पाक जाए बिना अफगान और ईरान पहुंच सकेंगे भारतीय जहाज

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ईरान और भारत के लिए महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन रविवार को ईरान के राष्ट्रपति ने लोकार्पित किया। इस कार्यक्रम में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी शिरकत की। बता दें कि इस बंदरगाह के जरिए भारत-ईरान-अफगानिस्तान के बीच नए रणनीतिक ट्रांजिट रूट की शुरुआत होगी।
गौरतलब है कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर बताया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शनिवार को रूस से लौटते समय तेहरान में रुक गईं और ईरानी विदेश मंत्री जावेद जरीफ के साथ लंच पर आपसी हित के मसलों पर चर्चा की।
तीनों देशों के लिए है हितकारी यह योजना
इस कदम को तीनों देशों ईरान-अफगानिस्तान-भारत के बीच नए रणनीतिक मार्ग की शुरुआत की दिशा में एक अच्छी पहल के रूप में देखा गया है। इस बंदरगाह के जरिए तीनों देशों के बीच व्यापार में उछाल आने की उम्मीद है।
पाकिस्तान को सीमा घेराव का डर
इस परियोजना से पड़ोसी देश पाकिस्तान बिल्कुल भी खुश नहीं है। बता दें कि जिस रास्ते का इस्तेमाल कर भारत अफगानिस्तान तक पहुंचेगा। वो पाकिस्तान का है और पाकिस्तान नहीं चाहता है। कि भारत उस रास्ता के इस्तेमाल करे। इसी के ही साथ पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि भारत अफगानिस्तान के मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है और उसका इरादा पाकिस्तान को दोनों सीमाओं पर घेरने का है। बता दें कि भारत ने पिछले महीने ही अफगानिस्तान को सहायता के रूप में 11 लाख टन गेहूं की एक खेंप भेजी है। भारत ने अफगानिस्तान को ये गेहूं मुफ्त में देने का वादा किया है।
भारत को इस बंदरगाह से होगा ये फायदा...
- इस बंदरगाह के जरिए भारत अब बिना पाकिस्तान गए अफगानिस्तान और फिर उससे आगे रूस और यूरोप से व्यापारिक और आर्थिक रूप से जुड़ सकेगा। अभी तक भारत को अफगानिस्तान जाने के लिए पाकिस्तान होकर जाना पड़ता था।
- बता दें कि कांडला एवं चाबहार बंदरगाह के बीच दूरी, दिल्ली और मुंबई के बीच की दूरी से भी कम है। इसलिए इस समझौते से भारत से वस्तुएं तेजी से ईरान पहुंचेंगी और फिर नए रेल एवं सड़क मार्ग के जरिए अफगानिस्तान पहुंच जाएंगी। इस बंदरगाह के जरिए ट्रांसपोर्ट लागत और समय में कमी आएगी।
- ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलुचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक तौर पर उपयोगी है। यह फारस की खाड़ी के बाहर है और भारत के पश्चिम तट पर स्थित है और भारत के पश्चित तट से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- ईरानी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, यह बंदरगाह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके जरिए मध्य एशियाई देश ओमान और हिंद महासागर के रास्ते दुनिया के दूसरे देशों से जुड़ सकेंगे।
- चाबहार बंदरगाह ऐसा विदेशी बंदरगाह है जिसे विकसित करने में भारत की सीधी भागीदारी है।
Created On :   3 Dec 2017 2:55 PM IST