अंग्रेजी साहित्यकार अमिताव घोष को मिलेगा ‘ज्ञानपीठ’ पुरस्कार 2018
- अंग्रेजी के जानेमाने साहित्यकार अमिताव घोष को ‘ज्ञानपीठ’ पुरस्कार 2018 से सम्मानित किया जाएगा।
- अमिताव घोष पहले ऐसे अंग्रेजी साहित्यकार है जिन्हें ये सम्मान दिया जा रहा है।
- ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति की बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अंग्रेजी के जानेमाने साहित्यकार अमिताव घोष को देश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ‘ज्ञानपीठ’ पुरस्कार 2018 से सम्मानित किया जाएगा। अमिताव घोष पहले ऐसे अंग्रेजी साहित्यकार है जिन्हें ये सम्मान दिया जा रहा है। शुक्रवार को नई दिल्ली में हुई ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति की बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है। बता दें कि पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था।
ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए उन्हें चुने जाने के बाद अमिताव घोष ने ट्विटर पर लिखा, ‘यह मेरे लिए अद्भुत दिन है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन खुद को उस सूची में पाऊंगा, जिसमें वे लेखक भी हैं, जिन्हें मैं सबसे ज्यादा पसंद करता हूं।’
Thank you. This is an amazing day for me. I never thought I would find myself on this list, with some of the writers I most admire https://t.co/xKUXfSH8hp https://t.co/qnGtM0E4Au
— Amitav Ghosh (@GhoshAmitav) December 14, 2018
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 1956 में जन्में अमिताव घोष को लीक से हटकर काम करने वाले रचनाकार के तौर पर जाना जाता है। अमिताव घोष 54वें साहित्यकार है जिन्हें ये सम्मान दिया जा रहा है। पुरस्कार स्वरूप उन्हें 11 लाख रूपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। इससे पहले घोष को पद्मश्री सहित कई अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। घोष की प्रमुख रचनाओं में ‘द सर्किल ऑफ रीजन’, ‘दे शेडो लाइन’, ‘द कलकत्ता क्रोमोसोम’, ‘द ग्लास पैलेस’, ‘द हंगरी टाइड’, ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फ्लड ऑफ फायर है।
दिल्ली स्थित साहित्यक संस्था भारतीय ज्ञानपीठ साल 1961 से हर साल ज्ञानपीठ पुरस्कार से लेखकों को सम्मानित करती आ रही है। भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो, वो यह पुरस्कार प्राप्त कर सकता है। इस पुरस्कार के लिए अंग्रेजी भाषा को तीन साल पहले ही शामिल किया गया है। साल 2012 से ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में दी जाने वाली राशि को 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 11 लाख रुपये कर दिया गया है।
अब तक किस-किस को मिल चुका है ये पुरस्कार?
1965- जी शंकर कुरुप (मलयालम)
1966- ताराशंकर बंधोपाध्याय (बांग्ला)
1967- केवी पुत्तपा (कन्नड़) और उमाशंकर जोशी (गुजराती)
1968- सुमित्रानंदन पंत (हिन्दी)
1969- फिराक गोरखपुरी (उर्दू)
1970- विश्वनाथ सत्यनारायण (तेलुगु)
1971- विष्णु डे (बांग्ला)
1972- रामधारी सिंह दिनकर (हिन्दी)
1973- दत्तात्रेय रामचंद्र बेन्द्रे (कन्नड़) और गोपीनाथ महान्ती (ओड़िया)
1974- विष्णु सखा खांडेकर (मराठी)
1975- पी.वी. अकिलानंदम (तमिल)
1976- आशापूर्णा देवी (बांग्ला)
1977- के. शिवराम कारंत (कन्नड़)
1978- एच. एस. अज्ञेय (हिन्दी)
1979- बिरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य (असमिया)
1980- एस.के. पोट्टेकट (मलयालम)
1981- अमृता प्रीतम (पंजाबी)
1982- महादेवी वर्मा (हिन्दी)
1983- मस्ती वेंकटेश अयंगर (कन्नड़)
1984- तक्षी शिवशंकरा पिल्लई (मलयालम)
1985- पन्नालाल पटेल (गुजराती)
1986- सच्चिदानंद राउतराय (ओड़िया)
1987- विष्णु वामन शिरवाडकर कुसुमाग्रज (मराठी)
1988- डॉ. सी नारायण रेड्डी (तेलुगु)
1989- कुर्तुल एन. हैदर (उर्दू)
1990- वी.के.गोकक (कन्नड़)
1991- सुभाष मुखोपाध्याय (बांग्ला)
1992- नरेश मेहता (हिन्दी)
1993- सीताकांत महापात्र (ओड़िया)
1994- यूआर अनंतमूर्ति (कन्नड़)
1995- एमटी वासुदेव नायर (मलयालम)
1996- महाश्वेता देवी (बांग्ला)
1997- अली सरदार जाफरी (उर्दू)
1998- गिरीश कर्नाड (कन्नड़)
1999- निर्मल वर्मा (हिन्दी) और गुरदयाल सिंह (पंजाबी)
2000- इंदिरा गोस्वामी (असमिया)
2001- राजेन्द्र केशवलाल शाह (गुजराती)
2002- दण्डपाणी जयकान्तन (तमिल)
2003- विंदा करंदीकर (मराठी)
2004- रहमान राही (कश्मीरी)
2005- कुंवर नारायण (हिन्दी)
2006- रवीन्द्र केलकर (कोंकणी) और सत्यव्रत शास्त्री (संस्कृत)
2007- ओएनवी कुरुप (मलयालम)
2008- अखलाक मुहम्मद खान शहरयार (उर्दू)
2009- अमरकान्त व श्रीलाल शुक्ल (हिन्दी)
2010- चन्द्रशेखर कम्बार (कन्नड)
2011- प्रतिभा राय (ओड़िया)
2012- रावुरी भारद्वाज (तेलुगू)
2013- केदारनाथ सिंह (दोनों हिन्दी)
2014- भालचन्द्र नेमाड़े (मराठी)
2015- रघुवीर चौधरी (गुजराती)
2016– शंख घोष (बांग्ला)
2017– कृष्णा सोबती (हिन्दी)
Created On :   14 Dec 2018 9:32 PM IST