जटिल हिंदी अनुवाद पर डीयू प्रोफेसर ने यूपीएससी से मांगा समाधान

DU professor seeks solution from complicated Hindi translation
जटिल हिंदी अनुवाद पर डीयू प्रोफेसर ने यूपीएससी से मांगा समाधान
जटिल हिंदी अनुवाद पर डीयू प्रोफेसर ने यूपीएससी से मांगा समाधान
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नई दिल्ली, 1 नवंबर (आईएएनएस)। हाल ही में संपन्न हुई सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2020 में हिंदी के कुछ विद्वानों ने गलत तथा दुर्बोध अनुवाद किए जाने की बात कही है। इसपर डीयू के हिंदी विभाग में प्रोफेसर व प्रज्ञानम इंडिका संस्था के निदेशक निरंजन कुमार ने यूपीएससी अध्यक्ष को पत्र लिखकर अनुवाद संबंधी विभिन्न समस्याओं के समाधान की मांग की है।

प्रोफेसर निरंजन कुमार ने आईएनएस से कहा, इस वर्ष संपन्न हुई सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1 में अंग्रेजी के सिविल डिसओबिडिएंस मूवमेंट का हिंदी अनुवाद असहयोग आंदोलन दिया था। इसी तरह की कई और भी अनुवाद संबंधी गलतियां थीं। इसी तरह अनुवाद की भाषा भी इतनी क्लिष्ट थी कि परीक्षार्थियों को समझने में बहुत मुश्किलें हुईं।

अनुवाद संबंधी विभिन्न समस्याएं लगातार अन्य परीक्षाओं में देखी जा रही हैं, जिसमें सुधार की मांग विभिन्न प्रतियोगितापरीक्षाओं की तैयारी करने वाले हिंदी माध्यम के छात्र लगातार कर रहे हैं। इसी को देखते हुए अब दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रोफेसर ने यूपीएससी यानी संघ लोक सेवा आयोग से इस विषय में हस्तक्षेप करते हुए सुधार करने की मांग की है।

प्रोफेसर निरंजन कुमार ने कहा, परीक्षाओं में प्रचलित तथा बोधगम्य शब्दों का चयन किया जाना चाहिए जिससे परीक्षार्थी को भाषा के स्तर पर अनावश्यक न जूझना पड़े। अगर अनुवाद में समस्याएं होंगी तो परीक्षा के उद्देश्य के विपरीत परीक्षार्थी को समस्या का सामना करना पड़ सकता है जो कि एक तरह से उसके साथ अन्याय है। मैंने यूपीएससी अध्यक्ष को इस संदर्भ में अवगत कराकर सुधार की मांग की है, जिससे हिंदी माध्यम के छात्रों को बराबरी का अवसर मिल सके। सभी परीक्षार्थियों को यह आशा है कि भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति नहीं होगी।

गौरतलब है कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप विभिन्न परीक्षाओं में क्षेत्रीय भाषाओं को तरजीह दिए जाने की योजना है। इसी के अंतर्गत जेईई मेन संयुक्त प्रवेश बोर्ड ने भारत की अधिकतर क्षेत्रीय भाषाओं में जेईई मेन परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस निर्णय की औपचारिक जानकारी दी।

निशंक ने कहा,यह परीक्षा क्षेत्रीय भाषाओं में भी आयोजित की जाएगी। जहां राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश परीक्षा क्षेत्रीय भाषा में आयोजित की जाती है। ऐसे राज्यों की राज्य भाषा के आधार पर जेईई मेन परीक्षा हो सकती है।

 

जीसीबी-एसकेपी

Created On :   1 Nov 2020 11:01 AM GMT

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