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गुजरात के स्कूलों में पूछा गया चौंकाने वाला सवाल, गांधीजी ने आत्महत्या कैसे की?

हाईलाइट
- गांधीजी ने आत्महत्या कैसे की?
- गुजरात के स्कूलों में नौवीं कक्षा के छात्रों से एग्जाम में यह सवाल पूछा गया है
- मामला सामने आने के बाद जांच के आदेश दिए गाए हैं
डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। गांधीजी ने आत्महत्या कैसे की? यह चौंका देने वाला सवाल गुजरात के सुफलाम शाला विकास संकुल के बैनर तले संचालित स्कूलों में नौवीं कक्षा के छात्रों से एग्जाम में पूछा गया है। इतना ही नहीं, 12वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं से भी गुजरात में शराब पर पूरी तरह से पाबंदी के बावजूद उनसे शराब की बिक्री बढ़ने से जुड़ा एक सवाल पूछा गया। यह मामला सामने आने के बाद जांच के आदेश दिए गाए हैं।
एक अधिकारी ने कहा, 9वीं कक्षा के छात्रों से इंटरनल एसेसमेंट एग्जाम में पूछा गया, 'गांधीजीए आपघाट करवा माटे शू करयु? इसका मतलब है गांधीजी ने आत्महत्या कैसे की? वहीं 12वीं कक्षा के छात्रों से भी एग्जाम में एक अजीबो-गरीब सवाल पूछा गया, ‘अपने इलाके में शराब की बिक्री बढ़ने और शराब तस्करों से होने वाली परेशानियों के बारे में शिकायत करते हुए जिला पुलिस प्रमुख को एक पत्र लिखें।’ बता दें कि गुजरात में शराब पर पूरी तरह से पाबंदी है।
सुफलाम शाला विकास संकुल कुछ स्ववित्तपोषित विद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों का संगठन है, जिन्हें गांधीनगर में सरकारी अनुदान मिलता है। गांधीनगर के जिला शिक्षा अधिकारी भारत वधेर ने कहा, 'सुफलाम शाला विकास संकुल के बैनर तले संचालित स्कूलों में शनिवार को आयोजित इंटरनल एसेसमेंट एग्जाम में इन दो प्रश्नों को शामिल किया गया। ये प्रश्न अत्यधिक आपत्तिजनक हैं, और हमने इस मामले की जांच शुरू की है। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।'
उन्होंने कहा कि 'इन स्कूलों के प्रबंधन ने प्रश्नपत्र सेट किए थे। राज्य के शिक्षा विभाग का इससे कोई लेना-देना नहीं था।'
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।