एमटेक ऑटो लिमिटेड से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग कवर करने वाले पत्रकार को सुरक्षा दें : सुप्रीम कोर्ट
- धोखाधड़ी ऋण
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमनी से एक पत्रकार की व्यक्तिगत सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा, जिसे एमटेक ऑटो लिमिटेड और उसके परिवार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग को कवर करते समय धमकी दी गई थी।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता जय अनंत देहद्राई ने मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित की अध्यक्षता वाली पीठ को एक सीलबंद कवर दस्तावेज प्रस्तुत किया। देहद्राई ने कहा कि दस्तावेज उस पत्रकार के संबंध में है जो कथित तौर पर एमटेक ऑटो लिमिटेड द्वारा हजारों करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग मामले को कवर कर रहा था। उन्होंने कहा कि पत्रकार का पीछा किया जा रहा, और इस मामले के संबंध में उन्हें धमकियां भी मिली हैं।
इस साल 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने 27 से अधिक लोगों से 12,800 करोड़ रुपये की कथित आपराधिक चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग में केंद्रीय एजेंसियों- सीबीआई, ईडी और एसएफआईओ द्वारा स्पष्ट निष्क्रियता का दावा करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया। बेंच, जिसमें जस्टिस अजय रस्तोगी और एस रवींद्र भट भी शामिल हैं, उन्होंने एजी से कहा, जो इस मामले को देखने के लिए अदालत कक्ष में मौजूद थे। इसमें कहा गया है कि एक पत्रकार ने यह कहते हुए एक दस्तावेज दाखिल किया है कि एक विशेष कॉर्पोरेट धोखाधड़ी को कवर करते हुए उसका पीछा किया जा रहा है।
प्रधान न्यायाधीश ललित ने एजी को बताया कि ऐसी धारणा है कि सुरक्षा भंग हो सकती है और अदालत नाम का खुलासा नहीं कर सकती। पीठ ने कहा कि वह एजी को सीलबंद कवर दस्तावेज की एक प्रति प्रदान कर रही है। शीर्ष अदालत ने कहा कि एजी ने उसे आश्वासन दिया है कि व्यक्ति और परिवार की व्यक्तिगत सुरक्षा का ध्यान रखा जाएगा। देहद्राई ने पीठ से मामले में न्याय मित्र नियुक्त करने का अनुरोध किया। केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे एक वकील ने अदालत के समक्ष कहा कि मामले में जवाब तैयार किया जा रहा है। शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता कविन गुलाटी को न्याय मित्र नियुक्त किया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 3 नवंबर की तारीख तय की।
आईएएनएस से बात करते हुए देहद्राई ने कहा, अटॉर्नी जनरल ने पत्रकार और उनके परिवार के लिए सुरक्षा का आश्वासन दिया है, जो एमटेक बैंक धोखाधड़ी मामले की जांच कर रहे हैं। पीठ ने पत्रकार के हलफनामे को सीलबंद लिफाफे में रिकॉर्ड में ले लिया है। हलफनामे में डमी के बारे में विशेष जानकारी है। हलफनामे में उन नकली निदेशकों और मुखौटा कंपनियों के बारे में विवरण शामिल हैं, जिन्हें एमटेक के प्रमोटरों द्वारा हजारों करोड़ रुपये के बैंक ऋणों को लूटने के लिए स्थापित किया गया था, जो उनके द्वारा ठगे गए थे। अब यह एजेंसियों को बताना है कि वे इस सार्वजनिक धन का पता लगाने के लिए क्या कदम उठा रही हैं, जिसे इतनी बेशर्मी से लूटा गया है।
देहद्राई ने 5 सितंबर को कहा था कि एमटेक के खिलाफ धारा 7, आईबीसी याचिका 24 जुलाई, 2017 को स्वीकार की गई थी और एक आईआरपी (अंतरिम समाधान पेशेवर) दिनकर वेंकटब्रमण्यम (पूर्व ई.वाई. पार्टनर) को नियुक्त किया गया था। आईआरपी ने 22 अगस्त, 2017 को आरपी के रूप में पुष्टि की और एक फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट करने के लिए ईवाई को नियुक्त किया। 13 मार्च, 2018 को, आरपी को प्रस्तुत विस्तृत फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट जो लेनदारों को धोखा देने के इरादे से धोखाधड़ी वाले लेनदेन की पुष्टि करने वाले भारी सबूतों का खुलासा करती है। धोखाधड़ी लेनदेन की प्रकृति, अर्थात (1) कम मूल्य वाले लेनदेन, (2) तरजीही (अधिमान्य) लेनदेन, (3) लेनदारों को धोखा देने वाले लेनदेन और (4) जबरन क्रेडिट लेनदेन।
उन्होंने आगे कहा कि फॉरेंसिक ऑडिटर 127 संबंधित पार्टियों में आम बेनामी निदेशकों का पता लगाने में विफल रहे, जिन्होंने 1,358 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी ऋण प्राप्त किए। देहद्राई ने कहा कि आरपी इसके लिए जिम्मेदार था : (ए) लेखा परीक्षकों को एएएल और संबंधित पार्टियों के दस्तावेजों को जानबूझकर छुपाना और (बी) लेनदारों को धोखा देने वाले लेनदेन की वसूली को आगे बढ़ाने में जानबूझकर विफलता। याचिकाकर्ता जसकरण सिंह चावला ने याचिका में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए), सीबीआई, ईडी और एसएफआईओ को प्रतिवादी बनाया है।
आईएएनएस
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Created On :   12 Oct 2022 11:30 PM IST