35 की उम्र में मंत्री, 47 की उम्र में जेल, कुछ ऐसा है ए. राजा का सफर

Know Political career of A Raja who accused in 2G Spectrum Scam
35 की उम्र में मंत्री, 47 की उम्र में जेल, कुछ ऐसा है ए. राजा का सफर
35 की उम्र में मंत्री, 47 की उम्र में जेल, कुछ ऐसा है ए. राजा का सफर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के सबसे चर्चित कथित घोटाले "2G स्पेक्ट्रम" पर बुधवार को स्पेशल कोर्ट ने ए. राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट का ये फैसला इसलिए भी चौंकाने वाला रहा, क्योंकि 7 साल से इस घोटाले के बारे में लोग सुनते आ रहे हैं, लेकिन बुधवार को अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि "ऐसा कोई घोटाला हुआ ही नहीं"। 1 लाख 76 हजार करोड़ वाले इस कथित घोटाले में बड़े-बड़े राजनेताओं समेत कई बड़ी कंपनियों का नाम सामने आया था, लेकिन अब सब बरी हो गए हैं। इस कथित घोटाले से सबसे ज्यादा नुकसान मनमोहन सरकार को हुआ और उनको अपनी सरकार तक गंवानी पड़ी। इसके बाद सबसे ज्यादा नुकसान इस कथित घोटाले के मुख्य आरोपी पूर्व टेलीकॉम मिनिस्टर ए. राजा को हुआ। ये ए. राजा वही थे, जो 35 साल की उम्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री बने, लेकिन 47 की उम्र में उन्हें इस घोटाले में शामिल होने के कारण जेल जाना पड़ा।

2G स्पेक्ट्रम घोटाले में नाम आने के बाद ए. राजा के राजनीतिक करियर पर विराम लग गया, लेकिन इस फैसले के बाद से ए. राजा का राजनीतिक जीवन दोबारा से शुरू होता दिख रहा है। ए. राजा तमिलनाडु से आते हैं और अगले साल इस राज्य में चुनाव होने हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो अगले साल के चुनावों में ए. राजा दोबारा से चुनौती देते नजर आ सकते हैं। क्योंकि जिस तरह से कांग्रेस इस फैसले को भुनाएगी, उसी तरह से ए. राजा भी इस फैसले पर राजनीति न करें, ऐसा नहीं हो सकता। एक नेता बनने से पहले ए. राजा कविता लिखा करते थे और इसी कविता की वजह से उन्हें राजनीति में आने का मौका मिला। आइए जानते हैं, ए. राजा का पूरा राजनीतिक जीवन कैसा रहा?

कठिनाइयों के बावजूद लॉ की डिग्री ली

ए. राजा आज भले ही देश का सबसे चर्चित नाम हो, लेकिन एक वक्त उनका जीवन बहुत कठिनाइयों से भरा था। ए. राजा का जन्म 10 मई 1963 को तमिलनाडु के पेरांबलूर में हुआ था। बताया जाता है कि ए. राजा का घर जहां था, वहां कोई पढ़ाई का साधन नहीं था। जिस वजह से उन्हें त्रिची जाना पड़ता था। पढ़ाई के लिए ए. राजा को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने बीएससी और लॉ की डिग्री हासिल की। बता दें कि ए. राजा एक एडवोकेट भी रहे हैं और 2G घोटाले में उन्होंने अपना केस खुद लड़ा।

कविताओं के जरिए राजनीति में एंट्री

लॉ की डिग्री हासिल कर चुके ए. राजा को कविताएं लिखने का काफी शौक था। वो तमिल भाषा में कविताएं लिखा करते थे। धीरे-धीरे ए. राजा का झुकाव राजनीति की तरफ बढ़ा और द्रमुक (DMK) के छात्र नेता भी रह चुके हैं। यहीं से ए. राजा का राजनीतिक जीवन शुरू हुआ। इसके बाद भी उन्होंने कविताएं लिखना नहीं छोड़ा। बताया जाता है कि इन्हीं कविताओं के कारण ए. राजा DMK चीफ करुणानिधि के करीब आए। इसके बाद राजा DMK के दलित नेता बनकर उभरे और राजनीति में उतर गए।

तमिलनाडु से शुरू हुई केंद्रीय राजनीति

करुणानिधि के करीब होने के बाद से ए. राजा का राजनीतिक करियर शुरू हो गया। राजा दलित थे, जिस वजह से पार्टी में उनकी पूछ-परख बढ़ी और वो तमिलनाडु में एक पड़े दलित नेता बनकर उभरे। इसके बाद करुणानिधि ने उन्हें केंद्रीय राजनीति में जाने की सलाह दी। पहली बार 1996 में DMK की टिकट पर ए. राजा ने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता। इसके बाद से ही राजा केंद्रीय राजनीति करने में लग गए।

35 की उम्र में अचल सरकार में बने मंत्री

ए. राजा ने अपनी राजनीति की शुरुआत तमिलनाडु से शुरू की और जल्द ही राज्य में बड़े नेता बनकर उभरे। 1996 में पहली बार लोकसभा सांसद बनने के बाद राजा लाइमलाइट में तब आए, जब उन्हें अटल सरकार में मंत्री बनाया गया। 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में ए. राजा को मंत्री बनाया गया। उस वक्त ए. राजा की उम्र सिर्फ 35 साल थी। इसके बाद से ए. राजा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे बढ़ते रहे। राजा एनडीए और यूपीए दोनों ही सरकारों में मंत्री रह चुके हैं। 2007 में यूपीए सरकार ने ए. राजा को टेलीकॉम मिनिस्टर बनाया। इसके बाद 2009 में यूपीए सरकार ने जब दोबारा सत्ता में वापसी की, तो फिर से ए. राजा को टेलीकॉम मिनिस्ट्री सौंपी।

2G घोटाले में नाम आया सामने

2010 में 2G स्पेक्ट्रम घोटाला तब सामने आया जब कंप्ट्रोलकर एंड ऑडिटर जनरल विनोद राय ने अपनी रिपोर्ट में इस कथित घोटाले का खुलासा किया। विनोद राय ने अपनी रिपोर्ट में 2008 में बांटे गए स्पेक्ट्रम पर सवाल खड़े किए थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि स्पेक्ट्रम को नीलामी की बजाय "पहले आओ, पहले पाओ" की पॉलिसी पर लाइसेंस दिए गए, जिससे सरकार को 1 लाख 76 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था। इस घोटाले में सबसे बड़ा नाम ए. राजा का ही था, क्योंकि वो टेलीकॉम मिनिस्टर थे। ए. राजा पर आरोप लगे कि उन्होंने नियमों को अनदेखा कर लाइसेंस बांट दिए, जिससे सरकार को घाटा हुआ। इसके बाद ए. राजा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इतना ही नहीं, इस घोटाले में नाम सामने के बाद उन्हें 2011 में गिरफ्तार किया गया और करीब 15 महीने बाद इन्हें जमानत पर रिहा किया गया।

ए. राजा की होगी जोरदार वापसी

इस घोटाले से बरी होने के बाद ए. राजा दोबारा से राजनीति में अपनी जोरदार वापसी करेंगे, ऐसा माना जा रहा है। इस मामले में उनकी पार्टी DMK भी साथ खड़ी हुई है और पार्टी ने साफ कर दिया है कि उन्हें फंसाया गया था। वहीं करुणानिधि का भी ये कहना है कि ए. राजा को इसलिए फंसाया गया क्योंकि वो एक दलित हैं।

दरअसल, ए. राजा के बरी होने के बाद तमिलनाडु में DMK को ही फायदा होना है, क्योंकि राजा तमिलनाडु में एक बड़े दलित नेता माने जाते हैं। तमिलनाडु में अगली साल विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में ए. राजा को नाराज कर या उनका साथ छोड़कर DMK दलित वोटरों का नुकसान नहीं उठाना चाहेगी। 

Created On :   22 Dec 2017 4:15 AM GMT

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