न देश छोड़ूगा न धर्म, जिद पर अड़ा प्रेमी सात समंदर पार से जीत लाया अपना प्यार

I will neither leave the country for love nor religion, this love of patriotism mixed the lover with his love
न देश छोड़ूगा न धर्म, जिद पर अड़ा प्रेमी सात समंदर पार से जीत लाया अपना प्यार
भारत का लड़का, मोरक्को की लड़की न देश छोड़ूगा न धर्म, जिद पर अड़ा प्रेमी सात समंदर पार से जीत लाया अपना प्यार
हाईलाइट
  • यहां प्रेम तो मजबूर के साथ ही मजबूत भी था।

डिजिटल डेस्क, भोपाल।  प्यार को लेकर कहा जाता है कि यह किसी को मजबूर करता है तो वहीं किसी को मजबूत कर देता है। हो सकता है ऐसी कई कहानियां आपने सुनी हो,जिसमें प्रेमी या प्रेमिका अपने प्यार को पाने के लिए मजबूर हो जाते है और अपने घर,परिवार ही नहीं बल्कि अपना देश और धर्म भी छोड़ने को तैयार हो जाते है। 

 लेकिन हम आपको ऐसी कहानी बताने जा रहे है जिसमे प्यार को पाने के लिए प्रेमी मजबूर तो था।  वहीं वह देश और धर्म को न छोड़ने की बात को लेकर मजबूती से भी खड़ा था। जी हां यह प्रेम कहानी है ग्वालियर निवासी एक युवक अविनाश दौहरे और मोरक्को निवासी फादवा लैमाली की। ये दोनों ही अलग -अलग देश के होने के बाद भी एक दूसरे के प्यार में दीवाने थे। दोनों का धर्म भी अलग-अलग था। इस प्रेम कहानी में कई मोड़ आए और इस प्रेम कहानी को पूरे होने में 3 साल का वक्त लगा। 

सोशल मीडिया पर प्यार,

सोशल मीडिया के जरिए अविनाश और फादवा की पहचान सोशल मीडिया पर हुई थी। इसके बाद दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला चलता रहा, एक-दूसरे से मैसेज और वीडियो कॉल पर बातें किया करते रहे। फिर दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया। और दोनों ने ही शादी करने का फैसला कर लिया। शादी करने का फैसला लेना जितना आसान था शादी करना उतना ही कठिन भी था क्योंकि दोनों का धर्म तो अलग था ही देश भी अलग था। लेकिन कहते है न मोहब्बत वो नहीं जो पास बुलाती है, मोहब्बत तो वो होती है जो दूर रहकर भी उसका एहसास कराती है। यही हुआ अविनाश और फादवा की प्रेम कहानी में जो दूर रहकर भी एक दूसरे के प्रेम का अहसास करते रहे। । और फिर अविनाश ने निर्णय लिया कि उसे इसके बारे में फादवा के परिवार से बात करनी होगी। 

रिश्ता लेकर अविनाश गए सात समंदर पार 
अविनाश और फादवा तो यह तय कर चुके थे कि उनको शादी करनी है लेकिन अविनाश के सामने बड़ी समस्या थी। फादवा के परिवार को शादी के लिए तैयार करना। तो अविनाश अपने रिश्ते की बात को लेकर मोरक्को जा पंहुचे। और ऐसा एक बार नहीं हुआ की वह एक ही बार वहां फादवा के परिजनों को मनाने गए हो, वह अपने प्रेम को पाने के लिए दो बार मोरक्को गए। पर इस शादी के लिए फादवा के पिता अली लैमाली ने बार-बार इनकार किया। लेकिन यहां प्रेम तो मजबूर के साथ ही मजबूत भी था। तो अपनी मंजिल को पाए बिना केसे रूक सकता था। अविनाश और फादवा ने शादी की ज़िद नहीं छोड़ी। 

न देश छोडूंगा और न ही धर्म 
दोनों की जिद को देखते हुए फादवा के पिता शादी को लेकर मान तो गए।  लेकिन अविनाश के सामने कुछ शर्त रख दी। और कहा कि उन्हें इसके लिए भारत छोड़कर मोरक्को में बसना होगा। अविनाश के सामने दो ही विकल्प थे एक तो वह भारत छोड़कर मोरक्को चला जाए और दूसरा यह कि फादवा को भूल जाए। अविनाश को दोनों ही मंजूर नहीं था। लेकिन अविनाश के अंदर का राष्ट्र प्रेम अपनी मोहब्बत से बड़ा था। उन्होंने फादवा के पिता से कहा की मैं न तो देश छोडूंगा न ही अपना धर्म बदलूंगा। और साथ ही कहा कि फादवा को भारत में अपना धर्म और अपनी परंपराए निभाने की आजादी होगी, जैसे वह मोरक्को में निभाती आई है। 

राष्ट्रप्रेम से ही मिला अपना प्रेम 
एक ऑनलाइन कंसल्टिंग कंपनी में काम करने के साथ ही यूपीएससी की तैयारी कर अविनाश ने अपने दिल की सच्ची बात फादवा के पिता के सामने रख दी थी। और फादवा के पिता भी शादी को लेकर मान गए। फादवा ने बताया कि अविनाश का खुद पर भरोसा, अपने देश, धर्म,संस्कृति और  दूसरों के धर्म और संस्कृति की सम्मान के साथ ही की निर्णय लेने की क्षमता ने ही उसके पिता का दिल जीत लिया। उसके बाद ही वह मेरी शादी अविनाश से करने के लिए राजी हो गए।
हालांकि ऐसा नहीं था कि अविनाश का परिवार भी आसानी से मान गया था।  अविनाश को अपने परिवार को मनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। और फिर वह मान गए। इसके बाद अविनाश और फादवा ने कोर्ट मैरिज कर ली। 
 

Created On :   20 Jan 2022 3:46 PM GMT

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