सरकार : बहुत पावरफुल हो गया है SC, कोर्ट : आंखें बंद नहीं रख सकते

Heated argument between Supreme Court and Central government
सरकार : बहुत पावरफुल हो गया है SC, कोर्ट : आंखें बंद नहीं रख सकते
सरकार : बहुत पावरफुल हो गया है SC, कोर्ट : आंखें बंद नहीं रख सकते

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को केंद्र सरकार और कोर्ट के बीच उस समय तकरार देखने को मिली, जब केंद्र सरकार की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट ने बहुत बड़े राइट्स हासिल कर लिए हैं, और ये दुनिया का सबसे पॉवरफुल कोर्ट बन गया है। इसके जवाब में कोर्ट ने कहा कि, सोशल जस्टिस के मामलों में हम अपनी आंखें बंद नहीं रख सकते। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच इस बात पर बहस कर रही थी कि, ज्यूडिशियल प्रोसिडिंग के दौरान पार्लियामेंट्री का उपयोग किया जा सकता है या नहीं? इस पर भी कोर्ट ने कहा कि, किसी मुद्दे से सिर्फ इसलिए किनारा नहीं किया जा सकता, क्योंकि पार्लियामेंट में उस पर बहस हो रही है। इस मामले में केके वेणुगोपाल ने भी केंद्र सरकार की तरफ से पक्ष रखते हुए पॉवर ऑफ सेपरेशन की दलील दी। 

पार्लियामेंट्री रिपोर्ट का इस्तेमाल नहीं हो सकता : सरकार

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल न पार्लियामेंट के स्पेशल राइट्स का हवाला देते हुए कहा कि, "पार्लियामेंट कमिटी की कोई भी रिपोर्ट ज्यूडिशियल रिव्यू और इन्वेस्टिगेशन का विषय नहीं हो सकता।" उन्होंने कहा कि, कॉन्स्टीट्यूशनल स्ट्रक्चर में भी पॉवर ऑफ सेपरेशन की बात कही गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, "कोर्ट आर्टिकल-142 के तहत अपना आदेश लागू कर सकती है और न्याय निश्चित करने के लिए कमीशन बनाने, रिपोर्ट मांगने और जांच के आदेश दे सकती है।" कोर्ट ने आगे कहा कि, "डेमोक्रेसी में कलेक्टिव रिस्पॉन्सबिलिटी का प्रिंसिपल काम करता है। ऐसा नहीं है कि, इससे ज्यूडिशियल रिव्यू का काम प्रभावित हो रहा है। हम केस को हाथ में ले सकते हैं और जरूरी कदम उठा सकते हैं।" 

सुप्रीम कोर्ट सबसे पॉवरफुल कोर्ट : सरकार

इसके आगे केके वेणुगोपाल ने कहा कि, "भारत का सुप्रीम कोर्ट दुनिया का सबसे पॉवरफुल कोर्ट है, क्योंकि जनता की सरकार इसका सम्मान करती है। कोर्ट ने आर्टिकल-21 के तहत 30 और नए फंडामेंटल राइट्स जोड़े हैं, जिनमें से ज्यादातर को लागू नहीं किया जा सकता।" इस पर भी कोर्ट ने कहा कि, "इनको लागू किया जा सकता है।" इस बीच कोर्ट ने भी दिवाली पर "पटाखे बैन" पर दिए फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि, "एन्वायरमेंट के लिए ये आदेश को मानिए। इस आदेश ने राइट टू क्लीन एन्वॉयरमेंट के फंडामेंटल राइट के पालन को निश्चित किया है।"

कैसे उठा ये मामला? 

दरअसल, गुरुवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी की 81वीं रिपोर्ट का हवाला दिया। जिसमें कहा गया था कि, "कुछ फार्मा कंपनियां कथित रुप से विवादित ह्यूमन पैपलोमा वायरस (HPV) वैक्सीन का ट्रायल कर रही हैं।" इसके बाद ही याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया कि "क्या ज्यूडिशियल प्रोसिडिंग के दौरान पार्लियामेंट्री कमेटी की रिपोर्ट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है?" 
 

Created On :   27 Oct 2017 12:18 PM IST

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