जस्टिस राजेन्द्र सच्चर का निधन, महिला आरक्षण के घोर समर्थक थे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एवं सच्चर कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सच्चर का 94 साल की उम्र में शुक्रवार (19 अप्रैल ) को निधन हो गया। उन्होंने एक निजी अस्पताल में सुबह 11 बजे अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार शाम करीब 5 बजे दिल्ली के लोधी रोड़ स्थित श्मशान घाट पर किया जाएगा। जस्टिस राजेंद्र सच्चर जस्टिस के साथ-साथ एक उच्च मानवाधिकार के तौर पर भी कार्य करते थे। परिवार में उनके एक पुत्र और एक पुत्री है।
जस्टिस राजेंद्र सच्चर अल्पसंख्यकों की सामाजिक आर्थिक तथा शैक्षिक स्थिति को लेकर रिपोर्ट पेश कर चुके हैं। जिसे सच्चर कमेटी के नाम से जाना जाता है। उनकी सच्चर कमेटी बहुचर्चित रही है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में मुस्लिमों के सामाजिक जीवन के बहुत से पहलुओं को भी उजागर किया। इसके अलावा उन्होंने मुस्लिम समुदाय की समस्याओं को लेकर भी अपने कई सुझाव दिए। सच्चर कमेटी ने यह बतलाया कि भारत में मुसलमानों की हालात अनुसुचित जाति और अनुसुचित जनजाति से भी ज्यादा गंभीर है। उन्होंने देश के मुसलमानों पर 403 पेज की सच्चर रिपोर्ट पेश की।
जस्टिस राजेंद्र सच्चर ने अपना न्यायिक सफर 1950 में शिमला में एक वकील के तौर पर किया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट में सिविल, आपराधिक और राजस्व संबंधी मामलों का भी अभ्यास किया। 1972 में राजेन्द्र सच्चर 2 साल के लिए एडिशनल जज नियुक्त किए गए थे। जस्टिस राजेंद्र सच्चर ने राजस्थान हाईकोर्ट में भी 2 साल काम किया।
जस्टिस राजेंद्र सच्चर संसद में महिलाओं को आरक्षण देने के घोर समर्थक थे। उनका मानना था कि महिलाओं को आरक्षण देने से लैंगिक भेदभाव खत्म होगा। 2003 में जज राजेंद्र सच्चर और सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने इराक में अमेरिका द्वारा किए गए हमले की कड़ी आलोचना की थी।
Created On :   20 April 2018 6:20 PM IST