इसके तहत महाराष्ट्र सहित पूरे देश में नेशनल बैंकों का एनपीए 8 लाख 99 हजार 659 करोड़ हो गया है। इसी तरह को-ऑपरेटिव बैंकों का कर्ज वापस नहीं होने से इन बैंकों का 21297.83 करोड़ बकाया है। इसमें शहर और विदर्भ के 11 बैंक भी शामिल हैं।
काम करना होगा मुश्किल
विदर्भ की 3 दर्जन से अधिक बैंकों की शिकायत
एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) बैंक का घाटा है। इस पर समय रहते काबू नहीं पाया गया, तो बैंकों का सामान्य रूप से काम करना मुश्किल हो सकता है। उपभोक्ताआें से बैंक के व्यवहार व समस्या के निपटारे के आंकड़े भी सकारात्मक नहीं हैं। एक तरफ रसूखदार बैंकों का लोन लेकर फरार हो गए, तो दूसरी ओर सामान्य लोगों को अतिआवश्यक काम के लिए भी कुछ लाख का लोन तक नहीं मिला। दूसरी ओर बैंक आम उपभोक्ताओं से सामान्य व्यवहार भी ठीक से नहीं करते। इसके चलते 14 महीने में देश भर के 203 नेशनल, को-ऑपरेटिव व अर्बन बैंकों की 1 लाख 73 हजार 170 शिकायतें रिजर्व बैंक के पास पहुंच चुकी हैं। इसमें नागपुर सहित विदर्भ के तीन दर्जन से ज्यादा बैंकों की शिकायतें शामिल हैं।
इनके कारण एनपीए की रकम सबसे ज्यादा बढ़ी
देश में फिलहाल बैंकों से कर्ज लेकर भागने का चलन शुरू हो गया है। विजय माल्या, ललित मोदी, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, जतीन मेहता सहित सैकड़ों ऐसे कारोबारी हैं, जो बैंकों को चूना लगाकर रफू-चक्कर हो गए हैं।
भ्रष्टाचार के आरोप में कार्रवाई का आंकड़ा नहीं
आरटीआई में खुलासा हुआ है कि बैंक में हुए भ्रष्टाचार के आरोप में अब तक कितने अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई, इसका आंकड़ा बैंकों के पास उपलब्ध नहीं है। इस संबंध में िफलहाल जानकारी उपलब्ध नहीं होने की जानकारी दी गई है। 1 जनवरी 2017 से 28 दिसंबर 2018 के बीच केवायसी के उल्लंघन के आरोप में आरबाई ने किसी बैंक पर जुर्माना लगाने की जानकारी नहीं है, हालांकि 4 स्टेट को-ऑपरेटिव व 34 डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंकों ने इसका उल्लंघन किया है।
किस बैंक की कितनी शिकायतें
बैंक शिकायतें
एसबीआई 46240
एचडीएफसी 12652
आईसीआईसीआई 11509
एक्सिस बैंक लि. 8690
पीएनबी 8258
बैंक ऑफ बड़ौदा 7056
बैंक आफ इंडिया 5271
यूनियन बैंक 3723
सेंट्रल बैंक 3291
आईडीबीआई बैंक 2704
इंडियन आेवरसीज बैंक 2951
(शिक्षक सहकारी बैंक लि., नागपुर नागरिक बैंक लि., द अकोला जनता कमर्शियल को-ऑप. बैंक लि. की भी शिकायतें आरबीआई के पास पहुंची हैं। हालांकि इसकी संख्या बहुत कम है)
क्या है एनपीए
बैंक जब किसी को कर्ज देता है, तो उस पर बैंक को ब्याज मिलता है। यह ब्याज बैंक का लाभ होता है। जब लगातार तीन महीने तक ब्याज नहीं मिलता, तो बैंक को लाभ प्राप्त नहीं होता। यानी बैंक का लॉस (घाटा) होता है। इसी को एनपीए कहा जाता है। आरबीआई एनपीए कम करने के लिए समय-समय पर बैंकों को दिशा-निर्देश जारी करता रहता है।
बैंक अफसरों पर कार्रवाई की जानकारी नहीं दी
एनपीए बैंक का घाटा है। यह लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई करने की जरूरत है। आरटीआई में इसकी जानकारी तक नहीं दी गई। बैंक को एनपीए बढ़ने नहीं देना चाहिए। इसी तरह खाताधारकों की शिकायतों का निपटारा स्थानीय स्तर पर हुआ, तो लोगों को आरबीआई के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अभय कोलारकर, आरटीआई एक्टिविस्ट
Created On :   14 April 2018 2:24 PM IST