अंतिम विदाई : 21 तोपों की सलामी, पंचतत्व में विलीन हुए 'वायुपुत्र'

Funeral ceremony with the honor of Marshal Arshjan Singh today
अंतिम विदाई : 21 तोपों की सलामी, पंचतत्व में विलीन हुए 'वायुपुत्र'
अंतिम विदाई : 21 तोपों की सलामी, पंचतत्व में विलीन हुए 'वायुपुत्र'

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना के मार्शल रहे अर्जन सिंह का अंतिम संस्कार दिल्ली के बरार स्क्वायर पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उनके सम्मान में दिल्ली की सभी सरकारी इमारतों में राष्ट्रीय ध्वज झुका दिया गया। नई दिल्ली के बरार स्क्वायर में उन्हें मुखाग्नि दी गई। उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई, इसके अलावा उन्हें फ्लाई पास्ट भी दिया गया। 

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बरार स्क्वायर पहुंच कर उन्हें अंतिम विदाई दी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी बरार स्क्वायर पहुंच अर्जन सिंह को श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। सेना के तीनों अंगों के प्रमुख भी अर्जन सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए मौजूद रहे। अर्जन सिंह के पार्थिव शरीर को उनके परिवार के सदस्य नहीं, बल्कि एयर फोर्स के 8 जवान अंतिस संस्कार स्थल लेकर पहुंचे।  

गौरतलब है कि 98 वर्षीय अर्जन सिंह को सेना के रिचर्स एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां शनिवार शाम उनका निधन हो गया। अर्जन सिंह का पार्थिव शरीर दिल्ली के 7A कौटिल्य मार्ग स्थित उनके आवास में रखा गया, जहां राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, तीनों सेना प्रमुख सहित कई दूसरे गणमान्य लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। रविवार को पीएम मोदी ने गुजरात से लौट कर अर्जन सिंह के घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इससे पहले मोदी ने उन्हें अस्पताल में भी मिलने गए थे।

1965 के भारत-पाक युद्ध के नायक थे अर्जन सिंह 

अर्जन सिंह 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायक थे। वो वायुसेना के एकमात्र अधिकारी थे। जिन्हें फाइव स्टार रैंक प्रदान किया गया था। अर्जन सिंह का अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के लायलपुर में 15 अप्रैल 1919 को जन्म हुआ था।

पाकिस्तान ने 1965 में ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू किया जिसमें उसने जम्मू कश्मीर के महत्वपूर्ण शहर अखनूर को निशाना बनाया, तब अर्जन सिंह ने भारतीय वायु सेना का नेतृत्व किया। अर्जन सिंह लड़ाकू विमान के पायलट थे। उन्होंने 1965 की लड़ाई में बाधाओं के बावजूद हवाई युद्ध शक्ति का पूर्ण इस्तेमाल कर भारतीय वायुसेना को प्रेरित किया। साल 1965 की लड़ाई में जब भारतीय वायु सेना अग्रिम मोर्चे पर थी तब वो उसके प्रमुख थे। अलग-अलग तरह के 60 से भी ज्यादा विमान उड़ाने वाले सिंह ने भारतीय वायु सेना को दुनिया की सबसे शक्तिशाली वायु सेनाओं में से एक बनाने और विश्व में चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।

साल 1965 की लड़ाई में जब भारतीय वायु सेना अग्रिम मोर्चे पर थी तब वो उसके प्रमुख थे। अलग-अलग तरह के 60 से भी ज्यादा विमान उड़ाने वाले सिंह ने भारतीय वायु सेना को दुनिया की सबसे शक्तिशाली वायु सेनाओं में से एक बनाने और विश्व में चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।

Created On :   18 Sept 2017 8:57 AM IST

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