दाल को अमानक बताकर रिजेक्ट करने पर भड़के किसान, जमकर किया हंगामा

Farmers furious after rejecting thousands of quintals of pulses, fierce ruckus
दाल को अमानक बताकर रिजेक्ट करने पर भड़के किसान, जमकर किया हंगामा
दाल को अमानक बताकर रिजेक्ट करने पर भड़के किसान, जमकर किया हंगामा

डिजिटल डेस्क, कटनी। दलहन की फसल बेचने कृषि उपज मंडी आए किसानों की दाल अमानक बताकर खरीदने से मना करने पर परेशान किसान गुरूवार को भड़क उठे और मंडी परिसर में जमकर नारेबाजी करते रहे। लेकिन उनकी सुध लेने जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी भी नहीं पहुंचे। आखिरकार किसानों ने व्यापारियों से समझौता कर, उन्हें कम दामों पर दाल बेच दी।

कृषि उपज मंडी में जिले के किसान लगभग 20 हजार क्विंटल उड़द और मूंग दाल लेकर बेचने को पहुंचे थे। चूकिं मंडी में सरकारी खरीदी का जिम्मा विपणन सहकारी समिति को दिया गया था और समर्थन मूल्य 5000 से 5550 रूपये तक निर्धारित था। वहीं व्यापारी Quality के हिसाब से दलहन को 3500 से 4200  रुपये तक में खरीदी कर रहे थे। किसान उस समय उग्र होने लग गए, जब विपणन अधिकारियों ने एक के बाद एक किसानों की दलहन को अमानक बताकर रिजेक्ट करना शुरू कर दिया।

व्यापारियों से सांठगांठ का आरोप

मंडी परिसर में पिछले 4-5 दिनों से दलहन के किसान अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे है। किसानों का विरोध देख विपणन के वरिष्ठ अधिकारी भी मंडी पहुंचे। लेकिन किसानों की समस्या का कोई हल नहीं निकाला जा सका। अधिकारियों की मनमानी से किसान लाचार नजर आ रहे थे। किसानों ने बताया कि लगभग 1000 क्विंटल दलहन को अमानक किया गया है। बताया जाता है कि ऐसा करने के पीछे व्यापारियों और विपणन अधिकारियों की सांठगांठ रही। रिजेक्ट दाल को किसान वापस ले जाना नहीं चाहते है और यह बात व्यापारी और विपणन अधिकारी भी अच्छी तरह जानते थे। इसी बात का फायदा व्यापारी और अधिकारियों ने जमकर उठाया।

बारिश में पहले से परेशान थे किसान

बारिश के मौसम में कई दिनों से घर-परिवार से दूर मंडी में पड़े किसान, वैसे भी परेशान रहे और रही सही कसर व्यापारियों, अधिकारियों ने पूरी कर दी। किसानों के नाम से व्यापारियों ने चांदी काट ली और औने-पौने दाम में किसानों ने दलहन बेची।

नहीं पहुंचे जनप्रतिनिधि ,अधिकारी

कृषि उपज मंडी कटनी में दलहन किसानों को परेशान करने का सिलसिला पिछले कई दिनों से चल रहा था। परेशान किसानों ने अपने अपने स्तर से अपनी बात जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों तक पहुंचाने का हरसंभव प्रयास किया। इसके बाद भी किसानों की सुध लेने कोई जनप्रतिनिधि, अधिकारी नहीं पहुंचे।

Created On :   27 July 2017 4:44 PM IST

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