मप्र में भाजपा जिलाध्यक्षों के चुनाव में समन्वय का प्रयास

Efforts to coordinate the election of BJP district presidents in MP
मप्र में भाजपा जिलाध्यक्षों के चुनाव में समन्वय का प्रयास
मप्र में भाजपा जिलाध्यक्षों के चुनाव में समन्वय का प्रयास

भोपाल, 21 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी ने मध्यप्रदेश के सभी जिलों के जिलाध्यक्षों के चुनाव के लिए एक दिन तय किया गया है। 30 नवंबर को होने वाले जिलाध्यक्षों के चुनाव के लिए पार्टी नेतृत्व बड़े नेताओं के बीच समन्वय बनाने की कोशिश कर रहा है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह के अनुसार, संगठन पर्व के तहत राज्य के सभी 56 संगठनात्मक जिलों में 30 नवंबर को चुनाव होंगे।

राज्य में जिलाध्यक्षों के निर्वाचन से पहले मंडल अध्यक्षों के चुनाव हो चुके हैं। राज्य में मंडल अध्यक्ष 1056 चुने जाने हैं, जिनमें से 800 मंडल अध्यक्षों का चुनाव हो चुका है। बाकी स्थानों के मंडल अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया जारी है। अभी तक 48 जिलों के मंडल अध्यक्षों के चुनाव हो चुके हैं।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि मंडल अध्यक्षों के चुनाव के लिए संगठन ने बड़े नेताओं के बीच आपसी समन्वय की कोशिश की थी और उसमें सफलता भी मिली। इसी तरह की कोशिश जिलाध्यक्षों के चुनाव में होगी, ताकि पार्टी के भीतर नेताओं में किसी तरह की खींचतान न हो।

पार्टी की तय निर्वाचन प्रक्रिया के मुताबिक, जिले के आधे से अधिक मंडलों के अध्यक्षों के चुनाव होने के बाद जिलाध्यक्ष का चुनाव हो सकता है और इसी तरह राज्य के कुल संगठनात्मक जिलों में से आधे जिलों के जिलाध्यक्ष का निर्वाचन होने पर प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव हो सकता है।

सूत्रों की मानें तो भाजपा राज्य के बड़े नेताओं- प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते, थावरचंद गहलोत के बीच समन्वय बनाने की कोशिश हो रही है, ताकि उनकी पसंद के जिलाध्यक्षों के निर्वाचन को लेकर किसी तरह का विवाद न हो। मंडल अध्यक्ष के चुनाव में सभी राय को महत्व दिया गया था। मंडल अध्यक्ष के लिए 40 वर्ष की आयु सीमा तय करने के चलते जरूर कई स्थानों पर मंडल अध्यक्ष के चुनाव में दिक्कत आई।

राजनीतिक के जानकारों की मानें तो राज्य के बड़े नेता अपनी-अपनी पसंद का प्रदेशाध्यक्ष बनाना चाहते हैं, इसीलिए उनकी कोशिश है कि मंडल अध्यक्षों के बाद जिलाध्यक्ष भी ज्यादा से ज्यादा चुने जाएं, ताकि वे प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव में जरूरत पड़ने पर अपनी पसंद के व्यक्ति का समर्थन कर सकें।

Created On :   21 Nov 2019 9:00 PM IST

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