हाईकोर्ट का अहम फैसला : धर्मांतरण के बाद भी पिता की संपत्ति पर रहेगा बेटी का अधिकार 

Daughters right in fathers property after religion conversion
हाईकोर्ट का अहम फैसला : धर्मांतरण के बाद भी पिता की संपत्ति पर रहेगा बेटी का अधिकार 
हाईकोर्ट का अहम फैसला : धर्मांतरण के बाद भी पिता की संपत्ति पर रहेगा बेटी का अधिकार 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कृष्णा शुक्ला। धर्म बदलने पर पिता की संपत्ति से अधिकार समाप्त नहीं हो सकता है। धर्म परिवर्तन से रिश्ते नहीं बदल सकते। धर्म बदलना पसंद का विषय है। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में यह बात स्पष्ट की है। अदालत ने कहा कि किसी हिंदु के धर्म बदलकर इस्लाम कबूल कर लेने पर भी वह पिता की स्वअर्जित संपत्ति पाने का अधिकार रखता है, बशर्ते पिता ने मौत से पहले कोई वसीयत न की है। हाईकोर्ट ने साफ किया कि धर्म बदलने से उत्तराधिकार का अधिकार खत्म नहीं होता है। क्योंकि यह अधिकार पसंद से नहीं जन्म से मिलता है।

कई मामलों में यह हक शादी के चलते भी मिलता है। न्यायमूर्ति मृदुला भाटकर ने हिंदु भाई की ओर से दायर अपील पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया। भाई ने दावा किया था कि उसकी बहन ने अपना धर्म बदल लिया है इसलिए उसका पिता की संपत्ति से अधिकार खत्म हो गया है। इस लिए अब मेरी बहन हिंदु उत्तराधिकार अधिनियम के तहत पिता के खरीदे फ्लैट में अपना हिस्सा नहीं मांग सकती।

किसी खास धर्म को अपनाना पसंद का विषय
इस पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति भाटकर ने कहा कि किसी धर्म विशेष को छोड़ना व किसी खास धर्म को अपनाना पसंद का विषय है। जबकि उत्तराधिकार का हक जन्म से मिलता है। इसलिए महज धर्म बदल लेने से किसी का रिश्ता व जन्म से मिला अधिकार समाप्त नहीं होता। लिहाजा हिंदु धर्म छोड़कर इस्लाम कबूल करनेवाली बहन पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने की अधिकारी है। बशर्ते पिता ने मौत से पहले कोई वसीयत न की हो।

कानून के दायरे में हिन्दू, जैन, बुध्दिस्ट और सिख
मामले में भाई की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष झा ने कहा कि हिंदु उत्तराधिकार कानून में धर्म बदलने वाले लोगों का समावेश नहीं किया गया है। इस कानून के दायरे में हिंदु, जैन, बुध्दिस्ट और सिख आते हैं। इस कानून में धर्मांतरण कर मुस्लिम बनने वाले, ईसाई व पारसी को समाहित नहीं किया गया है। उनके लिए अलग से कानून है। यदि मुस्लिमों को हिंदु उत्तराधिकार कानून के तहत लाभ दिया गया तो उन्हें दो कानून से फायदा मिलेगा। बहन के वकील ने इन दलीलों का विरोध किया और कहा कि उनके मुवक्किल को पिता की संपत्ति के लिए अपात्र नहीं माना जा सकता है।

धर्म जीवन जीने का एक रास्ता
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने व हाईकोर्ट के विभिन्न फैसलों तथा कानूनी प्रावधानों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि दुनिया में अधिकांश लोगों के लिए धर्म जीवन जीने का एक रास्ता है। हर धर्म एक खास तरह कि जीवनशैली, विश्वास व संस्कृति से जुड़ा है। जिसको जो धर्म अच्छा लगता है, वह उसको अपनाता है। हमारे संविधान में धर्मनिरपेक्षता का भी जिक्र है। इसके साथ ही संविधान में धर्म को अपनाना नागरिकों का मौलिक अधिकार बताया गया है। इसलिए हिंदु धर्म छोड़कर इस्लाम अपनाने वाली लड़की को पिता की संपत्ति के लिए अपात्र नहीं ठहराया जा सकता है।

Created On :   7 March 2018 12:42 AM IST

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