जेएनयू के प्रोफेसर ने सुलझाया मलेरिया के परजीवियों की संख्या बढ़ने का राज

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नई दिल्ली स्थित जेएनयू के स्पेशल सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन में प्रोफेसर सुमन कुमार धर ने पहली बार यह पता लगाया है कि मलेरिया के परजीवियों की संख्या में इतनी तेज गति से वृद्धि कैसे होती है। यह खोज वैश्विक तौर पर लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली घातक बीमारी से निपटने के लिए नई दवाएं बनाने में मददगार हो सकती है।
मलेरिया के परजीवी मादा एनोफेलीज मच्छर के काटने से पैदा होते हैं। ये मच्छर प्लाज्मोडियम नामक परजीवी को इंसान में प्रवेश कराते हैं। प्रोफेसर सुमन कुमार धर ने कहा, 'गुणन के हर चक्र के दौरान परजीवी के जिनोम का प्रतिरूपण डीएनए प्रतिरूपण के जरिए हो जाता है। यह प्रतिरूपण जिनोम के साथ के कुछ विशिष्ट स्थानों पर शुरू होता है। इसे प्रतिरूपण का ओरआरआईसी कहा जाता है।'
धर ने कहा, 'बैक्टीरियाई जिनोम में आमतौर पर एक ओआरआईसी होता है लेकिन इंसान जैसे उच्च जीवों में कई ओआरआईसी हो सकते हैं। किसी जिनोम में इन उद्गगम स्थलों की पहचान बेहद मुश्किल काम है।' गणनात्मक एवं प्रायोगिक प्रमाणन का इस्तेमाल करके छह साल तक किए गए अध्ययन में आईआईटी दिल्ली के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर कुशाल शाह समेत शोधकर्ताओं ने पाया कि परजीवी जिनोम में कई स्थानों से प्रतिरूपित होते हैं।
धर ने कहा कि इस प्रक्रिया में शामिल प्रोटीनों का भी पता लगा लिया गया है। यह समझा जा सकता है कि इन प्रोटीनों की क्रियात्मकता और इन प्रतिरूपण स्थलों से उनके जुड़ाव को रोककर परजीवियों की वृद्धि रोकी जा सकती है। ये नतीजे एफईबीएस जर्नल में प्रकाशित किए गए।
Created On :   2 July 2017 2:00 PM IST