सरकार ने नहीं चुकाए घाटे में चल रही एयर इंडिया के 325 करोड़ रुपए
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक तरफ सरकार घाटे में चल रही एयर इंडिया में रणनीतिक विनिवेश की तैयारी कर रही है, तो वहीं एक RTI में खुलासा हुआ है कि भारत सरकार ने विदेशी यात्राओं के लिए वीवीआईपी चार्टर्ड फ्लाइट्स का इस्तेमाल तो खूब किया, लेकिन किराये के 325 करोड़ रुपये अब तक नहीं चुकाए। बता दें कि वीवीआईपी चार्टर्ड फ्लाइट्स का इस्तेमाल राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अपनी विदेश दौरों के लिए करते हैं। एयर इंडिया को बीते वित्त वर्ष में 5,765.16 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।
इस साल का 241.80 करोड़ बकाया
नौसेना के रिटायर्ड अफसर लोकेश बत्रा की आरटीआई का 8 मार्च को जवाब देते हुए एयर इंडिया ने बताया, 31 जनवरी 2018 तक वीवीआईपी चार्टर फ्लाइट्स का 325.81 करोड़ रुपये पेंडिंग है। इस राशि में 84.01 करोड़ पिछला और 241.80 करोड़ रुपए इस साल का बकाया है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के विदेशी दौरों के लिए वीवीआईपी चार्टर्ड एयरक्राफ्ट्स एयर इंडिया के द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। इसके लिए कमर्शियल जेट्स को सुइट में बदला जाता है।
इस मंत्रालय पर सबसे ज्यादा बकाया
एयर इंडिया की ओर से बताया गया है कि सबसे ज्यादा बकाया 178.55 करोड़ रुपये विदेश मंत्रालय पर है। इसके बाद कैबिनेट सचिवालय-पीएमओ पर 128.84 करोड़ और रक्षा मंत्रालय पर 18.42 करोड़ का बकाया है। एयर इंडिया ने यह भी बताया कि, पिछले वित्त वर्ष से 451 करोड़ के बकाया बिल को आगे बढ़ाया गया, जबकि इस साल 553.01 करोड़ का बिल बना। कुल 1004.72 करोड़ में से सरकार ने इस साल 678.91 करोड़ रुपये चुकाए हैं।
एयर इंडिया में रणनीतिक विनिवेश
सरकार घाटे में चल रही एयर इंडिया में रणनीतिक विनिवेश की तैयारी कर रही है। पिछले साल जून में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कर्ज में डूबी एयर इंडिया के निजीकरण को मंजूरी दी थी। एयर इंडिया में हिस्सेदारी बिक्री के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में एक समूह गठित किया गया है। उन्होंने कहा कि देश में घरेलू हवाई यात्री यातायात में पिछले तीन साल में 20 फीसदी से अधिक वृद्धि हुई है। हालांकि तेल की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में इसमें करीब 17.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान है। एयर इंडिया का विनिवेश 4 भागों में बांट कर किया जाएगा। एयरलाइंस को AI-AI एक्सप्रेस AI SATS, ग्राउंड हैंडलिंग यूनिट, इंजिनियरिंग यूनिट और अलायंस एयर में बांटा जाएगा और इन्हें बेचने के लिए अलग-अलग ऑफर किया जाएगा। इन पैसों से सरकार 70 हजार करोड़ के एयर इंडिया के लोन को चुकाने की कोशिश करेगी।
Created On :   11 March 2018 11:35 PM IST