पशुवध पर रोक के खिलाफ आपत्तियों की समीक्षा करेगी सरकार

डिजिटल डेस्क, कोच्चि। केंद्र सरकार ने बुधवार को सफाई दी कि बाजार में मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने को लेकर 23 मई को जारी नोटिफिकेशन का लोगों के खान-पान की आदतों से कोई लेना-देना नहीं है। सरकार ने आश्वस्त किया है कि इस नियम को लेकर सामने आईं आपत्तियों और सुझावों का अध्ययन किया जा रहा है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने बुधवार को यहां मीडिया से कहा कि हमें किसी के खान-पान की आदतों को प्रभावित करने की कोई मंशा नहीं है। हर्षवर्धन उस सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें केंद्र की अधिसूचना पर मद्रास हाईकोर्ट के स्थगन आदेश को सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को देशभर में बरकरार रखा गया है। हर्षवर्धन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिफिकेशन की समीक्षा करने का समय दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि पशुओं के खिलाफ क्रूरता अधिनियम-2017 इसलिए लाया गया है, ताकि पशुओं के खिलाफ अत्याचार बंद हो। इसका देश में पशुवध के व्यापार से कोई लेना-देना नहीं है और न ही इसका लोगों के खान-पान से कोई संबंध है।
पर्यावरण मंत्री ने आगे कहा कि जब कानून बना और नियमों को नोटिफाई किया गया तो उन्हें सार्वजनिक रूप से आम जनता की टिप्पणी के लिए रखा गया था। लेकिन जब इसकी अधिसूचना सामने आई, तब अलग-अलग तरह की आशंकाओं का जन्म हुआ जिसे पूरी तरीके से गलत रूप में परिभाषित किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार के पास इस मामले में कुछ सुझाव आए हैं और सरकार उनका परीक्षण कर रही है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा अधिनियम पर लगाए गए स्टे को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि केंद्र सरकार ने कोर्ट से स्टे हटाने की मांग नहीं की, बल्कि इसकी जगह अभी तक प्राप्त आपत्तियों और सुझावों की समीक्षा करने की बात कही है।
Created On :   12 July 2017 6:29 PM IST