'कौन ख़ुशी से मरता है, मर जाना पड़ता है'...शायर जलालपुरी का निधन

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'कौन ख़ुशी से मरता है, मर जाना पड़ता है'...शायर जलालपुरी का निधन
'कौन ख़ुशी से मरता है, मर जाना पड़ता है'...शायर जलालपुरी का निधन

डिजिटल डेस्क, लखनऊ. उर्दू के महान और नामचीन शायर अनवर जलालपुरी का कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) पड़ने के कारण मंगलवार सुबह करीब 10 बजे निधन हो गया। उनका इलाज केजीएमयू (किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) में चल रहा था. गुरुवार को ब्रेन स्ट्रोक पड़ने के बाद उन्हें केजीएमयू के ट्रामा सेंटर के न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट में भर्ती कराया गया था। यहां उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। 

अनवर जलालपुरी (71) गुरुवार शाम अपने करीबी परिजन के शोक कार्यक्रम से लौटे थे। छोटे बेटे डॉ जानिसार जलालपुरी ने बताया कि शाम करीब 6 बजे बाथरूम गए, लेकिन जब आधे-पौने घंटे तक बाहर नहीं निकले तो हमें चिंता हुई, फिर हमने आवाज लगाई। जब अंदर से कोई आवाज नहीं आई तो हमने दरवाजा तोड़कर देखा तो वह फर्श पर गिरे पड़े थे. उनके सिर से खून बह रहा था। तुरंत उन्हें प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उनके दिमाग में अंदरूनी चोटों के चलते सीटी स्कैन आदि के लिए दूसरे निजी अस्पताल भेजा गया। जहां डाक्टरों ने ब्रेन में खून के थक्के, और ब्लीडिंग होने के बाद केजीएमयू रेफर कर दिया। केजीएमयू के ट्रामा सेंटर के न्यूरो सर्जरी विभाग में उन्हें एडमिट कराया गया था। उनकी तबियत में सुधार नहीं हो रहा था। मंगलवार सुबह करीब 10 बजे दिल का दौरा पड़ा.

अनवर जलालपुरी
मशहूर उर्दू शायर अनवर जलालपुरी ने गीता का उर्दू शायरी में अनुवाद किया है। लखनऊ के हुसैनगंज निवासी जलालपपुरी उन्हें प्रदेश सरकार यश भारती सम्मान से भी सम्मानित कर चुकी है।

उनके कुछ मशहूर शेर

शाम ढले हर पंछी को घर जाना पडता है,
कौन ख़ुशी से मरता है मर जाना पडता है !!

कोई पूछेगा जिस दिन वाक़ई ये ज़िंदगी क्या है
ज़मीं से एक मुट्ठी ख़ाक ले कर उड़ा देंगे हम

पराया कौन है और कौन अपना सब भुला देंगे
मताए ज़िन्दगानी एक दिन हम भी लुटा देंग

मेरी बस्ती के लोगो! अब न रोको रास्ता मेरा
मैं सब कुछ छोड़कर जाता हूँ देखो हौसला मेरा

शाबो शगूफा कोई गुलशन न मिलेगा 
दिल खुश्क रहा तो कहीं सावन न मिलेगा

चाहो तो मेरी आंखो को आइना बना लो 
देखो तुम्हे कोई आइसा दरपन न मिलेगा

मेरा  हर  शेर  हक़ीक़त  की  है  ज़िंदा  तस्वीर ,
अपने  अशआर  में  क़िस्सा  नहीं  लिख्खा  मैं  ने

एक  मदारी के जाने का गम  किसको
गम  तो ये है  मजमा कौन  लगाएगा

ख्वाहिश मुझे जीने की ज़ियादा भी नहीं है
वैसे अभी मरने का इरादा भी नहीं है...

Created On :   2 Jan 2018 5:46 PM IST

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