हाईकोर्ट की फटकार, ‘वरिष्ठ नागरिकों के लिए कुछ नहीं कर रही सरकार’

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि अब तक सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए क्या-क्या कदम उठाए हैं। जस्टिस शांतनु केमकर और जस्टिस एमएस कार्णिक की बेंच ने कहा कि आपने (राज्य सरकार) ने माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक का भरणपोषण एवं कल्याण अधिनियम के किसी भी प्रावधान का अनुपालन नहीं किया है, यह आपके ही हलफनामें से जाहिर होता है। अदालत ने वरिष्ठ अधिकारियों को मामले का संज्ञान लेने और उचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
जनहित याचिका दायर
मिशन जस्टिस नाम के गैरसरकारी संगठन ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में विज्ञापन के जरिए कानून के बारे में लोगों को जानकारी देने और इसे प्रभावी तरीके से लागू करने की मांग की गई है। पहले दायर हलफनामें में सरकार की ओर से दावा किया गया था कि वरिष्ठ नागरिकों की मदद के लिए कई कदम उठाए गए हैं। सरकार कानून के प्रावधानों के मुताबिक कदम उठा रही है। वकील सिद्धार्थ मुरारका ने अदालत में जानकारी दी कि सरकारी मदद से चलने वाले वृद्धाश्रमों में केवल दो हजार वरिष्ठ नागरिकों के रहने की सुविधा है। उन्होंने सात ऐसे जिलों की जानकारी दी जहां के वृद्धाश्रमों में मिलने वाली सुविधाएं नियमों के मुताबिक नहीं हैं।
देखभाल के लिए मुआवजा मांग सकें अभिभावक
याचिका में अदालत से मांग की गई है कि वह केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दे कि कानून से जुड़े विभिन्न प्रावधानों को लागू किया जाए। जिससे 60 साल से ज्यादा उम्र के अभिभावक अपने बच्चों से देखभाल के लिए मुआवजा मांग सकें, बुजुर्गों के लिए वृद्धाश्रम और चिकित्सा सुविधा का इंतजाम हो सके। मामले पर अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी। केंद्र सरकार की मदद से 62 वृद्धाश्रम चलाए जा रहे हैं। इससे 1550 बुजुर्गों को फायदा हो रहा है। इसके अलावा राज्य सरकार 39 जबकि गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 92 वृद्धाश्रम चला रहे हैं।
Created On :   12 March 2018 9:50 PM IST