तो इसलिए झूठे साबित हो रहे हैं Exit Poll

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तो इसलिए झूठे साबित हो रहे हैं Exit Poll
तो इसलिए झूठे साबित हो रहे हैं Exit Poll

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. एक्जिट पोल करते वक़्त यह माना जाता है कि वोटर जब वोट देकर निकलता है तो वह सही बोलता है. लेकिन अब वोटर समझदार हो गया है। वह मुश्किल से ही सच बोलता है। कई बार तो वह पूछने वाले की मंशा के हिसाब से ऐसे जवाब देता है कि यहां तो इनकी हवा थी, इसलिए इन्हें ही वोट दे दिया, लेकिन पिछले कुछ समय से यह धारणा टूटी है. जिन एग्जिट पोल्स पर लोग पहले भरोसा करते थे वो अब गलत साबित होने लगे हैं. गौरतलब है कि 2017 में हुए उत्तर प्रदेश चुनाव के एग्जिट पोल्स पूरी तरह गलत साबित हुए. एग्जिट पोल्स में शामिल हुई एजेंसी यह भांपने में नाकाम रही थी कि भाजपा को 325 सीटें मिल सकती हैं। सीएसडीएस का एक्जिट पोल तो सपा-कांग्रेस के गठबंधन को भाजपा से कहीं आगे बता रहा था।

जबकि टुडे चाणक्य ने भाजपा को 285 के आसपास सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। जो कुछ हद तक नतीजों के आस-पास कहा जा सकता है. हालांकि इसी टुडे चाणक्य ने पंजाब के बारे में यह अनुमान लगाया था कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी, दोनों को 54 सीटों के आसपास सीटें मिलेंगी, लेकिन "आप" को केवल 20 सीटें मिलीं।

इसके बाद राजनीतिक पार्टियों ने हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ना शुरू कर दिया. बसपा सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश चुनाव में 19 सीटें मिलने पर ईवीएम को जिम्मेदार ठहराया था। 

एक्जिट पोल में ज्यादा सीटें दिखाने पर और वास्तविक नतीजों में हार के बाद राजनीतिक पार्टियां अपना गुस्सा ईवीएम पर निकालने लगी हैं. पार्टियों का तर्क होता है कि हमारी सभा में बहुत ज्यादा भीड़ थी, और एग्जिट पोल भी हमारी जीत बता रहे थे फिर हम हार कैसे गए. मसलन बिहार विधानसभा चुनाव में मोदी की रैलियों में भारी भीड़ देखकर ऐसा लगता था कि भाजपा पहली बार सत्ता में आ सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एग्जिट पोल भी भाजपा की जीत की ओर इशारा कर रहे थे। 
1998 में मप्र में कांग्रेस सरकार थी। तब एग्जिट पोल ने कहा था कि कांग्रसे की सरकार दोबारा नहीं बनेगी। एग्जिट पोल भाजपा  सरकार बनने का दावा कर रहे थे, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्वजय सिंह ने कहा था कि एग्जिट पोल आउट, दिग्वजिस सिंह इन। जब नतीजे आए तो यहां कांग्रेस की दोबारा सरकार बनी थी और तमाम पूर्वानुमान गलत साबित हुए थे। 
बता दें कि एक्जिट पोल की सफलता सैंपल साइज की संख्या और उनकी गुणवत्ता पर निर्भर करती है। ज्यादा सैंपल साइज वाले एक्जिट पोल के सही होने की ज्यादा संभावना होती है। साथ ही इस बात का भी महत्व होता है कि जो मतदान केंद्र सैंपल के लिए चुने गए वे मिश्रित आबादी के हिसाब से आदर्श हैं या नहीं? इसके अलावा एक्जिट पोल करने वालों की भी एक भूमिका होती है। 

Created On :   14 Dec 2017 7:58 PM IST

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