गुजरात चुनाव के पहले ही खुली बीजेपी और चुनाव आयोग की पोल, बाढ़ राहत के नाम पर फर्जीवाड़ा

डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। गुजरात का किसान कह रहा है कि साहब! हम कई बार सरकार से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन बाढ़ के बाद से हमारे घरों में सरकारी अनाज का एक दाना तक नहीं पहुंचा है। वहीं बीजेपी की सरकार और चुनाव आयोग की दलील थी कि गुजरात चुनाव के तारीखों के ऐलान में देरी होने की वजह बाढ़ ग्रस्त इलाकों में मदद पहुंचाना है। हकीकत यह है कि गुजरात का किसान रो रहा है। गुजरात के कई इलाके बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हैं।
बनासकांठा के जेतड़ और खरिया जैसे कई गांवों के किसान बाढ़ का प्रकोप झेल रहें हैं। ऐसे में किसानों के पास न तो खेती करने के लिए जमीन है और न ही सरकारी अनाज का एक तिनका। सरकार ने किसानों के लिए मुआवजे का ऐलान तो कर दिया, लेकिन किसानों के हाथ अभी तक कुछ हासिल नहीं हुआ। जब किसानों ने अपनी समस्याओं को लेकर सीएम का दरवाजा खटखटाया तो बदले में उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला।
अब हालात ये है कि किसान खुद को ठगा महसूस करने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं वे इस बार चुनाव बहिष्कार करने की भी तैयारी में हैं। बता दें कि बीते कई महीनों से मुआवजे का इंतजार कर रहे एक किसान ने कहा कि मैंने निजी तौर पर कई बार सरकार को अपनी समस्याओं को लेकर पत्र लिखा है, लेकिन इसके बाद भी 70 से 80 किसानों को सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली है।
सरकार ने चुनावों के पहले सर्वे तो करा लिया है, लेकिन जमीनी हकीकत नहीं देखी। हमें सरकारी मदद नहीं मिली तो इस बार चुनाव में वोट नहीं पड़ेगा। वहीं दूसरे किसान का कहना है कि आखिरी आस के तौर पर हमने ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को दोबारा शुरू किया है। ताकि जमीन को उपजाऊ बनाकर दोबारा खेती की जा सके। वहीं इस बात को लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा है। जिसका चुनाव आयोग और बीजेपी दोनों ही जवाब देने से पल्ला झाड़ रहे हैं। बता दें कि हर साल गुजरात औऱ हिमाचल प्रदेश में एक साथ चुनाव होते थे, लेकिन इस बार हिमाचल में चुनाव के तारीखों की घोषणा पहले ही कर दी गई, वहीं गुजरात चुनाव की तारीखों का ऐलान बाद में किया गया।
Created On :   29 Oct 2017 10:43 PM IST