2G केस : सभी आरोपियों को HC का नोटिस, 25 मई को अगली सुनवाई

Delhi High Court to hear appeal against acquittal of A Raja in 2G case
2G केस : सभी आरोपियों को HC का नोटिस, 25 मई को अगली सुनवाई
2G केस : सभी आरोपियों को HC का नोटिस, 25 मई को अगली सुनवाई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के कथित 2G घोटाले पर CBI कोर्ट के दिए गए फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में CBI की तरफ से फाइल की गई पिटीशन पर बुधवार को सुनवाई हुई। CBI और ED की अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 2G केस के सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई में पेश होने के लिए कहा है। इस मामले पर अब 25 मई को सुनवाई की जाएगी। दरअसल, CBI ने दिल्ली हाईकोर्ट में CBI कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें पूर्व टेलीकॉम मिनिस्टर ए. राजा और डीएमके नेता कनिमोझी समेत 19 लोगों को बरी कर दिया था। इसी मामले में इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने भी सोमवार को अपनी अर्जी दाखिल की थी। हालांकि बुधवार को CBI की पिटीशन पर ही सुनवाई होनी है। बता दें कि 2010 में कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) विनोद राय की रिपोर्ट में कथित 2G घोटाले का खुलासा हुआ था।

कौन-कौन हैं इसमें आरोपी?

2G केस में पूर्व टेलीकॉम मिनिस्टर ए. राजा, DMK चीफ करुणानिधि की बेटी कनिमोझी, पूर्व टेलीकॉम सेक्रेटरी सिद्धार्थ बेहुरा, ए. राजा के पूर्व निजी सचिव आरके चंदोलिया, शाहिद बलवा, संजय चंद्रा, विनोद गोयनका, गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा, हरी नायर, राजीव अग्रवाल, करीम मोरानी और आसिफ बलवा समेत कई टेलीकॉम कंपनियों पर भी इस घोटाले में भी शामिल होने के आरोप लगे थे। 

CBI ने हाईकोर्ट में मंगलवार को की अपील

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, CBI ने पिछले साल 21 दिसंबर को 2G केस में आए CBI कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। CBI कोर्ट ने अपने फैसले में ए. राजा और कनिमोझी समेत सभी 17 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। CBI ने मंगलवार को इसी फैसले के खिलाफ अपील करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट से मांग की है कि 2G केस की सुनवाई जल्द से जल्दी की जाए। CBI की अपील पर बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हो सकती है। बता दें कि CBI ने 2G घोटाले से जुड़ी दो चार्जशीट फाइल की थी। 

 

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                                                                                             ए. राजा

CBI की दोनों चार्जशीट में क्या था? 

1. सीबीआई ने इस घोटाले में अपनी पहली चार्जशीट ए. राजा, कनिमोझी, पूर्व टेलीकॉम सेक्रेटरी सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के प्राइवेट सेक्रेटरी आरके चंदोलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर्स शाहिद बलवा और विनोद गोयनका, यूनिटेक के एमडी संजय चंद्रा और रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के गौतम दोषी, सुरेंद्र पीपरा और हरि नायर पर दायर की थी। सीबीआई ने कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्रा. लि. के डायरेक्टर्स आसिफ बलवा-राजीव अग्रवाल, कलाइगनार टीवी के डायरेक्टर शरद कुमार और करीम मोरानी को भी आरोपी बनाया था। इसमें सीबीआई ने 3 कंपनियां स्वान टेलीकॉम प्रा. लि., रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड और यूनिकॉम वायरलेस (तमिलनाडु) लि. को भी केस में आरोपी बनाया था। 

2. वहीं दूसरी चार्जशीट में सीबीआई ने एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रवि रुइया और अंशुमान रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान और उनके पति आईपी खेतान और एस्सार ग्रुप के डायरेक्टर विकास श्राफ को भी शामिल किया। चार्जशीट में लूप टेलीकॉम लिमिटेड, लूप इंडिया मोबाइल लिमिटेड और एस्सार टेली होल्डिंग लिमिटेड कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया था।

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ED पहले ही कर चुकी है हाईकोर्ट में अपील

बता दें कि दिसंबर में आए CBI कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए 3 महीने का समय था। इस डेडलाइन के खत्म होने से पहले ही इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में अपील कर दी थी। इस मामले में ED ने कोर्ट में एक केस दर्ज किया था, जिसमें ए. राजा और कनिमोझी समेत 19 लोगों को आरोपी बनाया था। ED ने अप्रैल 2014 में ए राजा, कनिमोझी, शाहिद बलवा, आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल, विनोद गोयनका, करीम मोरानी और शरद कुमार समेत 19 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। ED ने डीएमके प्रमुख करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्मल को भी शामिल किया था। आरोप था कि स्वान टेलीकॉम से 200 करोड़ डीएमके के कलाइगनार टीवी को दिए गए। ED ने इस मामले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया था।

 

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                                                                                   कनिमोझी

ए. राजा पर क्या थे आरोप? 

कथित 2G घोटाले में पूर्व टेलीकॉम मिनिस्टर ए. राजा को आरोपी बनाया गया था। उन पर आरोप लगा था कि इन्होंने नियमों को नजरअंदाज कर 2G स्पेक्ट्रम की नीलामी कर दी। सीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ए. राजा ने 2008 में साल 2001 में तय की गई दरों पर स्पेक्ट्रम के लाइसेंस बेच दिए और अपनी पसंदीदा कंपनियों को फायदा पहुंचाया था। 

कनिमोझी पर क्या थे आरोप? 

तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और DMK प्रमुख करुणानिधि की बेटी कनिमोझी पर ए. राजा के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगा था। कनिमोझी पर आरोप था कि इन्होंने अपने टीवी चैनल के लिए 200 करोड़ रुपए की रकम डीबी रियल्टी के मालिक शाहिद बलवा से ली थी और बदले में ए. राजा ने बलवा की कंपनियों को गलत ढंग से स्पेक्ट्रम दिए।

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2G केस में क्या था कोर्ट का फैसला?

पिछले साल 21 दिसंबर को दिल्ली की CBI कोर्ट ने 2G केस पर फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। 2G घोटाले में पूर्व टेलीकॉम मिनिस्टर ए. राजा और डीएमके नेता कनिमोझी समेत 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इसके अलावा 3 टेलीकॉम कंपनियों का नाम भी इस घोटाले में शामिल थे। कोर्ट ने इन सभी लोगों और कंपनियों पर लगे आरोपों को हटा दिया था और बरी कर दिया था। फैसला सुनाते वक्त कोर्ट के जज ओपी सैनी ने कहा था कि "पूरा केस सिर्फ अफवाहों पर ही आधारित है। पिछले 7 साल से मैं सबूतों का इंतजार कर रहा था, लेकिन सारी उम्मीदें बेकार साबित हुईं। इतने सालों में एक भी सबूत सामने नहीं आया। लिहाजा सभी को बरी किया जाता है।" 

क्या है 2G स्पेक्ट्रम केस? 

कथित 2G घोटाले को देश के चर्चित घोटालों में गिना जाता है। इस घोटाले का खुलासा 2010 में आई CAG की रिपोर्ट में किया गया था। उस वक्त विनोद राय ने अपनी रिपोर्ट में 2008 में बांटे गए स्पेक्ट्रम पर सवाल खड़े किए थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि स्पेक्ट्रम को नीलामी की बजाय "पहले आओ, पहले पाओ" की पॉलिसी पर लाइसेंस दिए गए, जिससे सरकार को 1 लाख 76 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था। इस रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया था कि अगर ये लाइसेंस नीलामी के आधार पर बांटे जाते, तो ये रकम सरकारी खजाने में जाती। इसके बाद 2011 में पहली बार इस घोटाले में कोर्ट ने 17 आरोपियों को दोषी मानकर 6 महीने की सजा सुनाई गई थी।

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SC ने 6 महीने में जांच पूरी करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने 12 मार्च को 2G केस से जुड़ी जांच अभी तक पूरी नहीं होने पर CBI और ED को कड़ी फटकार लगाते हुए 6 महीने के अंदर पूरी जांच करने के आदेश दिए हैं।  कोर्ट ने कहा था कि "आप देश को अंधेरे में नहीं रख सकते। ये केस देश के लिए गंभीर है। देश जानना चाहता है कि इस केस में अब तक जांच पूरी क्यों नहीं हुई? हम इस मामले पर चिंतित हैं और नाखुश भी।" बेंच ने आगे कहा था कि "जांच एजेंसियों को 2G स्पेक्ट्रम केस से जुड़े सभी मामलों की जांच पूरी करने के लिए 6 महीने का समय देते हैं। इस केस की जांच को 6 महीने के अंदर-अंदर पूरी करने की हर कोशिश की जानी चाहिए।"

Created On :   21 March 2018 10:07 AM IST

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