रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख ने एलएसी पर आगे के क्षेत्रों का दौरा किया
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- सेना प्रमुख ने एलएसी पर आगे के क्षेत्रों का दौरा किया
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने ने शनिवार को बंगाल के दार्जिलिंग जिले में सुकना कॉर्प का दौरा किया।
सुकना कॉर्प पर चीन और भूटान से लगती सीमाओं की रक्षा करने की जिम्मेदारी है।
सिंह और जनरल नरवने शनिवार देर रात सुकना सैन्य शिविर पहुंचे। दोनों दार्जिलिंग और सिक्किम की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। इस दौरान रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख आगे के क्षेत्रों (फॉरवर्ड एरिया) का दौरा करेंगे और सैनिकों के साथ बातचीत करेंगे।
इस बीच रक्षा मंत्री सिंह दशहरे पर शस्त्र पूजा भी करेंगे और अपनी यात्रा के दौरान सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की ओर से निर्मित बुनियादी ढांचा परियोजना का उद्घाटन करेंगे।
सिंह सुरक्षा बलों की तेज आवाजाही के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष जोर दे रहे हैं।
इस महीने की शुरूआत में, पश्चिमी, उत्तरी और पूर्वोत्तर सीमाओं के करीब संवेदनशील क्षेत्रों में सड़कों और पुलों की कनेक्टिविटी के एक नए युग में शुरूआत करते हुए, सिंह ने बीआरओ द्वारा निर्मित 44 प्रमुख स्थायी पुलों का उद्घाटन किया था।
उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में नेचिपु सुरंग के लिए आधारशिला भी रखी। ये पुल रणनीतिक महत्व के हैं और दूरदराज के क्षेत्रों को कनेक्टिविटी प्रदान करने का काम करेंगे। यह 44 पुल सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हैं।
सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में अपनी भूमिका के लिए बीआरओ की सराहना करते हुए, सिंह ने कहा था कि ये पुल पश्चिमी, उत्तरी और उत्तर पूर्व क्षेत्रों के दूर-दराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार करेंगे और स्थानीय लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेंगे।
उन्होंने कहा कि वे साल भर सशस्त्र बलों के परिवहन और रसद आवश्यकताओं को भी पूरा करेंगे।
इसके अलावा, सरकार ने लद्दाख और कश्मीर क्षेत्रों में 100 किलोमीटर से अधिक लंबी 10 सुरंगों का निर्माण करने की योजना बनाई है, ताकि साल भर में सेना की आसानी से आवाजाही सुनिश्चित हो सके।
बीआरओ ने नियंत्रण रेखा पर लद्दाख और कश्मीर को जोड़ने वाली सड़कों के लिए आठ सुरंगों का प्रस्ताव दिया है।
कुछ सुरंग आगे के स्थानों को जोड़ने का काम करेंगी, जो 17,000 फीट की ऊंचाई पर बनाई जाएंगी।
एकेके/एएनएम
Created On :   24 Oct 2020 8:00 PM IST